सरकार ने किया सावधान! जान लें ये जरुरी सूचना, जारी की गई एडवाइज़री
भारत ने एक बार फिर घाटी के मुद्दे को भड़काने में जुटी तुर्की सरकार को कड़ा झटका दिया है। तुर्की में मौजूद भारतीय दूतावास ने भारतीय पर्यटकों को वहां जाने को लेकर चेतावनी जारी की है।
नई दिल्ली : भारत ने एक बार फिर घाटी के मुद्दे को भड़काने में जुटी तुर्की सरकार को कड़ा झटका दिया है। तुर्की में मौजूद भारतीय दूतावास ने भारतीय पर्यटकों को वहां जाने को लेकर चेतावनी जारी की है। इस पर भारत ने तुर्की के आस-पास के हालात को लेकर चिंता जताते हुए कहा है कि वैसे तो तुर्की में किसी भारतीय को अभी तक कोई नुकसान नहीं पहुंचा है,लेकिन वहां की यात्रा पर जाने वालें पर्यटकों को बहुत सावधानी बरतने की जरुरत है।
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पर्यटन और तुर्की की अर्थव्यवस्था
वहां के पर्यटन का सीधा प्रभाव उसकी अर्थव्यवस्था पर पड़ता है। वहां जाने वाले पर्यटकों की संख्या लगातार बढ़ रही है। जनवरी से जुलाई, 2019 के दौरान 1.30 लाख भारतीयों ने तुर्की की यात्रा की थी जो पिछले वर्ष के पहले सात महीनों के मुकाबले 56 फीसद ज्यादा था।
इसी के साथ ही वर्ष 2017 के मुकाबले तुर्की जाने वाले पर्यटकों की संख्या छह गुऩा बढ़ चुकी है। भारतीय पर्यटकों को आकर्षित करने के लिए तुर्की सरकार खास कार्यक्रम चलाती है।
परन्तु घाटी पर जिस तरह से तुर्की के राष्ट्रपति रेसिप तैयप एर्डोगन पाकिस्तान की भाषा बोल रहे हैं,उसे देखते हुए भारत अब तुर्की को उसी की भाषा में जवाब देने लगा हुआ है।
विदेश मंत्रालय के सूत्रों के अनुसार,
तुर्की के साथ भारत के रिश्ते पुराने जरुर हैं लेकिन ये इतने गहरे नहीं है कि भारत अपने मूल सिद्धांत को नुकसान होने दे। दोनो देशों के बीच द्विपक्षीय कारोबार तकरीबन 8 अरब डॉलर का है जो बहुत खास नहीं है।
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वैसे तो व्यापार काफी हद तक भारत के पक्ष में ही है लेकिन फिर भी ये इतना ज्यादा नहीं है कि तुर्की की इन हरकतों को देखते हुए उसका खास ध्यान रखा जा रहा है।
बता दें, जिस दिन एर्दोगन ने यूएन में कश्मीर का मुद्दा उठाया था उसके 2 दिन बाद ही पीएम नरेंद्र मोदी ने तुर्की के साथ तल्ख रिश्ते वाले दो देशों ग्र्रीस और अर्मेनिया के प्रमुखों से न्यूयार्क में विशेष मुलाकात की थी।
पाकिस्तान के अलावा तुर्की और मलयेशिया ने कश्मीर मुद्दे को यूएन में उठाया था। इसके साथ ही मलेशिया को भी भारत संकेत दे रहा है कि वह अपनी सोच में बदलाव करे।
मलेशिया के पॉम आयल का भारत सबसे बड़ा आयातक है और इसके आयात को कम करने की तैयारी भी शुरू कर दी है।
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