Jammu Kashmir Election: नई सरकार के गठन में असली किंग मेकर साबित होंगे पांच मनोनीत विधायक, LG पर सबकी निगाहें

Jammu Kashmir Election: पांच मनोनीत विधायकों की भूमिका काफी महत्वपूर्ण हो जाएगी जिनका मनोनयन उपराज्यपाल मनोज सिन्हा की ओर से किया जाने वाला है।

Report :  Anshuman Tiwari
Update:2024-10-07 21:30 IST

Jammu Kashmir Election (Pic: Social Media)

Jammu Kashmir Election: जम्मू-कश्मीर में मतदान के बाद अब हर किसी को चुनाव नतीजे का बेसब्री से इंतजार है। अधिकांश एग्जिट पोल में जम्मू-कश्मीर में त्रिशंकु विधानसभा की संभावना जताई गई है। ऐसी स्थिति में उन पांच मनोनीत विधायकों की भूमिका काफी महत्वपूर्ण हो जाएगी जिनका मनोनयन उपराज्यपाल मनोज सिन्हा की ओर से किया जाने वाला है। पांच विधायकों के मनोनयन के प्रस्ताव को लेकर जम्मू-कश्मीर में सियासी विवाद पैदा हो गया है। दरअसल इन विधायकों को सदन की पहली बैठक से पूर्व ही मनोनीत किया जाएगा और इन विधायकों के पास बहुमत परीक्षण की स्थिति में मतदान का भी अधिकार होगा। सरकार गठन से पहले पांच विधायकों के मनोनयन के प्रस्ताव पर कांग्रेस भड़की हुई है और पार्टी ने इसे लोकतंत्र और संविधान के मूल सिद्धांतों पर हमला बताया है।

सियासी नजरिए से काफी अहम होंगे मनोनीत विधायक

जम्मू-कश्मीर में इस बार मतदाताओं ने मतदान के प्रति खासा उत्साह दिखाया है। जम्मू के विभिन्न इलाकों के साथ ही घाटी के जिलों में भी जमकर वोटिंग हुई है। अब सबकी निगाहें मंगलवार को होने वाली मतगणना पर लगी हुई हैं। इस बार के विधानसभा चुनाव में नेशनल कान्फ्रेंस ने कांग्रेस के साथ गठबंधन किया था जबकि भाजपा भी इस गठबंधन को कड़ी चुनौती देने की कोशिश में जुटी हुई है। पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती की पार्टी पीडीपी और राशिद इंजीनियर की पार्टी की भूमिका भी काफी अहम मानी जा रही है। इस बार के विधानसभा चुनाव में कड़े मुकाबले को देखते हुए त्रिशंकु विधानसभा की संभावना जताई जा रही है। ऐसे में पांच विधायकों के मनोनयन का प्रस्ताव सियासी नजरिए से काफी अहम हो गया है।

नेशनल कान्फ्रेंस और कांग्रेस को इस बात का डर

पांच विधायकों के मनोनयन से सदन में सदस्यों की संख्या 95 हो जाएगी और बहुमत का आंकड़ा 48 पर पहुंच जाएगा। जम्मू-कश्मीर में मतदान के बाद कराए गए एग्जिट पोल के मुताबिक किसी भी गठबंधन या पार्टी को इतनी ज्यादा सीटें पाने की संभावना नहीं है। मनोनयन के प्रस्ताव को लेकर नेशनल कान्फ्रेंस और कांग्रेस को डर सताने लगा है। दोनों पार्टियों का कहना है कि उपराज्यपाल केंद्र सरकार की ओर से मनोनीत हैं और किसी भी गठबंधन या पार्टी को बहुमत न मिलने की स्थिति में वे भाजपा की मदद करने वाला कदम उठा सकते हैं। नेशनल कांफ्रेंस और कांग्रेस की ओर से दावा किया गया है कि एलजी केवल मुख्यमंत्री की सलाह पर ही अपनी शक्तियों का इस्तेमाल कर सकते हैं। सूत्रों का कहना है कि उपराज्यपाल जिन पांच सदस्यों का मनोनयन करेंगे, उनमें एक महिला, एक पीओके से आया शरणार्थी, दो कश्मीरी विस्थापित और एक अन्य होगा।

कांग्रेस ने बताया लोकतंत्र के खिलाफ

जानकार सूत्रों का कहना है कि गृह मंत्रालय की सिफारिश के आधार पर उपराज्यपाल इन सदस्यों का मनोनयन करेंगे। जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन विधेयक 2019 में संशोधन के बाद पहली बार इस प्रक्रिया को लागू किया जाएगा। इस अधिनियम को 26 जुलाई 2023 को संशोधित किया गया था। इस बाबत कांग्रेस का कहना है कि वह सरकार गठन से पहले उपराज्यपाल की ओर से पांच विधायकों के मनोनयन के पूरी तरह खिलाफ है। पार्टी ने कहा कि ऐसा कोई भी कदम लोकतंत्र, लोगों के जनादेश और और संविधान के मूल सिद्धांतों पर हमला है। कांग्रेस नेताओं को कहना है कि भाजपा को इस बात की बखूबी जानकारी है कि उसके पास सरकार बनाने के लिए जरूरी नंबर नहीं होंगे। इसी कारण भाजपा पांच विधायकों के मनोनयन के जरिए जनादेश में हेराफेरी करने का प्रयास कर रही है।

भाजपा बोली-मनोनयन नियमों के अनुरूप

दूसरी ओर भाजपा का करना है कि कांग्रेस की ओर से निराधार आरोप लगाए जा रहे हैं। नेशनल कान्फ्रेंस और कांग्रेस के दावे में तनिक भी दम नहीं है। पार्टी ने कहा कि कानून में इस बाबत स्पष्ट उल्लेख किया गया है कि मनोनयन एलजी का विशेषाधिकार है। जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन विधेयक 2019 की धारा 15 में नामांकन की प्रक्रिया का स्पष्ट रूप से उल्लेख किया गया है। भाजपा नेता और पूर्व उपमुख्यमंत्री कविंदर गुप्ता ने कहा कि इन सदस्यों का मनोनयन नियमों के अनुसार किया जाएगा। एलजी अपने विशेषाधिकार का प्रयोग करते हुए यह मनोनयन करेंगे और इसे लेकर विवाद पैदा करने की जरूरत नहीं है।

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