दबंग IPS बेटी: पिता थे कंडक्टर, आज डर के मारे कांपते हैं अपराधी

हिमाचल प्रदेश के ऊना के छोटे से गांव की साधारण सी लड़की जिसका नाम शालिनी अग्निहोत्री है इनके बारें में जितनी ही बाते बताई जाएं उतनी कम है। शालिनी का हौसला, जज्बा और साहस की मिसाल आज उनके गांववाले अपने बच्चों को दे रहे हैं।

Update: 2020-06-11 12:13 GMT

नई दिल्ली : हिमाचल प्रदेश के ऊना के छोटे से गांव की साधारण सी लड़की जिसका नाम शालिनी अग्निहोत्री है इनके बारें में जितनी ही बाते बताई जाएं उतनी कम है। शालिनी का हौसला, जज्बा और साहस की मिसाल आज उनके गांववाले अपने बच्चों को दे रहे हैं। होनहार शालिनी जो ठान लेती हैं वो करके ही दिखाती हैं। अपने बचपन में शालिनी ने एक सपना देखा, उसे ही अपने जीवन का लक्ष्य बना लिया। शालिनी पढ़ाई में हमेशा में टॉप रही हैं, ऐसे में शालिनी के न सिर्फ अपना सपना पूरा किया, बल्कि एक सख्त पुलिस अफसर भी बनी और बन गई गांव की अफसर बिटिया।

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अपराधी उनके नाम से ही घबराते

शालिनी इतनी कड़क पुलिस ऑफिसर हैं कि मुजरिम उनके नाम से कांप जाते हैं। उनके इसी हुनर के कारण उन्हें प्रधानमंत्री की प्रतिष्ठित बेटन और गृहमंत्री की रिवॉल्वर भी दी गई है। और तो और ट्रेनिंग के दौरान उन्होंने बेस्ट ट्रेनी का अवॉर्ड जीता और राष्ट्रपति के हाथों पुरस्कृत हुईं।

इसके साथ ही कुल्लू में पोस्टिंग के दौरान उन्होंने नशे के काराबारियों के खिलाफ ऐसी मुहिम चलाई की रातों-रात वो चर्चा में आ गईं। जिससे आज भी अपराधी उनके नाम से ही घबराते हैं।

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टॉम ब्वॉय टाइप

शालिनी एक इंटरव्यू कहती हैं कि उनकी सफलता में उनके मां-बाप का बहुत बड़ा सहयोग है। वे कहती हैं, उन्हें कभी किसी चीज के लिए रोक-टोक नहीं सहनी पड़ी। वे बचपन से टॉम ब्वॉय टाइप थी।

आगे बताती हैं कि वे कंचे खेलती थी, क्रिकेट खेलती थी और लड़कों की टीम में अकेली लड़की हुआ करती थी। उनकी मां से लोगों ने कहा भी कि आपकी बेटी तो लड़कों जैसी है पर उन्होंने कभी शालिनी को अपने मन का करने से नहीं रोका।

साथ ही पिता ने कभी किसी चीज़ की कमी नहीं होने दी। दस की मांग रखी तो पन्द्रह दिए। मां-बाप के इस प्यार, विश्वास और छूट का शालिनी ने कभी गलत फायदा नहीं उठाया।

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यूपीएएससी की तैयारी भी शुरू कर दी

होनहार शालिनी की स्कूली शिक्षा धर्मशाला के डीएवी स्कूल से हुई, इसके बाद उन्होंने हिमाचल यूनिवर्सिटी से एग्रीकल्चर में स्नातक की डिग्री ली। फिर एमएससी करने के दौरान उन्होंने यूपीएएससी की तैयारी भी शुरू कर दी।

इसके बाद जहां यूपीएससी के कैंडिडेट्स इतना ज्यादा सपोर्ट की जरूरत महसूस करते हैं कि उनके मां-बाप या परिवार कदम-कदम पर संबल बनकर खड़े रहते हैं, वहीं शालिनी अलग थी।

उन्होंने अपने घर में किसी को इस परीक्षा की तैयारी के बारे में नहीं बताया। शालिनी को ऐसा लगता था कि इतनी कठिन परीक्षा है कि अगर पास नहीं हुयी तो कहीं घरवाले निराश न हों।

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भाई-बहन भगवान का आर्शीवाद

लेकिन फिर भी कॉलेज के बाद शालिनी यूपीएससी की तैयारी करती थी। न कोचिंग ली उन्होंने, न ही किसी बड़े शहर का रुख किया। उनके यूनिवर्सिटी हॉस्टल में एक अजब सा सुकून और शांति रहती थी। शालिनी को पढ़ायी के लिये ये माहौल श्रेष्ठ लगता था, जिसका उन्होंने भरपूर फायदा उठाया।

जिसके चलते शालिनी ने मई 2011 में परीक्षा दी और 2012 में इंटरव्यू का रिजल्ट भी आ गया। शालिनी ने 285वीं रैंक के साथ यूपीएससी की परीक्षा पास कर ली।

अब जो वे हमेशा से चाहती थी उन्होंने इंडियन पुलिस सर्विस चुनी और आगे चलकर एक कड़क पुलिस अफसर साबित हुई। बता दें, शालिनी की बड़ी बहन डॉक्टर हैं और भाई एनडीए पास करके आर्मी में हैं। मां-बाप के ये तीनों भाई-बहन भगवान का आर्शीवाद साबित हुए।

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