India–Bhutan Relations: भारत के लिए खास है भूटान, नए समझौते किये, चीन का प्रभाव रोकने की कोशिश

India–Bhutan Relations: भूटान है तो एक छोटा देश लेकिन भारत का खास पड़ोसी है। जिस तरह अपना दबदबा बनाने के लिए नेपाल और भूटान पर नजरें गड़ाए है उसमें भारत को अपने पड़ोसियों को सहेज कर रखना रणनीतिक रूप से बहुत महत्वपूर्ण है।

Written By :  Neel Mani Lal
Update: 2023-11-07 16:47 GMT

भूटान नरेश जिग्मे खेसर नामग्याल वांगचुक- पीएम नरेंद्र मोदी: Photo- Social Media

India–Bhutan Relations: भूटान है तो एक छोटा देश लेकिन भारत का खास पड़ोसी है। जिस तरह अपना दबदबा बनाने के लिए नेपाल और भूटान पर नजरें गड़ाए है उसमें भारत को अपने पड़ोसियों को सहेज कर रखना रणनीतिक रूप से बहुत महत्वपूर्ण है। इन्हीं हालातों में भूटान नरेश जिग्मे खेसर नामग्याल वांगचुक भारत की यात्रा पर हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ उनकी मुलाकात और बातचीत हुई है। यही नहीं, भारत ने इस मौके पर भूटान के साथ महत्वपूर्ण समझौते किये हैं।

भूटान नरेश ने 3 नवंबर को असम की राजधानी गुवाहाटी से भारत की अपनी आठ दिवसीय यात्रा शुरू की थी। उनकी भारत की हाई-प्रोफाइल यात्रा भूटान और चीन द्वारा अपने दशकों पुराने सीमा विवाद के शीघ्र समाधान के लिए नए सिरे से दबाव डालने के बीच हुई है।

हाल के वर्षों में भूटान ने, विशेषकर चीन के साथ अपने राजनयिक संबंधों में एक महत्वपूर्ण बदलाव देखा है। भूटान परंपरागत रूप से अपने अंतरराष्ट्रीय मामलों को भारत के माध्यम से संचालित करता रहा है, लेकिन अब चीन के साथ औपचारिक राजनयिक संबंध स्थापित करने के करीब पहुंच रहा है। ये बदलाव भारत के लिए काफी चिंता का विषय है। इस बदलाव ने क्षेत्र में भारतीय हितों पर असर को लेकर सवाल खड़े कर दिए हैं।

चीन से करीबी

अभी टास्क भूटान ने चीन सहित संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के पांच स्थायी सदस्यों में से किसी के साथ भी औपचारिक संबंध बनाने से परहेज किया हुआ है। और सिर्फ भारत के साथ घनिष्ठ साझेदारी बनाए रखता है। हालाँकि, हालिया घटनाक्रम भूटान के दृष्टिकोण में एक महत्वपूर्ण बदलाव का संकेत देते हैं। एक उल्लेखनीय हाल की घटना भूटान के विदेश मंत्री की चीन यात्रा है जो उनकी राजनयिक बातचीत में पहली थी। इस यात्रा के दौरान, भूटान और चीन ने एक संयुक्त बयान जारी किया और आपसी सीमा वार्ता की। सात वर्षों में यह इस तरह का पहला संवाद था। चीन ने भूटान के साथ संबंधों को सामान्य बनाने की इच्छा व्यक्त की।

 ये भी पढ़ें: Yemen to Israel Missile: यमन से इज़राइल तक मिसाइल, अभूतपूर्व प्रक्षेपण अभूतपूर्व इंटरसेप्शन

चीन के साथ भूटान के औपचारिक संबंधों में सबसे प्रमुख बाधा डोकलाम जैसे क्षेत्रों की विवादित सीमा है। यह क्षेत्र भारत के लिए रणनीतिक महत्व रखता है क्योंकि यह सिलीगुड़ी कॉरिडोर के करीब है। यदि चीन डोकलाम पर नियंत्रण कर लेता है तो यह संभावित रूप से पूर्वोत्तर क्षेत्रों तक भारत की पहुंच को बाधित कर सकता है।

भूटान और चीन के बीच सीमा वार्ता और औपचारिक राजनयिक संबंधों के संबंध में चर्चा भारत की प्रत्यक्ष भागीदारी के बगैर हो रही है। यह स्थिति भारत के लिए अपने हितों की रक्षा करने में नई चुनौतियाँ खड़ी करती है।

