Muslims of Mewat: जानें कौन हैं मेवात के मेव मुसलमान, जिन्हें माना जाता है राजपूतों का वंशज, हिंदुओं जैसे हैं रीति-रिवाज
Muslims of Mewat: हरियाणा के नूंह में भड़की हिंसा राज्य के कई जिलों में फैल गई। नूंह की हिंसा के बाद से मेवात के मुसलमान सुर्ख़ियों में रहे। तो चलिए जानते हैं मेवाती मुसलमानों के इतिहास और उनसे जुड़ी कुछ खास बातें।
Muslims of Mewat: हरियाणा के मेवात में पिछले दिनों विश्व हिन्दू परिषद (VHP) की शोभायात्रा के दौरान हिंसा भड़की थी। जिसके बाद राज्य के कई शहरों में तनाव व्याप्त है। मेवात से शुरू हिंसा की आग में सबसे ज्यादा प्रभावित नूंह शहर रहा। नूंह में धार्मिक सौहार्द बिगड़ने के बाद हरियाणा के दूसरे जिलों में भी हिंसक वारदातें देखने को मिलीं। हिंसा के वक़्त की जो भी तस्वीरें या वीडियो सामने आई उसमें मेवात के मुसलमानों की चर्चा खूब रही। हालांकि, पहले भी मेवाती मुस्लिम कई अन्य वजहों से सुर्ख़ियों में रहे हैं। दरअसल, मावती मुस्लिम के बारे में कहा जाता है कि उनका रहन-सहन हिंदुओं की तरह है। उनके कई रीति-रिवाज भी हिन्दुओं से मेल खाते हैं।
ऐसे में लोगों के मन में सवाल उमड़ने लगा है कि, आखिर मेवाती मुसलमान हैं कौन? ये कौन हैं? उनका रहन सहन क्यों अलग है? मेवात में किस तरह की मान्यताएं हैं? हिन्दुओं के रीति-रिवाजों से किस प्रकार की समानता है। तो चलिए जानते हैं मेवाती मुसलमानों से जुड़ी कुछ खास बातें।
500 सालों से रह रहे हैं मेवाती मुस्लिम
राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली से सटा हरियाणा का मेवात इलाका मुस्लिम बहुल है। तक़रीबन 500 सालों से यहां मुसलमान रह रहे हैं। हालांकि, जब भी बात 'मेवाती मुस्लिम' की होती है तो अक्सर लोग कहते हैं कि ये पूरी तरह मुसलमान नहीं हैं। ऐसा इसलिए कहा जाता है, क्योंकि उनकी कई ऐसी परंपराएं हैं जो हिंदुओं से मेल खाती हैं। अर्थात मिलती-जुलती हैं। कई रिसर्च स्टडीज में भी ये सामने आय है कि कुछ वर्ष पहले तक मेवात के मुसलमान एक ही गोत्र में अपने बच्चों की शादी तक नहीं करते थे। ठीक वैसे ही जैसे हिन्दुओं में होता है। जबकि, इस्लाम में रिश्तेदारों में शादी होना सामान्य है।
कौन हैं मेव मुस्लिम?
मेवात के मुस्लिम समुदाय को मेव मुस्लिम (Meo Muslim) कहा जाता है। जानकार बताते हैं कि यहां मेव बसे हुए हैं। इसलिए इस इलाके को 'मेवात' कहा जाने लगा। मेव मुस्लिम का इतिहास भारत में बहुत पुराना है। अंग्रेजी अख़बार 'हिंदुस्तान टाइम्स' की एक रिपोर्ट के अनुसार, मेव मुस्लिमों का समुदाय ऐसा है जिनका मजहब भले ही इस्लाम है, मगर रगों में खून 'राजपुताना' है।
मेव मुस्लिम या 'मेव राजपूत' !
