भारत-चीन विवाद के 8 कारण: केवल सीमा ही नहीं, इन वजहों से भी मचा दोनों में बवाल

भारत और चीन के बीच सीमा विवाद तकरीबन 6 दशक पुराना रहा है और इसे सुलझाने के लिए हमेशा भारत की ही तरफ से पहल की जाती रही है। चीन ने कभी भी अपनी तरफ से इसे सुलझाने की कोशिश नहीं की है।

Update:2020-05-28 16:50 IST

नई दिल्ली: लद्दाख और सिक्किम में भारतीय और चीनी सैनिकों के बीच तनाव बढ़ते ही जा रहा है। बता दें कि भारत और चीन के बीच सीमा विवाद तकरीबन 6 दशक पुराना रहा है और इसे सुलझाने के लिए हमेशा भारत की ही तरफ से पहल की जाती रही है। चीन ने कभी भी अपनी तरफ से इसे सुलझाने की कोशिश नहीं की है। चीन की तरफ से हमेशा ही जमीनी सीमा का उल्लघंन किया जाता रहा है। कभी लद्दाख में, कभी अक्साई चिन में, कभी तिब्बत तो कभी डोकलाम और सिक्कम में।

दोनों देशों के बीच बढ़ रही तनातनी

चीन की तरफ से कई बार भारतीय सीमा में घुसपैठी करने की कोशिश की जा चुकी है। इसके चलते दोनों देशों के बीच विवाद भी रहता है। चीन और भारत के बीच आज तक कोई भी समझौता नहीं हुआ है। यहां तक कि भारत और चीन के बीच कई इलाकों में वास्तविक नियंत्रण रेखा यानि LAC स्पष्ट नहीं है। जिसके चलते दोनों देशों में तनाव की स्थिति बनती है।

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तो चलिए आपको आज हम उन 8 अहम बिंदु या भौगोलिक स्थान के बारे में बताते हैं, जिसके लेकर भारत और चीन के बीच लगातार विवाद होता आया है।

तिब्बत को लेकर तनातनी

तिब्बत, भारत और चीन के बीच राजनीतिक एवं भौगोलिक तौर पर कैटेलिस्ट का रोल प्ले करता था। लेकिन चीन ने 1950 में इसे हटा दिया। भारत की तरफ से तिब्बत को मान्यता दी जा चुकी है, लेकिन कभी-कभी चीन इस मुद्दे पर तिब्बती शरणार्थियों के बहाने हरकतें करते नजर आ ही जाता है।

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अक्साई चिन सड़क भी तनाव की वजह

लद्दाख इलाके में चीन की तरफ से अक्साई चिन सड़क जैसी कई सड़कें बनाकर लगातार निर्माण काम किया जा रहा है। इस वजह से भी दोनों देशों की बीच तनाव की परिस्थिति बनी रहती है। जम्मू-कश्मीर को भारत अपना अभिन्न अंग मानता है, लेकिन चीन उसे भारत का अंग मानने में हमेशा आनाकानी करता रहा है। जबकि उसे पाक अधिकृत कश्मीर यानि PoK को पाकिस्तान का हिस्सा मानने में कोई आपत्ति नहीं है। इसलिए लिए भी दोनों में तकरार देखने को मिलती है।

3488 किलो मीटर लंबी सीमा पर स्पष्टता नहीं

भारत और चीन के बीच लगभग 3488 किलो मीटर की सीमा पर कोई स्पष्टता नहीं है। चीन जानबूझ कर भारत के साथ सीमा विवाद खत्म नहीं करना चाहता। वह भारत पर दबाव डालने के लिए समय समय पर सीमा विवाद का इस्तेमाल करता रहता है। इस सीमा को लेकर दोनों देशों के सैनिकों के बीच झड़प भी होते रहते हैं। जिसमें कई सैनिकों के घायल होने की भी खबर आती है।

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अरुणाचल प्रदेश पर चीन चाहता है अपना कब्जा

इन सबके अलावा चीन पूरी अरुणाचल प्रदेश पर अपना दावा करता आया है। अरुणाचल प्रदेश को विवादित बताने के लिए चीन वहां के नागरिकों को नत्थी वीजा भी देता है, ताकि वहां के लोग चीन आ जा सकें। कई बार अरुणाचल की सीमा पर भी चीनी सैनिक भारतीय जवान के साथ अभद्रता करते हैं।

ब्रह्मपुत्र नदी पर भी ठीक नहीं रवैया

वहीं ब्रह्मपुत्र नदी को लेकर भी चीन का रवैया काफी खराब रहा है। चीन इस नदी पर कई बांद बना रहा है। दरअसल, चीन ब्रह्मपुत्र नदी का पानी नहरों के जरिए उत्तरी चीन के इलाकों में ले जाना चाहता है। वहीं भविष्य में इस मुद्दे का बड़ा विवाद बनने की संभावनाओं को देखते हुए भारत इस मामले को द्विपक्षीय बातचीत में भी उठाता रहा है।

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हिंद महासागर में बढ़ रही चीनी गतिविधियां

बीते कुछ सालों से हिंद महासागर में भी चीन की गतिविधियां बढ़ती देखी जाती हैं। चीन श्रीलंका, पाकिस्तान, म्यांमार और मालदीव के साथ मिलकर परियोजनाएं शुरू कर भारत को घेरने की रणनीति पर काम कर रहा है। इससे चीन की पहुंच भारत के चारो ओर हो जाएगी।

POK और गिलगित बालटिस्तान

वहीं POK और गिलगित बालटिस्तान में चीन कई विकास कार्यों पर काम कर रहा है। वो वहां बांध बना रहा है और सड़के बनाने का भी काम कर रहा है। पूर्व सेना प्रमुख वीके सिंह ने भी कहा था कि इन इलाकों में तीन से चार हजार चीनी कार्यरत हैं। इनमें चीन की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी के सैनिक भी शामिल हैं।

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साउथ चाइना सी पर अशांति

साउथ चाइना सी पर भी चीन अपना हक जमाता आया है। वो आए दिन इसके लिए कई हरकतें भी करता रहता है। ताकि वो अपनी ऊर्जा की जरूरतों को पूरा कर सके। इसके लिए वियतनाम, जापान और फिलीपींस हमेशा उसका विरोध करता आया है।

चीन ने कुछ साल पहले वियतनाम की दो तेल ब्लॉक परियोजनाओं में शामिल भारतीय कंपनियों को चेतावनी दी थी कि वह साउथ चाइना सी से दूर रहें। चीन की तरफ से इस इलाके में हमेशा मिलिट्री ड्रिल करता रहा जाता है। जिस वजह से इस इलाके में हमेशा अशांति बनी रहती है।

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