किसान आन्दोलन: कल पटना में रैली, 1 जनवरी को देशभर में प्रदर्शन
कांग्रेस सहित पंजाब के शिरोमणि अकाली दल ने आंदोलन को गति देने के उद्देश्य से पार्टी के तीन वरिष्ठ नेताओं को लेकर एक कमेटी का गठन किया है, जो दूसरे राज्यों में जाकर किसान आंदोलन में सहयोग देने को लेकर समर्थन जुटा रहे हैं।
नई दिल्ली: केंद्र सरकार के कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों का आन्दोलन अब तूल पकड़ने लगा है। एक तरह किसानों ने सरकार के साथ बातचीत के प्रस्ताव को स्वीकार कर लिया है तो वहीं दूसरी तरफ नये साल पर देशव्यापी प्रदर्शन करने का एलान भी कर दिया है।
किसान संगठनों की तरफ से कहा गया है कि हम 1 जनवरी को पूरे देशभर में कृषि कानूनों के खिलाफ विरोध प्रदर्शन करेंगे, हम चाहते हैं कि हर कोई किसानों के पक्ष में खड़ा हो।
इतना ही नहीं किसान संगठनों ने कई शहरों में रैली करने का प्लान तैयार किया है। इसी कड़ी में 29 दिसंबर को पटना और थनजावुर में किसान मार्च निकालेंगे।
30 दिसंबर को मणिपुर और हैदराबाद में किसानों का हल्लाबोल
जबकि 30 दिसंबर को मणिपुर और हैदराबाद में किसान नए कृषि कानूनों के खिलाफ हल्ला बोलेंगे और रैली को संबोधित करेंगे।
इतना ही नहीं किसानों ने अनिश्चिकाल के लिए टोल प्लाजा फ्री करने का फैसला किया है। पहले 25 से 27 दिसंबर तक टोल प्लाजा को फ्री करने का प्लान था, लेकिन अब आंदोलन को तेज करने के लिए अनिश्चितकाल तक टोल प्लाजा को फ्री कर दिया गया है। वहीं, 30 दिसंबर को कुंडली-मानेसर-पलवल हाइवे पर ट्रैक्टर रैली निकालने की तैयारी कर ली गई है।
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शिरोमणि अकाली दल सहयोग और समर्थन में जुटा
ऑल इंडिया किसान संघर्ष को-ऑर्डिनेशन कमेटी की ओर से दी। दिसंबर के अंत तक इस रणनीति पर काम किया जाएगा। रणनीति के तहत तय किया गया है कि कृषि कानूनों के खिलाफ यह किसान आंदोलन देश के 15 से अधिक राज्यों के 500 शहरों तक पहुंचाया जा सकेगा।
कांग्रेस सहित पंजाब के शिरोमणि अकाली दल ने आंदोलन को गति देने के उद्देश्य से पार्टी के तीन वरिष्ठ नेताओं को लेकर एक कमेटी का गठन किया है, जो दूसरे राज्यों में जाकर किसान आंदोलन में सहयोग देने को लेकर समर्थन जुटा रहे हैं।
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विपक्षी दलों का सहयोग
किसानों को धीरे-धीरे राज्य के अन्य संगठनों का भी इसमें साथ मिलना शुरू हो गया है। जल्द ही पंजाब और हरियाणा से शुरू हुए इस किसान आंदोलन को विस्तारित किया जाएगा।
कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों का यह आंदोलन सिर्फ पंजाब तक ही सीमित है। इसे वहां की सत्तासीन कांग्रेस और अन्य विपक्षी दल हवा देने में लगे हुए हैं।
केंद्र की तरफ से आने वाले ऐसे बयानों को किसान संगठनों ने गंभीरता से लेते हुए रणनीति में बदलाव करने शुरू कर दिए हैं। अब दिल्ली बॉर्डर पर धरना दे रहे कई किसान संगठनों ने दूसरे राज्यों में आंदोलन तेज करने के उद्देश्य से वहां के किसान संगठनों से संपर्क साधना शुरू कर दिया है। साथ ही वहां पर कृषि कानूनों के खिलाफ होने वाले आंदोलनों में हिस्सा लेकर समर्थन हासिल करना भी शुरू कर दिया है।
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