समाज की खूबसूरती को बरकरार रखने में प्रकृति की अहम भूमिका, ऐसे रखें ध्यान
इस संसार में सबसे अद्भुत करिश्माओं में से एक प्रकृति है जिसमे कई जीवन बसते हैं और इस प्रकृति के साथ ही मनुष्य जीवन की शुरुआत होती है। कहा जाता है कि - हमारे जन्म के बाद हम जिसके क्षत्रछाया में रहते है वह माँ की गोद होती है, किंतु साथ ही साथ हम प्रकृति के गोद में भी पले रहे होते हैं।
लेखक- अंशुमन भगत
लखनऊ: इस संसार में सबसे अद्भुत करिश्माओं में से एक प्रकृति है जिसमे कई जीवन बसते हैं और इस प्रकृति के साथ ही मनुष्य जीवन की शुरुआत होती है। कहा जाता है कि - हमारे जन्म के बाद हम जिसके क्षत्रछाया में रहते है वह माँ की गोद होती है, किंतु साथ ही साथ हम प्रकृति के गोद में भी पले रहे होते हैं। जहां हमें कई चीजों का ज्ञान मिलता है या सीधे शब्दों में कहा जाए तो यह शिक्षा का सबसे बड़ा स्रोत है जिसके द्वारा हम विभिन्न चीजों का अनुभव अपने अंदर समावेश करते हैं।
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विकास के बारे में सोचना कोई गलत बात नहीं, लेकिन...
जीव जंतुओं के महत्व के बारे में समझते हैं। अपने जीवन में आवश्यकताओं की अहम भूमिका को समझते हैं। वायु, जल, पहाड़, पशु-पंछी और पेड़-पौधों जैसे कई जीवो की जीवन प्रणाली को समझते हैं। हम मनुष्य के लिए अपने विकास के बारे में सोचना कोई गलत बात नहीं है, विकास होना चाहिए किंतु कुछ हद तक, ताकि प्रकृति में मनुष्यों की आधुनिक विकास की सीमा रेखा के बीच संतुलन बना रहे।
अगर देखा जाए तो इस कुदरत की प्राथमिकता हम से पहले और हम से कहीं ज्यादा महत्वपूर्ण है किंतु आज के इस जीवन काल में मनुष्य अपनी आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए प्रकृति में बहुत कुछ फेरबदल कर रहे हैं जिसके परिणाम स्वरुप आज पर्यावरण में काफी ज्यादा प्रदूषण फैल चुका है और यह केवल मनुष्य जीवन के लिए नहीं अपितु अन्य जीवो के लिए भी खतरे का संकेत है।
महामारी से कई जिंदगियों पर पड़ा दुष्प्रभाव
यही कारण है कि आज संसार में कई बीमारी दिन-प्रतिदिन महामारी में तब्दील होती जा रही है और जीवन कष्ट दाई होती जा रही है। कोरोना जैसी महामारी आज पूरे विश्व भर के सभी देशों में ऐसा फैल गया है कि लोग अपने ही घरों में एक पंछी के समान पिंजरे में बंद है। इस महामारी से कई जिंदगियों पर दुष्प्रभाव पड़ा है और कितने लोगो जान से हाथ धो कर बैठ चुके हैं। इससे लोगों के जीवन शैली में एक बड़ा बदलाव देखने मिल रहा है। यदि इस बात पर हम मनुष्यों ने पहले अमल किया होता की पर्यावरण को शुद्ध रखना अति आवश्यक है, तो आज यह दिन हमें ना देखना पड़ता।
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...तो जीव जंतुओं का लुप्त होना निश्चित
यदि समय रहते हमने कुछ नहीं किया तो आने वाले समय काल में सभी जीव जंतुओं का लुप्त होना निश्चित है। जिस प्रकार हम अपने आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए किसी भी हद तक प्रयास कर रहे हैं। यदि हम चाहे तो इस प्रकृति को शुद्ध रखने के लिए दृढ़ निश्चय ले सकते हैं क्योंकि हमारी आवश्यकताओं से भी ज्यादा महत्वपूर्ण पर्यावरण की सुरक्षा करना है। खुद के भरण-पोषण करने से भी ज्यादा उत्तरदायित्व पर्यावरण की खूबसूरती को बरकरार बनाए रखना है। यह मनोभाव प्रत्येक व्यक्ति के मन में स्वयं होना चाहिए, ताकि हमारा आने वाले कल आज के मुकाबले बेहतर हो सके।
"प्रकृति वह ताकत है जो समाज की खूबसूरती को बरकरार रखने में अहम भूमिका निभाती है"