किसान आंदोलन में खालिस्तानी घुसपैठ, एक गहरी साजिश का इशारा
किसान यूनियनों का आरोप है कि सरकार राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) का इस्तेमाल करके उन्हें परेशान कर रही है ताकि किसान मौजूदा किसान आंदोलन का समर्थन न कर सकें।
रामकृष्ण वाजपेयी
दिल्ली में धरने पर बैठे किसानों के साथ सरकार की नौ दौर की वार्ता जहां अब तक परवान नहीं चढ़ सकी है। वहीं सीएए के विरोध में शाहीन बाग के धरने को जिस तरह से देश विरोधी साबित किया गया था उसी अंदाज में एक बार फिर सरकार किसानों को धरने को देशद्रोही ताकतों से जोड़ने की तैयारी में जुट गई है क्योंकि इस धरने में बैठे किसानों का एक बड़ा धड़ा पंजाब और हरियाणा से है। ये आरोप किसान यूनियनों के हैं।
किसान आंदोलन में खालिस्तान समर्थकों की मौजूदी
किसान यूनियनों का यह भी आरोप है कि सरकार राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) का इस्तेमाल करके उन्हें परेशान कर रही है ताकि किसान मौजूदा किसान आंदोलन का समर्थन न कर सकें। एनआईए "खालिस्तानी अभियानों के वित्तीय सहायता" देने के लिए जिम्मेदार कुछ एनजीओ की जांच कर रही है, जिसका नेतृत्व प्रतिबंधित संगठन 'सिख फॉर जस्टिस' कर रहा है।
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किसान यूनियन बोला- सरकार NIA का कर रही इस्तेमाल
एनआईए ने दिल्ली, यूएस और अमेरिका में भारतीय मिशनों के बाहर प्रदर्शनों के लिए फंडिंग को जांच के दायरे में लिया है। जिसमें कनाडा, जर्मनी, अन्य देशों के बीच खालिस्तानियों की ओर फंडिंग की बात सामने आने के बाद जांच के सिलसिले में दिल्ली में चल रहे किसान प्रदर्शन से जुड़े 24 से अधिक लोगों को 15 जनवरी को नोटिस भेजे गए हैं।
NIA ने किसान आंदोलन से जुड़े 40 लोगों को भेजा समन
लगभग दो महीने से अधिक समय से तीन कृषि कानूनों को वापस लेने की मांग को लेकर आंदोलन कर रहे किसानों का कहना है कि एनआईए उनके समर्थकों को नोटिस भेज रही है, यह चल रही बातचीत में बाधा बन सकता है। किसान यूनियनों का आरोप है कि सरकार उन संगठनों को लक्षित करके उनके आंदोलन को "कमजोर" करने की कोशिश कर रही है जो उन्हें भोजन और तंबू बनाने में मदद कर रहे हैं।
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सरकार साथ बैठक में किसानों ने उठाया था NIA का मुद्दा
किसान संघों ने नौवें दौर की वार्ता के दौरान तीन केंद्रीय मंत्रियों - नरेंद्र तोमर, पीयूष गोयल और सोम प्रकाश के साथ एनआईए के मुद्दे को उठाया था। संयुक्त किसान मोर्चा के अनुसार, उस समय केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने, "इस मामले को देखने का वादा किया था"।
हालांकि एनआईए अधिकारियों का कहना है कि उन्होंने सिख फार जस्टिस के खिलाफ दर्ज किये गए एक ताजा मामले में जांच के कुछ बिंदुओं को स्पष्ट करने के लिए लोगों को "गवाह" के रूप में समन जारी किया है। रिपोर्टों के अनुसार, राष्ट्रीय जांच एजेंसी ने लगभग 40 लोगों को जांच के लिए बुलाया है।
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किसान आंदोलन में सिख फार जस्टिस समूह का आया नाम
सिख फार जस्टिस एक विदेश से संचालित समूह है जो भारत में अलगाववादी और खालिस्तानी गतिविधियों की वकालत करता है।
एनआईए ने विवादास्पद खालिस्तान समर्थक ‘ खालसा एड ’ समूह के अधिकारियों और अभिनेता दीप सिद्धू को भी समन किया है, जिन्होंने समय-समय पर खुले तौर पर खालिस्तान आंदोलन के प्रति अपना समर्थन व्यक्त किया है।
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समझा जाता है कि खालसा एक छद्म संगठन है, इसके पीछे खालिस्तानी संगठन बब्बर खालसा इंटरनेशनल (BKI) के होने का संदेह है। एनआईए ने दिसंबर 2012 में इस संबंध में एक मामला दर्ज किया था, जिसमें आरोप लगाया गया था कि खालसा एड को बीकेआई से जुड़े संगठनों में से एक होने का संदेह है। जो भारतीय बीकेआई सदस्यों को देश में आतंकी वारदातों को अंजाम देने के लिए फंडिंग करता है।
खालसा एड ने सिंघू बॉर्डर पर गतिविधियां तेज कीः
हाल ही में खालसा एड ने सिंघू बॉर्डर पर किसानों के प्रदर्शन स्थलों पर अपनी गतिविधियां तेज कर दी थीं। ऐसे में यह संदेह किया जा रहा है कि अलगाववादी एक सोची समझी साजिश के तहत मोदी के खिलाफ लोगों में नाराजगी को हवा देकर खालिस्तानी भावनाओं को पुनर्जीवित करने की साजिश कर रहे हैं।
बब्बर खालसा हिंसा के माध्यम से भारत में एक स्वतंत्र सिख राज्य बनाने का इरादा रखता है और देश में कई आतंकी हमलों के लिए जिम्मेदार है, जिसके परिणामस्वरूप कई नागरिक मौतें हुई हैं। ट्रम्प प्रशासन ने बीकेआई को अमेरिकी हितों के लिए खतरा घोषित किया था।
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टेलीविजन पत्रकार जसवीर सिंह मुक्तसर से पूछताछ
एनआईए ने ब्रिटेन के एक टेलीविजन पत्रकार जसवीर सिंह मुक्तसर को भी 18 जनवरी को पूछताछ के लिए बुलाया है। एनआईए ने लोकभवन इंसाफ वेलफेयर सोसायटी के अध्यक्ष बलदेव सिंह सिरसा को भी बुलाया है।
एक अन्य मामले में एनआईए को जांच में पता चला था कि सिख फ़ॉर जस्टिस कुछ और नहीं बल्कि एक आतंकी समूह है जो पाकिस्तान के आईएसआई के समर्थन से संचालित होता है और उसके विभिन्न विदेशी देशों जैसे अमेरिका, कनाडा, ब्रिटेन, ऑस्ट्रेलिया आदि में कार्यालय हैं।
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एनआईए ने खुलासा किया था कि सिख फार जस्टिस धर्मनिरपेक्षता का ढोंग करती है और प्रभावशाली युवाओं को कट्टरपंथी बनाने के लिए क्षेत्र और धर्म के आधार पर दुश्मनी पैदा करती है और शांति और सद्भाव के लिए खतरा पैदा करती है और आतंकवादी गतिविधियों के लिए धन जुटाती है।
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