लद्दाख में चीन को जवाब देने की तैयारी, संचार नेटवर्क बढ़ाने के लिए सरकार का बड़ा कदम
पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर चीन के साथ हुए ताजे विवाद के बाद केंद्र सरकार सड़कों की कनेक्टिविटी के साथ ही संचार नेटवर्क को मजबूत...
अंशुमान तिवारी
नई दिल्ली: पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर चीन के साथ हुए ताजे विवाद के बाद केंद्र सरकार सड़कों की कनेक्टिविटी के साथ ही संचार नेटवर्क को मजबूत करने में भी जुट गई है। एक ओर सीमा सड़क संगठन (बीआरओ) सीमाई इलाकों में सड़कों की कनेक्टिविटी बढ़ाने में जुटा हुआ है तो दूसरी ओर केंद्र सरकार ने लद्दाख में संचार नेटवर्क को मजबूत बनाने के लिए 54 मोबाइल टावर लगाने को मंजूरी दे दी है।
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54 मोबाइल टावरों को मंजूरी
लद्दाख के सांसद जाम्यांग सेरिंग नामग्याल ने बताया कि केंद्रीय दूरसंचार मंत्री रविशंकर प्रसाद ने 54 मोबाइल टावरों को लगाने की मंजूरी दी है और उन्होंने प्रसाद से फोन पर बातचीत कर इसके लिए आभार जताया है। उन्होंने कहा कि मिशन डिजटल के तहत केंद्र सरकार की ओर से यह बड़ा कदम उठाया गया है और इसके तहत लद्दाख में 54 नए मोबाइल टावर लगाए जाएंगे। सांसद ने बताया कि कारगिल में 19, लेह में 17, नूबरा में 7 और जंस्कार में 11 मोबाइल टावर लगाने का प्रस्ताव है। उन्होंने बताया कि केंद्र के इस कदम से राज्य में संचार नेटवर्क में और मजबूती आएगी।
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सीमाई इलाकों में सड़कों का निर्माण तेज
इस बीच उत्तराखंड के चीन से लगने वाले सीमाई इलाकों में सड़कों का निर्माण फिर शुरू कर दिया गया है। सूत्रों के मुताबिक करीब 450 स्थानीय मजदूरों और झारखंड के ढाई सौ से अधिक मजदूरों को सड़कों के निर्माण के काम में लगाया गया है। सीमा सड़क संगठन (बीआरओ) की सक्रियता से सड़क निर्माण में तेजी आई है और सड़क निर्माण के लिए जेसीबी और पोकलैंड मशीनें भी नीती और माणा घाटी में पहुंचा दी गई हैं। इससे नीती घाटी के सीमाई इलाकों में हिल कटिंग का काम काफी तेज हो गया है। माणा रोड पर अधिकांश जगहों पर डामर डालने का काम भी पूरा कर लिया गया है।
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अग्रिम मोर्चे पर भेजी जा रहीं सैन्य टुकड़ियां
इस बीच चीन को मुंहतोड़ जवाब देने के लिए भारतीय वायुसेना भी पूरी तरह सतर्क है और वायुसेना के लड़ाकू विमान कुल्लू और लाहौल के आसमानों में उड़ान भरते दिख रहे हैं। दिन और रात दोनों समय लड़ाकू विमान उड़ान भरते देखे गए हैं। लड़ाकू विमानों को देखने के लिए काफी संख्या में लोग घरों से बाहर निकल आए। लद्दाख की ओर सेना के काफिलों की रवानगी भी जारी है और मनाली-लेह मार्ग पर सेना के काफिले लगातार लेह की तरफ आवाजाही कर रहे हैं। गुरुवार को भी इस मार्ग पर सेना के लंबे-लंबे काफिले दिखे। सेना के काफिलों को देखकर लोगों ने भारत माता की जय और जय हिंद के नारों के साथ जवानों की हौसलाअफजाई की।
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चीन को मुंहतोड़ जवाब देने की तैयारी
लद्दाख की गलवान घाटी में 15 जून को हुई हिंसक झड़प में 20 जवानों की शहादत के बाद भारतीय सेना भी चीन को मुंहतोड़ जवाब देने के लिए पूरी तरह तैयार है। सेना एलएसी के अग्रिम मोर्चों पर अब कोई जोखिम नहीं लेना चाहती और इसी कारण अग्रिम मोर्चों पर सैनिकों की संख्या बढ़ाई जा रही है ताकि किसी भी मुश्किल घड़ी में चीन को करारा जवाब दिया जा सके। सेना की टुकड़ियों के साथ ही अग्रिम मोर्चे पर हथियारों और तोपों की तैनाती भी तेजी से की जा रही है।
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