Delhi News: पूरी दुनिया हुई हैरान, दिल्ली में हिंदू और मुस्लिम महिला ने एक दूसरे के परिवार को अपनी-अपनी किडनियां दीं
Delhi News: हाल ही में राजधानी दिल्ली में एक असल भाईचारे की मिसाल सभी को देखने को मिली है। यह भाईचारा दिल्ली स्थित साकेत इलाके के मैक्स में में दिखी। आप सभी को बता दे की किडनी डोनेट करने वाली दोनों महिलाए अलग- अलग मज़हब की है।
Delhi News: हाल ही में राजधानी दिल्ली में एक असल भाईचारे की मिसाल सभी को देखने को मिली है। यह भाईचारा दिल्ली स्थित साकेत इलाके के मैक्स में में दिखी। इस हॉस्पिटल में दो महिलाओ ने एक दूसरे को अपनी किडनी डोनेट करी। किडनी डोनेट करनी वाली दोनों महिलाये कौन है यह सुन कर आप सभी आश्चर्यचकित हो जायेगे क्यूंकि इस तरह का किस्सा आपने कभी भी अपने जीवन में नहीं सुना होगा। आप सभी को बता दे की किडनी डोनेट करने वाली दोनों महिलाए अलग- अलग मज़हब की है। एक महिला हिंदू है तो दूसरी मुसलमान है। इंसानियत का जीता जगता उदहारण दिल्ली के इस मैक्स हॉस्पिटल में सबको देखने को मिल गया।
किडनी देने वाली दोनों महिलाए अलग-अलग मज़हब से
किडनी देने वाली दोनों महिलाए अलग मज़हब से है।। एक महिला हिन्दू है तो दूसरी मुस्लमान।अब इस बात से यह साफ़ हो गयी है की अगर मदद करने और जान की बात आएगी तो मज़हब को छोड़कर व्यक्ति की जान बचाने में सब जुट जायेगे। किडनी डोनेट करने वाली और किडनी ट्रांसप्लांट कराने वाली दोनों ही महिलाए पूरी तरह को किसी भी प्रकार की कोई समस्या स्वस्थ है। दोनों महिलाओं को किसिस भी प्रकार की कोई भी तकलीफ नहीं है। सर्जरी होने के बाद दोनों ही महिलाए एक हफ्ते असपटल में रही और अब दोनों की छुट्टी हो चुकी है।
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एएमएयू प्रोफेसर दी अपनी प्रतिक्रिया
इस बेहद नेक कार्य के बाद दोनों महिलाओं की सभी के बीच बहुत तारीफ हो रही है। तारीफ के इस सिलसिले में अलीगढ विश्विद्यालय के एक प्रोफ़ेसर डॉ कमीलउद्दीन अहबाद अपनी ख़ुशी ज़ाहिर करते हुए कहते है हम सब सबसे पहले इंसान है। इंसानियत के नाते हम सब को एक दूर की मदद करनी चाहिए। अज़ाब दूसरे नंबर पर है। मज़हब को भूलकर ज़रुरत के समय सबकी मदद करनी चाहिए। पहले हम कीसी को नाहै जानते थे लेकिन किडनी ट्रांसप्लांट होने के बाद हम सब एक परिवार की तरह हो गए है। कलीमुद्दीन की साली राणा इलियास (60) ने अपनी किडनी मेरठ के रहने वाले राकेश कुमार कौशिक को दान कर दी और बदले में कौशिक की पत्नी रीता शर्मा ने अपनी किडनी प्रोफेसर की पत्नी रूमाना अहमद को दे दी।
राकेश कौशिक ने कहा हम सब अपने अपने मज़हब को मानते है और अपने ही मज़हब को सबसे ऊपर रखते है लेकिन मदद के समय अपना मज़हब को छोड़कर दूसरे की मदद करना के बहुत नेक कार्य है। ऐसा नेक कार्य भाईचारा और प्रेम को दर्शाता है। यह सर्जरी कुल सात घंटे चली और एक हफ्ते बाद दोनों लोगों को मैक्स अस्पताल से छुट्टी मिली।