भारत की चिंता

भारत की प्राथमिक चिंता भूटान में उसके प्रभाव में संभावित कमी और चल रही सीमा वार्ता है। भूटान के राजा की भारत यात्रा दोनों पक्षों को चीन के साथ भूटान के विकसित होते संबंधों के बारे में दृष्टिकोणों का आदान-प्रदान करने और चिंताओं को दूर करने का अवसर है।

अब क्या क्या हुआ

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भूटान नरेश जिग्मे खेसर नामग्याल वांगचुक ने 6 नवंबर को नई दिल्ली में दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय सहयोग पर विस्तृत चर्चा की जिसके बाद एक संयुक्त बयान जारी किया गया। पीएम मोदी और वांगचुक ने भारत-भूटान साझेदारी के विस्तृत रूप में कनेक्टिविटी के नए क्षेत्रों, सीमा पार व्यापार बुनियादी ढांचे, व्यापार और पारस्परिक निवेश, ऊर्जा, स्वास्थ्य, शिक्षा, अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी और लोगों से संपर्क सहित विस्तार का सकारात्मक मूल्यांकन किया है।

 ये भी पढ़ें: Germany Immigration Law: जर्मनी को नहीं चाहिए अप्रवासी, नए सख्त उपायों को मंजूरी

- पीएम मोदी ने भूटान नरेश को दोस्ती के संबंधों के प्रति भारत की मजबूत प्रतिबद्धता से अवगत कराया। प्रधानमंत्री ने भूटान के प्राथमिकता-आधारित सामाजिक-आर्थिक विकास के लिए सरकार के समर्थन को भी दोहराया।

- दोनों देशों के बीच अभी तक कोई रेलवे लिंक नहीं है। पहली बार इस दिशा में बात हुई है और रेल लिंक के सर्वेक्षण पर सहमति बनी है। सीमा पार कनेक्टिविटी पर ध्यान देने के साथ अपने द्विपक्षीय संबंधों को और मजबूत किया जाएगा। दोनों पक्ष असम के कोकराझार को भूटान के गेलेफू से जोड़ने वाले प्रस्तावित सीमा पार रेल लिंक के लिए अंतिम स्थान सर्वेक्षण पर सहमत हुए हैं।

- दोनों पक्ष पश्चिम बंगाल में बनारहाट और भूटान में समत्से के बीच रेल संपर्क स्थापित करने पर विचार करने पर भी सहमत हुए।

- दोनों पक्ष कनेक्टिविटी के विस्तार और पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए भूमि मार्ग से तीसरे देश के नागरिकों के प्रवेश और निकास की सुविधा के लिए असम के दारंग और भूटान के सैमड्रुप जोंगखार को इमिग्रेशन चेकपोस्ट के रूप में नामित करने पर भी सहमत हुए।

- भारत ग्यालसुंग परियोजना के तहत कौशल विकास और क्षमता निर्माण के क्षेत्र में रियायती वित्तपोषण के भूटान के अनुरोध पर विचार करेगा।

- बांग्लादेश के साथ भूटान के लिए अतिरिक्त व्यापार मार्ग के रूप में हल्दीबाड़ी (पश्चिम बंगाल में) से चिल्हाटी (बांग्लादेश में) रेल मार्ग को नामित करने का भी निर्णय लिया गया।

- संयुक्त बयान के अनुसार, भारत भूटान की 12वीं और 13वीं पंचवर्षीय योजनाओं के बीच की अवधि के लिए ब्रिज फाइनेंसिंग प्रदान करेगा।

- व्यापार बुनियादी ढांचे को मजबूत करने पर भी सहमति हुई है जिसमें गेलफू में भूटानी पक्ष पर सुविधाओं के विकास के साथ-साथ भारत के समर्थन के माध्यम से दादगिरी (असम) में मौजूदा भूमि सीमा शुल्क स्टेशन को एकीकृत चेक पोस्ट में अपग्रेड करना शामिल है।

- दोनों पक्ष पर्यावरण संरक्षण और वन्यजीव संरक्षण में सहयोगात्मक ढांचे को मजबूत करने पर भी सहमत हुए हैं।

- भूटानी नागरिकों को गुणवत्तापूर्ण चिकित्सा शिक्षा और प्रशिक्षण तक पहुंच सुनिश्चित करने के लिए भारत असम के मेडिकल कॉलेजों में भूटानी छात्रों के लिए अतिरिक्त एमबीबीएस सीटें आवंटित करेगा।

- भारत में उच्च शिक्षा प्राप्त करने वाले भूटानी छात्रों के लिए राजदूत की छात्रवृत्ति के तहत आवंटन को दोगुना कर दिया जाएगा।

Tags:    

Similar News