गोवा के राज्यपाल ने कहा- नहीं उतरा है अभी कश्मीर का खुमार

गोवा के राज्यपाल सत्यपाल मलिक एक बार फिर चर्चा में हैं। उन्होंने कहा है कि उनको कश्मीर से गोवा आए हुए 3 हफ्ते ही हुए हैं।लेकिन अभी भी कश्मीर का हैंगओवर खत्म नहीं हुआ है। ईफ्फी(IFFI )के समापन समारोह में जम्मू-कश्मीर के पूर्व राज्यपाल  सत्यपाल मलिक ने कहा कि धारा 370 हटाने के बाद कश्मीर में एक भी कैजुअल्टी नहीं हुई। उन्होंने कहा कि 5 अगस्त के बाद पुलिस ने एक भी गोली नहीं दागी।

Update:2019-11-29 10:07 IST

जयपुर: गोवा के राज्यपाल सत्यपाल मलिक एक बार फिर चर्चा में हैं। उन्होंने कहा है कि उनको कश्मीर से गोवा आए हुए 3 हफ्ते ही हुए हैं।लेकिन अभी भी कश्मीर का हैंगओवर खत्म नहीं हुआ है। ईफ्फी(IFFI )के समापन समारोह में जम्मू-कश्मीर के पूर्व राज्यपाल सत्यपाल मलिक ने कहा कि धारा 370 हटाने के बाद कश्मीर में एक भी वारदात नहीं हुई। उन्होंने कहा कि 5 अगस्त के बाद पुलिस ने एक भी गोली नहीं दागी। राज्यपाल अपने विवादित भाषणों के लिए जाने जाते है।

 

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कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाने के दौरान सत्यपाल मलिक वहां के राज्यपाल थे। 31 अक्टूबर को जम्मू-कश्मीर के केंद्र शासित प्रदेश बनने के बाद उन्हें गोवा का राज्यपाल बना दिया गया। सत्यपाल मलिक ने ईफ्फी(IFFI )के भाषण में कहा- तीन हफ्ते पहले गोवा आया हूं. मैं कश्मीर से आया हूं। मैं अभी भी कश्मीर हैंगओवर से गुजर रहा हूं।

इस फेस्टिवल का आयोजन केंद्रीय सूचना व प्रसारण मंत्रालय और गोवा सरकार ने साथ मिलकर किया। राज्यपाल ने कहा कि अक्सर नौकरशाह उन्हें डराते थे कि विशेष दर्जे को हटाने पर कम से कम 1000 लोग मारे जा सकते हैं। मलिक के जम्मू-कश्मीर के राज्यपाल रहने के दौरान केंद्र सरकार ने अनुच्छेद 370 को रद्द किया और राज्य को दो केंद्र शासित प्रदेश-जम्मू-कश्मीर और लद्दाख को अलग कर दिया ।उन्होंने कहा कि जम्मू कश्मीर के विशेष राज्य के दर्जे को खत्म करने के बाद से घाटी में कोई हताहत नहीं हुआ है। उन्होंने कहा, ''अगर वहां पर मामूली घटना भी होती थी तो हजारों मर जाते 2010 में अशांति थी, 50 व्यक्ति मारे गए थे। जब बुरहान वानी का मामला हुआ तो 110 लोगों की मौत हुई। हर हफ्ते वहां लोग हताहत होते थे। लोग मरते थे।लोगों को उकसाया जाता था। वे थानों पर हमले करते थे।

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मलिक ने कहा, ''आज अनुच्छेद 370 के हटने के बाद, भारतीय बलों ने एक गोली भी नहीं चलाई है। उन्होंने इफ्फी समारोह में मौजूद केंद्रीय मंत्री बाबुल सुप्रियो, फिल्म निर्देशक रमेश सिप्पी, रोहित शेट्टी और अन्य जानी मानी हस्तियों से सामाजिक संदेश देने वाली फिल्मों का निर्माण करने का भी अनुरोध किया। उन्होंने साथ ही कॉरपोरेट घरानों से देश में बेरोजगारी, शिक्षा, सैनिकों और किसानों के मुद्दों के समाधान के लिए आगे आने का अनुरोध किया। मलिक ने कहा कि फिल्मों का असर किताबों से कहीं अधिक होता है और इसलिए फिल्मकारों को समाज की विसंगतियों पर फिल्मों का निर्माण कर उन्हें बेनकाब करना चाहिए। कहा कि फिल्मों का संदेश गहराई तक प्रभावित करता है और इसीलिए फिल्म बनाते समय समाज पर उसके असर को ध्यान में रखा जाना चाहिए।

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