Haryana Election 2024: हरियाणा में क्या है दलित वोटों का समीकरण, कांग्रेस को क्यों भारी पड़ सकती है शैलजा की नाराजगी

Haryana Election 2024: कांग्रेस के लिए शैलजा की नाराजगी इसलिए मुसीबत बनती दिख रही है क्योंकि दलित मतदाता काफी महत्वपूर्ण भूमिका में है। दलित मतदाताओं की संख्या करीब 21 फीसदी है।

Written By :  Anshuman Tiwari
Update:2024-09-22 09:36 IST

कुमारी शैलजा (Pic: Social Media)

Haryana Election 2024: हरियाणा के विधानसभा चुनाव में पार्टी नेताओं की आपसी खटपट पार्टी के लिए बड़ी मुसीबत बन गई है। विधानसभा चुनाव के टिकट बंटवारे से पहले ही वरिष्ठ कांग्रेस नेता अलग-अलग खेमों में बंटे हुए थे मगर टिकट बंटवारे के बाद यह खींचतान और बढ़ गई है। वैसे तो लोकसभा चुनाव में पांच सीटों पर जीत हासिल करने वाली कांग्रेस उत्साहित दिख रही है मगर पार्टी की वरिष्ठ नेता और सिरसा की सांसद कुमारी शैलजा की नाराजगी पार्टी के लिए भारी पड़ती दिख रही है।

कुमारी शैलजा का ताल्लुक दलित समुदाय से है और ऐसे में भाजपा भी दलित बेटी की अनदेखी के मुद्दे को हवा देने की कोशिश में जुटी हुई है। कुमारी शैलजा के मुद्दे को उछलकर बीजेपी दलित मतदाताओं को अपने पक्ष में करने की कोशिश में जुट गई है। ऐसे में हरियाणा में दलित वोटों का समीकरण और चुनाव में उसके प्रभाव को समझना जरूरी है।

हरियाणा में दलित मतदाताओं का समीकरण

कांग्रेस के लिए शैलजा की नाराजगी इसलिए मुसीबत बनती दिख रही है क्योंकि राज्य में दलित मतदाता काफी महत्वपूर्ण भूमिका में है। जानकारों के मुताबिक राज्य में दलित मतदाताओं की संख्या करीब 21 फीसदी है। ऐसे में ये मतदाता प्रत्याशियों की जीत-हार में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते रहे हैं। राज्य में विधानसभा की 90 सीटें हैं और इनमें से 17 सीटें अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित हैं।

मौजूदा समय में कुमारी शैलजा को ही कांग्रेस में सबसे बड़ा दलित चेहरा माना जाता रहा है। शैलजा के अलावा कोई अन्य बड़ा दलित नेता कांग्रेस में नहीं है। इस कारण शैलजा फैक्टर ने असर दिखाया तो कांग्रेस के लिए बड़ी मुसीबत खड़ी हो सकती है। यही कारण है कि अब कांग्रेस की ओर से दावा दिया जा रहा है कि कुमारी शैलजा पार्टी नेतृत्व से नाराज नहीं है।


कुमारी शैलजा की नाराजगी का कारण

हरियाणा में कुमारी शैलजा की नाराजगी अकारण नहीं है। दरअसल हरियाणा विधानसभा चुनाव के बाद टिकट बंटवारे में पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा हावी रहे हैं जबकि हुड्डा विरोधी मानी जाने वाली कुमारी शैलजा अपने कुछ ही समर्थकों को टिकट दिला सकी हैं। उनके कई समर्थक टिकट कटने के कारण मायूस और नाराज नजर आ रहे हैं। कुमारी शैलजा के काफी करीबी माने जाने वाले अजय चौधरी का नारनौंद विधानसभा सीट से टिकट कट गया है। कुमारी शैलजा के जले पर नमक छिड़कते हुए पार्टी ने इस सीट से जस्सी पेटवाड़ को टिकट दे दिया है जिन्होंने शैलजा को लेकर जातिगत टिप्पणी की थी।

शैलजा ने पिछले लोकसभा चुनाव में सिरसा से भाजपा प्रत्याशी अशोक तंवर को चुनाव हराकर जीत हासिल की थी। अशोक तंवर कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष रह चुके हैं मगर हुड्डा खेमे से तनातनी के बाद उन्हें कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष पद से हटा दिया गया था। इसी नाराजगी के कारण उन्होंने कांग्रेस से इस्तीफा देकर भाजपा की सदस्यता ग्रहण कर ली थी। अशोक तंवर भी दलित बिरादरी से ताल्लुक रखते हैं और उनके बाद कुमारी शैलजा ही कांग्रेस का बड़ा दलित चेहरा मानी जाती हैं।

सभी दल दलितों को लुभाने में जुटे

हरियाणा में दलित मतदाताओं की भूमिका महत्वपूर्ण होने के कारण ही इंडियन नेशनल लोकदल ने बहुजन समाज पार्टी के साथ गठबंधन कर रखा है। सीट बंटवारे के बाद दोनों दल दलित मतदाताओं को अपने पाले में खींचने की कोशिश में जुटे हुए हैं। दूसरी ओर उत्तर प्रदेश में असर रखने वाले भीम आर्मी के मुखिया चंद्रशेखर की पार्टी ने दुष्यंत चौटाला की जननायक जनता पार्टी के साथ गठबंधन किया है। ऐसे में दलित वोटों की जंग काफी तीखी हो गई है।


भाजपा के ऑफर के पीछे क्या है राज

दूसरी ओर भाजपा भी दलित मतदाताओं को अपनी ओर आकर्षित करने की कोशिश में जुटी हुई है। कुमारी शैलजा की नाराजगी की खबरें बाहर आने के बाद भाजपा की ओर से कुमारी शैलजा को पार्टी में शामिल होने का खुला ऑफर दे दिया गया है। हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने कांग्रेस पर दलित बेटी कुमारी शैलजा का अपमान किए जाने का आरोप लगाते हुए उन्हें भाजपा में शामिल होने का ऑफर दिया है। इस ऑफर के जरिए भाजपा ने यह दिखाने की कोशिश की है कि कुमारी शैलजा की अनदेखी पर वह कितनी फिक्रमंद है।

इसके पीछे दलित वोटों को आकर्षित करने का समीकरण छिपा हुआ है। हालांकि कुमारी शैलजा ने अभी तक इस मुद्दे पर कोई टिप्पणी नहीं की है। कांग्रेस जरूर भाजपा के इस चाल से सतर्क हो गई है और पार्टी का कहना है कि कांग्रेस में नाराजगी की खबरों में कोई दम नहीं है और कुमारी शैलजा पूरी तरह पार्टी प्रत्याशियों का समर्थन करने में जुटी हैं।

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