Haryana Crises: हरियाणा में उलटफेर, अब क्या करेंगे दुष्यंत चौटाला
Haryana Crises: जल्द ही नए मंत्रिमंडल के शपथ लेने की संभावना है और इसमें अलग हुए जेजेपी गुट के सदस्यों और निर्दलीय विधायकों को शामिल किया जा सकता है।
Haryana Crises: हरियाणा में दुष्यंत चौटाला के गुट और भाजपा के बीच संबंध खराब हो गए हैं। मुख्यमंत्री मनोहरलाल खट्टर ने इस्तीफा दे दिया है लेकिन जल्द ही नए मंत्रिमंडल के शपथ लेने की संभावना है और इसमें अलग हुए जेजेपी गुट के सदस्यों और निर्दलीय विधायकों को शामिल किया जा सकता है। ऐसे में अब देखना है कि दुष्यंत चौटाला और उनकी जेजेपी कौन सा रास्ता अख्तियार करती है। दरअसल, आगामी लोकसभा चुनावों के लिए हरियाणा में सीट-बंटवारे का समझौता फेल हो जाने के बाद भाजपा और उप-मुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला के नेतृत्व वाली जननायक जनता पार्टी (जेजेपी) के बीच संबंध खराब हो गए हैं।
क्या है गणित
2019 के चुनाव में भाजपा ने राज्य की सभी 10 लोकसभा सीटों पर जीत हासिल की थी।वर्तमान में, 90 सदस्यीय सदन में भाजपा के 41 विधायक हैं, जबकि जेजेपी के 10 विधायक हैं। सत्तारूढ़ गठबंधन को सात में से छह निर्दलीय विधायकों का भी समर्थन प्राप्त है। मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस के पास 30 विधायक हैं और इंडियन नेशनल लोकदल तथा हरियाणा लोकहित पार्टी के पास एक-एक सीट है।
दो सीट चाहते थे दुष्यंत
दुष्यंत संसदीय चुनाव में दो सीटें-हिसार और भिवानी-महेंद्रगढ़ चाहते थे। भाजपा ने उनकी मांग नहीं मानी और हरियाणा की सभी 10 लोकसभा सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारने का फैसला किया। दुष्यंत ने 2014 में हिसार लोकसभा सीट से जीत हासिल की थी। हालांकि जेजेपी ने यह स्पष्ट कर दिया है कि वे एनडीए के साथ मिल कर लोकसभा में दो सीटों पर चुनाव लड़ेंगे या फिर अकेले ही चुनाव लड़ेंगे। दिलचस्प बात यह है कि अभी दो दिन पहले ही भगवा पार्टी के हिसार से सांसद बृजेंद्र सिंह ने पार्टी से इस्तीफा दे दिया क्योंकि उन्हें अनुमान था कि उनकी सीट जेजेपी को मिल सकती है।
बड़ा झटका
यह अचानक हुआ घटनाक्रम हरियाणा के उपमुख्यमंत्री और जेजेपी नेता दुष्यंत चौटाला के लिए एक बड़ा झटका है क्योंकि जेजेपी इंडियन नेशनल लोकदल से अलग हुआ गुट है, जिसका गठन 2019 में विधानसभा चुनाव से ठीक पहले हुआ था। दुष्यंत के पांच विधायक दिल्ली में उनके द्वारा बुलाई गई बैठक में शामिल नहीं हुए और उनके भाजपा में शामिल होने की संभावना है। जेजेपी के ये पांच विधायक जिनके गठबंधन सहयोगी भाजपा में शामिल होने की संभावना है, वे हैं जोगी राम सिहाग, राम कुमार गौतम, ईश्वर सिंह, रामनिवास और देविंदर बबली और ये सभी विधायक एक अलग समूह बनाकर भाजपा में शामिल हो सकते हैं।
वैसे, ये पहली बार नहीं है कि भाजपा-जेजेपी गठबंधन तनाव में आया है। इससे पहले जेजेपी अपने जाट वोट बैंक पर किसानों के विरोध प्रदर्शन के असर को लेकर चिंतित थी। पिछले कुछ दिनों में उपमुख्यमंत्री दुष्यन्त चौटाला के नेतृत्व वाले विभागों में तैनात प्रमुख अधिकारियों का तबादला कर दिया गया, जिसे उनके पर कतरने की एक चाल के रूप में भी देखा गया।