इन घरों पर खतरा: कोरोना पर बड़ा खुलासा, वैज्ञानिकों ने किया ये दावा

लगातार देश में  कोरोना का संक्रमण तेजी से बढ़ने लगारहा है। भारत में कोरोना  के मरीजों की संख्या 17 लाख के उपर पहुंच गई है। आज के समय में जिस तरह से घर और फ्लैट्स का निर्माण किया जा रहा है, उनमें वेंटिलेशन यानी हवा और प्रकाश की पूर्ण व्यवस्था नहीं होती है

Update: 2020-08-02 05:31 GMT
प्रतीकात्मक

नई दिल्ली : लगातार देश में कोरोना का संक्रमण तेजी से बढ़ने लगारहा है। भारत में कोरोना के मरीजों की संख्या 17 लाख के उपर पहुंच गई है। आज के समय में जिस तरह से घर और फ्लैट्स का निर्माण किया जा रहा है, उनमें वेंटिलेशन यानी हवा और प्रकाश की पूर्ण व्यवस्था नहीं होती है। इस कारण घर के अंदर की हवा घर में ही घूमती रहती है। जबकि बड़े आकार के और खुले घरों में हवा का प्रवाह (फ्लो) बना रहता है।

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विशेषज्ञों का कहना

ऐसे में विशेषज्ञों का कहना है कि जिन घरों में वेंटिलेशन व्यवस्था नहीं है, वहां पर कोरोना संक्रमण का खतरा अधिक है। अब अमेरिका की मिनेसोटा यूनिवर्सिटी ने भी एक रिपोर्ट पेश की है। इस रिपोर्ट के मुताबिक छोटे और बंद स्थान पर कोरोना अधिक समय तक रहता है।

इस वायरस के समय छोटे घरों में रहने वाले लोगों के लिए कोरोना का खतरा और बढ़ गया है। शोध में पाया गया है कि बड़े और हवादार घरों में रहने वाले लोगों में कोरोना का खतरा बंद घरों में रहने वाले लोगों से काफी कम है।

ऐसे घर में कोरोना

कोरोना वायरस को लेकर पूरी दुनिया के वैज्ञानिकों में अलग-अलग विचार है। कोरोना पर शुरुआती रिपोर्ट में कहा गया था कि यह 3 फीट की दूरी तक फैल सकता है। इसके बाद कहा गया कि ये 6 से 8 फीट की दूरी तक फैल सकता है और अब कहा जा रहा है कि कोरोना का असर 13 फीट की दूरी तक हो सकता है।

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खुलकर नहीं बहती हवा

छोटे घरों के अंदर की हवा घर में घूमती रहती है जबकि बड़े आकार और खुले घरों में हवा का प्रवाह बना रहता है। इसके साथ ही बंद घरों में सूरज की रोशनी नहीं पहुंच पातीं जिसके कारण भी वायरस को पनपने का सुरक्षित स्थान मिल जाता है। हवादार घरों में कोरोना वायरस ज्यादा देर तक रुक नहीं पाता है और हवा के फ्लो के साथ घर से बाहर निकल जाता है।

 

स्वस्थ व्यक्ति शिकार

गर्मी और उमस के मौसम में घरों में एसी का उपयोग किया जाता है। साथ ही ऑफिस और कॉम्प्लेक्स में भी एसी लगे होते हैं। इस कारण इन सभी जगहों के दरवाजे और खिड़कियां बंद होते हैं। इससे किसी संक्रमित व्यक्ति के शरीर से निकला वायरस कमरे, हॉल या बिल्डिंग के अंदर ही मौजूद रहता है। इस बीच यदि कोई स्वस्थ व्यक्ति इस वायरस के संपर्क में आ जाता है तो यह उसे भी संक्रमित कर देता है। जबकि छोटे घरों में वायरस घर के अंदर ही देर तक मौजूद कहता है और इस कारण संक्रमित व्यक्ति से स्वस्थ व्यक्ति के शरीर में आराम से प्रवेश कर जाता है।

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