खत्म हुआ आरक्षण: मोदी सरकार के फैसले से इस समुदाय को लगा तगड़ा झटका
बता दें कि इसी बिल में लोकसभा और राज्य विधानसभाओं में अनुसूचित जाति व अनुसूचित जनजाति समुदायों के आरक्षण को दस वर्ष बढ़ाने का भी प्रस्ताव पास कर किया गया है। इसी के साथ राज्यसभा में बिल पास होने के बाद अब 25 जनवरी, 2013 तक एससी-एसटी समुदायों के आरक्षण को बढ़ा दिया गया है।
बेंगलुरू: केंद्र की मोदी सरकार एक के बाद एक ताबड़तोड़ बडे फैसले ले रही है। बीते दिनों राज्यसभा द्वारा पास कराए गए संविधान संशोधन के (126वें) बिल में प्रावधानित संसद के एंग्लों इंडियन का कोटा समाप्त कर दिया गया है।
आरक्षण 25 जनवरी, 2020 को समाप्त हो रहा
इस बिल के तहत तहत पिछले 70 वर्षों से संसद का प्रतिनिधित्व करने वाले 2 सीटों पर आरक्षण गुरुवार को राज्यसभा में बिल पर चर्चा के बाद हुई वोटिंग के बाद समाप्त हो गया है। बता दें कि इसी बिल में लोकसभा और राज्य विधानसभाओं में अनुसूचित जाति व अनुसूचित जनजाति समुदायों के आरक्षण को दस वर्ष बढ़ाने का भी प्रस्ताव पास कर किया गया है। इसी के साथ राज्यसभा में बिल पास होने के बाद अब 25 जनवरी, 2013 तक एससी-एसटी समुदायों के आरक्षण को बढ़ा दिया गया है। फिलहाल आरक्षण 25 जनवरी, 2020 को समाप्त हो रहा है।
ये भी पढ़ें—कोई इरफान अंसारी जीतेगा तो अयोध्या में राम मंदिर कैसे बनेगा: सीएम योगी
गौरतलब है संविधान संशोधन (126वां) बिल को कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने राज्यसभा में पेश किया था। रविशंकर प्रसाद ने कहा कि 2011 की जनगणना के अनुसार देश में 296 एंग्लो इंडियन हैं। हालांकि टीएमसी सांसद डेरेक ओ ब्रायन ने इसका विरोध भी किया था। खुद एक एंग्लो इंडियन सांसद चुने गए टीएमसी सांसद डेरेक ओ ब्रायन ने कहा कि पिछले 72 साल में सिर्फ एक एंग्लो इंडियन यहां पर चुनकर भेजा गया, ये सिर्फ ममता बनर्जी ने किया। इससे पहले लोकसभा में भी कांग्रेस, डीएमके, टीएमसी और बीजेडी के सांसदों ने बिल का प्रस्ताव का विरोध किया था।
कौन हैं एंग्लो इंडियन
उन्होंने कहा कि देश में एंग्लो इंडियन समुदाय के 3 से 3.5 लाख लोग हैं। एंग्लो इंडियन सेना, रेलवे जैसे संस्थानों में काम करते हैं। एंग्लो-इंडियन समुदाय को संसद में आरक्षण को आर्टिकल 334 में शामिल किया गया है। आर्टिकल 334 कहता है कि एंग्लो-इंडियन को दिए जाना वाला आरक्षण 40 साल बाद खत्म हो जाएगा। संविधान खंड को 1949 में शामिल किया गया था।
ये भी पढ़ें—यूपी: योगी सरकार के खिलाफ इस जिले में 21 दिसम्बर को बड़ा प्रदर्शन, बंद रहेंगे बाजार
संविधान के अनुच्छेद 366 (2) के तहत एंग्लो इंडियन ऐसे किसी व्यक्ति को माना जाता है जो भारत में रहता हो और जिसका पिता या कोई पुरुष पूर्वज यूरोपियन वंश के हों। यह शब्द मुख्य रूप से ब्रिटिश लोगों के लिए इस्तेमाल किया जाता है जो कि भारत में काम कर रहे हों और भारतीय मूल के हों। गौरतलब है कि भारतीय संसद लोकसभा, राज्यसभा और राष्ट्रपति से मिलकर बनती है। देश में लोकसभा के लिए अधिकतम 552 सदस्य (530 राज्य + 20 केंद्र शासित प्रदेश + 2 एंग्लो इंडियन) हो सकते हैं, लेकिन विभिन्न राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों से लोकसभा के लिए केवल 543 सदस्य चुने जाते हैं।
राष्ट्रपति इस समुदाय के 2 सदस्यों का चुनाव कर सकता है
यदि चुने गए 543 सांसदों में एंग्लो इंडियन समुदाय का कोई सदस्य नहीं चुना जाता है तब भारत का राष्ट्रपति इस समुदाय के 2 सदस्यों का चुनाव कर सकता है। वर्तमान में लोकसभा में भारतीय जनता पार्टी के दो एंग्लो-इंडियन सांसद हैं। ये हैं केरल के रिचर्ड हे और पश्चिम बंगाल के जॉर्ज बेकर। अनुच्छेद 331 के तहत राष्ट्रपति लोकसभा में एंग्लो इंडियन समुदाय के दो सदस्य नियुक्त करते हैं। इसी प्रकार विधान सभा में अनुच्छेद 333 के तहत राज्यपाल को यह अधिकार है कि (यदि विधानसभा में कोई एंग्लो इंडियन चुनाव नहीं जीता है) वह 1 एंग्लो इंडियन को सदन में चुनकर भेज सकता है।
ये भी पढ़ें—इनसे सीखे: अगर जीवन से निराश हैं, कहते हैं ये मुझसें नहीं हो सकता तो पढ़ें ये खबर
एंग्लो इंडियन किन्हें कहा जाता है?
संविधान के अनुच्छेद 366 (2) के तहत एंग्लो इंडियन ऐसे किसी व्यक्ति को माना जाता है जो भारत में रहता हो और जिसका पिता या कोई पुरुष पूर्वज यूरोपियन वंश के हों। यह शब्द मुख्य रूप से ब्रिटिश लोगों के लिए इस्तेमाल किया जाता है जो कि भारत में काम कर रहे हों और भारतीय मूल के हों।
भारत के 10 विधानसभाओं में नामित होते हैं एंग्लो इंडियन
भारत के दस राज्यों में एंग्लो-इंडियन समुदाय के सदस्य को विधानसभा के लिए नामित किया जाता है। इनमें पश्चिम बंगाल, उत्तर प्रदेश, केरल, तमिलनाडु, कर्नाटक, आंध्रप्रदेश, तेलंगाना, झारखंड और महाराष्ट्र शामिल हैं।