बीआरओ की मदद से भारतीय सेना हुई मजबूत, अब ड्रैगन को ऐसे देगी मुंहतोड़ जवाब

लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा पर भारत और चीन के बीच सैन्य तनाव के दौरान बॉर्डर रोड ऑर्गेनाइजेशन (बीआरओ) भी पूरी सक्रियता से अपनी भूमिका निभा रहा है।

Update:2020-07-07 21:46 IST

अंशुमान तिवारी

नई दिल्ली: लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा पर भारत और चीन के बीच सैन्य तनाव के दौरान बॉर्डर रोड ऑर्गेनाइजेशन (बीआरओ) भी पूरी सक्रियता से अपनी भूमिका निभा रहा है। बीआरओ की ओर से निमू के पास तीन सामरिक पुल बनाए गए हैं जिनसे भारतीय सेना को काफी मदद मिलेगी।

इन पुलों के जरिए भारतीय सेना पूर्वी लद्दाख में एलएसी के पास अपने टैंकों और तोपों को ले जाने में सक्षम होगी। जानकारों का कहना है कि बीआरओ की इस कामयाबी से भारतीय सेना चीन को मुंहतोड़ जवाब देने में सक्षम होगी।

तीन महीने में बना डाले तीन सामरिक पुल

बीआरओ की ओर से तीन महीने के रिकॉर्ड समय में इन तीन सामरिक पुलों का निर्माण कार्य पूरा किया गया है। इसके साथ ही 24 टन के वाहनों के लिए इस्तेमाल होने वाले एक बेली ब्रिज को भी अपग्रेड किया गया है। इस बेली ब्रिज के अपग्रेड होने से 70 टन तक के वाहनों को ले जाने में इसका उपयोग किया जा सकता है। तीन पुलों का निर्माण पूरा हो जाने से भारतीय सेना को अपने टैंक व हथियार ले जाने में काफी मदद मिलेगी।

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पुल बनने से पूरी होंगी सेना की जरूरतें

बीआरओ के अधिकारी बी. किशन का कहना है कि सामरिक पुलों का निर्माण कार्य 3 महीने के रिकॉर्ड समय में पूरा किया गया है। सेना के अनुरोध पर 50 मीटर लंबे स्टील की संरचना वाले पुल को भी तैयार किया गया है जो किसी भी प्रकार के भार वाले वाहन को ले जाने में सक्षम है। बीआरओ भारत सरकार की एजेंसी है जो सीमाओं पर रोड और पुलों का निर्माण कार्य करती है। चीन के साथ सैन्य विवाद के बाद बीआरओ की भूमिका भी काफी महत्वपूर्ण हो गई है। किशन ने बताया कि इन पुलों के निर्माण से सेना की जरूरतें पूरी होंगी और नागरिकों को भी फायदा मिलेगा। उन्होंने कहा कि इस इलाके में ऐसे पुलों की काफी जरूरत महसूस की जा रही थी।

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भारतीय सेना पूरी तरह मुस्तैद

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी पिछले हफ्ते निमू का दौरा किया था और चीनी सैनिकों के साथ झड़प में घायल हुए सैनिकों से मुलाकात की थी। भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल और चीन के विदेश मंत्री की फोन पर हुई बातचीत के बाद चीनी सेना करीब दो किलोमीटर पीछे हट गई है मगर इलाके में अभी भी तनाव बना हुआ है। भारतीय सेना अभी भी पूरी मुस्तैदी से तैनात है और चीन की किसी भी हरकत का मुंहतोड़ जवाब देने के लिए तैयार है।

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सर्दियों के लिए सेना ने शुरू की तैयारी

गलवान घाटी में तनाव कम होने के बावजूद भारतीय सेना की ओर से चौकसी में किसी प्रकार की कमी नहीं की जा रही है। भारतीय सेना की ओर से अभी से सर्दियों को लेकर तैयारी शुरू कर दी गई है। शून्य से 50 डिग्री नीचे का तापमान हो या फिर कोई बर्फीला तूफान, एलओसी के पास जवानों की हर दिक्कत दूर करने का प्रयास अभी से ही शुरू कर दिया गया है।

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वर्दी और जूतों को खरीदने की प्रक्रिया शुरू

सर्दियों में जवानों को विपरीत हालात से बचाने के लिए विशेष तंबुओं के साथ ही सैन्य वर्दी और जूतों को खरीदने की प्रक्रिया भी शुरू कर दी गई है। इस संबंध में ऑर्डनेंस फैक्ट्री बोर्ड को आर्डर दिया जा चुका है। इसके साथ ही लद्दाख के मौसम के हिसाब से सैन्य साजोसामान की खरीद के लिए कुछ यूरोपीय देशों से भी संपर्क साधा जा रहा है। रक्षा मंत्रालय और सेना की कोशिश है कि सितंबर तक ये सारे सामान सेना को उपलब्ध हो जाएं ताकि जवानों को किसी प्रकार की दिक्कत न हो।

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