भारतीय वैज्ञानिकों को मिली सफलता! कोरोना से लड़ने वाली 70 दवाओं की हुई पहचान
सैकड़ों षोधकर्ता कोरोनो वायरस के जीन पर अध्ययन कर रहे हैं, जिसे सार्स-कोव-2 भी कहा जाता है। यह जीन फेफड़े की कोशिका को संक्रमित करता है और इसके लिए उस वायरल प्रोटीन को रोकने की जरूरत है जो...
नई दिल्ली: चीन के वुहान से शुरू हुए कोरोना वायरस के बढ़ते संक्रमण को लेकर पूरी दुनिया हलकान है। इससे निजात पाने के लिए दुनिया के कई देशों में कोरोना के वैक्सीन और दवा को लेकर रिसर्च किया जा रहा है। इस संबंध में रिसर्च में जुटे वैज्ञानिकों को सफलता मिलनी शुरू हो गई है। हालांकि अभी कोरोना का सटीक इलाज तो नहीं मिला है लेकिन इनमे से कई रिसर्च के सकरात्मक परिणाम सामने आ रहे हैं। इस सिलसिले में जहां अमेरिका में कोरोना की वैक्सीन का मानव शरीर पर परीक्षण किया जा चुका है, तो वहीं भारतीय कंपनी सिप्ला और जापानी कंपनी टाकेडा फॉर्मा ने कोरोना की दवा बनाने का दावा किया है।
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कोरोना का इलाज ढ़ूढंने में लगे वैज्ञानिकों सफलता मिलनी षुरू-
कोरोना के इलाज के लिए षोध में जुटे इन वैज्ञानिकों ने कोरोना वायरस से लड़ने वाले 69 दवाओं की पहचान की है। कोरोना के इलाज की दो दर्जन दवा पहले से ही परीक्षण के चरण में है, जबकि मलेरिया के इलाज में इस्तेमाल होने वाली दवा क्लोरोक्वीन के भी बेहतर परिणाम सामने आ रहे हैं। षोधकर्ताओं की एक टीम के मुताबिक कोरोना के इलाज में 70 दवाएं प्रयोग के तौर पर प्रभावी साबित हो सकती हैं। वैज्ञानिकों ने कहा कि कुछ दवाओं का उपयोग पहले से ही अन्य बीमारियों के इलाज में किया जाता रहा है।
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वैज्ञानिकों ने कोरोना वायरस से लड़ने वाली 69 दवाओं की पहचान की-
वैज्ञानिकों ने जिन 70 दवाओं की पहचान की है, उनकी सूची बायोरेक्सिव वेबसाइट पर प्रकाशित एक रिपोर्ट में प्रदर्षित की गई है। सैकड़ों षोधकर्ता कोरोनो वायरस के जीन पर अध्ययन कर रहे हैं, जिसे सार्स-कोव-2 भी कहा जाता है। यह जीन फेफड़े की कोशिका को संक्रमित करता है और इसके लिए उस वायरल प्रोटीन को रोकने की जरूरत है जो कोरोना को बढ़ावा देता है। नए षोध में वैज्ञानिकों ने कोरोना वायरस के 29 जीनों में से 26 की जांच की है, जो वायरल प्रोटीन का प्रत्यक्ष उत्पादन करते हैं। ऐसी दवाओं की पहचान भी की गयी है, जो मानव प्रोटीन पर भी असर करती है। इनसे कोरोना वायरस को मानव कोशिकाओं में प्रवेश करने से रोका जा सकेगा।
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