कहा जाता है मेवात निवासी मुसलमानों से जब उनका इतिहास पूछेंगे, उनके पुरखों के बारे में टटोलेंगे तो आपको एक किस्सा जरूर सुनने को मिलेगा। ये किस्सा भारत की आजादी से भी अधिक पुराना है। इतिहासकार बताते हैं, 27 मार्च 1527 को मुगल शासक बाबर (Mughal Emperor Babur) अपनी विशाल सेना के साथ मौजूदा भरतपुर जिले के खानवा गांव में खड़ा था। बाबर के सामने थे मेवाड़ के राजा राणा सांगा (Rana Sanga)। इतिहासकार बताते हैं कि इन दोनों सेनाओं के बीच एक और वीर था जिसने बाबर के कदमों को आगे बढ़ने से रोक दिया था। उस वीर का नाम था राजा हसन खान मेवाती (Raja Hasan Khan Mewati)।
राजा हसन खान मजहब से भले ही मुस्लिम थे लेकिन खून से राजपूत। तब हसन खान ने राणा संगा का साथ दिया था। जंग में लड़ते-लड़ते खुद को कुर्बान कर दिया। हरियाणा के नूंह-मेवात (Nuh-Mewat) और राजस्थान के अलवर तथा भरतपुर जिले में मेव राजपूत बहुतायत बसे हुए हैं। ये मेव मुसलमान मेवाती भाषा ही बोलते हैं। कहा जाता है ये गोरवाल खंजादा (Gorwal Khanjada), तोमर (Tomar), राठौर (Rathor) और चौहान (Chauhan) राजपूतों के वंशज हैं।
मेव मुसलमानों के बारे में कहा जाता है कि भले ही इन्होने धर्म बदल लिया मगर अपनी संस्कृति नहीं भूले। बता दें, मेव मुस्लिम लोक महाकाव्यों (Folk Epics) और गाथा गीतों के वर्णन के लिए पूरे मेवात में प्रसिद्ध हैं। मेवों के गाए महाकाव्यों और गाथागीतों में, सबसे लोकप्रिय 'पांडुन का कड़ा' है। इसे महाभारत का मेवाती संस्करण कहा जाता है। कई मेव स्वयं को अर्जुन के वंशज के रूप में वर्णित करते रहे हैं। मेवों की एक विशेषता है, जो उन्हें मुख्यधारा के हिंदू और मुसलमानों दोनों से अलग करती है। दरअसल, उनकी शादियां 'इस्लामी निकाह' समारोह को कई हिंदू रीति-रिवाजों के साथ जोड़ती हैं। जैसे- संपूर्ण गोत्र बनाए रखना। यह एक विशिष्ट हिंदू प्रथा है, जिसे मेव मुस्लिम भी मानते हैं।
12वीं-16वीं शताब्दी के बीच 'मेव' ने अपनाया इस्लाम
इतिहास की छलनी से कई कहानियां, किस्से छनकर सामने आते रहे हैं। ऐसा माना जाता है कि 12वीं और 16वीं शताब्दी के बीच 'मेव' धीरे-धीरे इस्लाम को स्वीकारने लगे। उनका धर्म परिवर्तन होने लगा। बावजूद उनके नाम से उनकी हिंदू उत्पत्ति स्पष्ट होती है। क्योंकि, ज्यादातर मेव अभी भी 'सिंह' सरनेम रखते हैं। आपको मेवात में कई ऐसे लोगों के नाम मिल जाएंगे जिनके नाम में सिंह टाइटल लगा है। मेवात में मुस्लिम नाम जैसे- राम सिंह, तिल सिंह, फतेह सिंह जैसे सुनने को मिले तो आप धोखा न खा जाईयेगा। मेवात इलाके में लोगों का दृढ़ विश्वास है कि, वे अर्जुन के वंशज हैं अर्थात क्षत्रिय हैं। सूफी पीर के प्रभाव में धीरे-धीरे इस्लाम में परिवर्तित हो चले गए।