जगनमोहन जल्द ले सकते हैं बड़ा फैसला, इंडिया गठबंधन के साथ आए तो बदल जाएगा राज्यसभा का गणित
Jagan Mohan Reddy: आंध्र प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और वाईएसआर कांग्रेस पार्टी के मुखिया जगनमोहन रेड्डी आने वाले दिनों में इंडिया गठबंधन का दामन थाम सकते हैं।
Jagan Mohan Reddy: लोकसभा चुनाव के बाद एनडीए और इंडिया गठबंधन के बीच संसद में लगातार जोर आजमाइश का दौर चल रहा है। इंडिया गठबंधन संसद में पूरी तरह एकजुट दिख रहा है और अब राज्यसभा में उसकी ताकत काफी बढ़ सकती है। नए सियासी घटनाक्रम में एक बड़ा क्षेत्रीय राजनीतिक दल इंडिया गठबंधन की ओर झुकता हुआ दिख रहा है। आंध्र प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और वाईएसआर कांग्रेस पार्टी के मुखिया जगनमोहन रेड्डी आने वाले दिनों में इंडिया गठबंधन का दामन थाम सकते हैं।
जगन मोहन रेड्डी ने आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू के खिलाफ मोर्चा खोल रखा है और इस लड़ाई में उन्हें इंडिया गठबंधन में शामिल दलों का समर्थन मिल रहा है। यदि रेड्डी ने इंडिया गठबंधन में शामिल होने का फैसला किया तो इसका राज्यसभा के नंबर गेम पर काफी बड़ा असर पड़ेगा क्योंकि राज्यसभा में उनके पास 11 सांसदों की ताकत है।
इंडिया गठबंधन ने दिया जगनमोहन का साथ
पूर्व मुख्यमंत्री जगन मोहन रेड्डी ने बुधवार को आंध्र प्रदेश की चंद्रबाबू नायडू सरकार के खिलाफ दिल्ली के जंतर-मंतर पर धरना दिया था। उन्होंने चंद्रबाबू नायडू की सरकार पर बदले की भावना से काम करने का आरोप लगाया और कहा कि राज्य में अपराध व बर्बरता की कहानी शुरू हो गई है। राज्य में लोकतंत्र पूरी तरह खत्म हो गया है। जगनमोहन के धरने का सबसे उल्लेखनीय पहलू यह रहा कि उन्हें इंडिया गठबंधन के नेताओं का पूरा समर्थन मिला।
जगन मोहन रेड्डी को समर्थन देने के लिए समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव अपने चाचा रामगोपाल यादव के साथ पहुंचे। अखिलेश यादव के अलावा इंडिया एयरलाइंस के कई अन्य नेता भी धरना स्थल पर पहुंचे। इन नेताओं में शिवसेना (यूबीटी) के नेता संजय राउत, प्रियंका चतुर्वेदी और अरविंद सावंत शामिल थे। टीएमसी के नजीबुल हक,झामुमो के विजय हांसदा, आम आदमी पार्टी के राजेंद्र पाल गौतम और अन्नाद्रमुक के थंबी दुरई भी जगनमोहन का साथ देने के लिए जंतर-मंतर पहुंचे।
जगन मोहन ले सकते हैं बड़ा फैसला
इसके बाद सियासी हल्कों में जगन मोहन रेड्डी को लेकर चर्चाओं का बाजार गरम हो चुका है। सियासी जानकारों का मानना है कि आंध्र प्रदेश में बदले सियासी समीकरण को देखते हुए जगनमोहन रेड्डी इंडिया गठबंधन में शामिल हो सकते हैं। उन्हें अगले पांच वर्षों के दौरान चंद्रबाबू नायडू के खिलाफ लड़ाई लड़नी है और इस लड़ाई में उन्हें विपक्षी दलों के समर्थन की दरकार है।
ऐसे में वे बड़ा फैसला ले सकते हैं। वैसे मोदी सरकार के पिछले कार्यकाल के दौरान उन्होंने कई नाजुक मौकों पर मोदी सरकार का साथ देकर भाजपा की नैया पार लगाई थी। अब जगन मोहन रेड्डी के सबसे बड़े विरोधी चंद्रबाबू नायडू एनडीए में शामिल हैं और ऐसे में जगनमोहन के लिए संभावनाएं पूरी तरह खत्म हो गई हैं।
राज्यसभा में पलट जाएगा गेम
यदि जगनमोहन ने इंडिया गठबंधन में शामिल होने का फैसला किया तो संसद में विपक्ष की ताकत काफी बढ़ जाएगी। वाईएसआर कांग्रेस पार्टी के लोकसभा में चार और राज्यसभा में 11 सांसद हैं। जगन मोहन के साथ आने से लोकसभा में भले ही ज्यादा असर न पड़े मगर राज्यसभा में इसका काफी असर दिखेगा। 11 सांसदों की ताकत बढ़ने के बाद राज्यसभा में विपक्ष की आवाज काफी बुलंद हो जाएगी। इससे उच्च सदन में इंडिया गठबंधन को काफी मजबूती मिलेगी।
राज्यसभा में कुल 245 सीटें हैं और मौजूदा समय में इनमें से 19 सीटें रिक्त हैं। ऐसे में उच्च सदन की कुल स्ट्रैंथ फिलहाल 226 है। ऐसे में राज्यसभा में संसद का जादुई आंकड़ा 113 हो जाता है। एक अंग्रेजी अखबार में छपी रिपोर्ट के मुताबिक मौजूदा समय में भारतीय जनता पार्टी की अगुवाई वाले एनडीए गठबंधन के पास बहुमत के आंकड़े से 13 सीटें कम हैं।
राज्यसभा में भाजपा के पास अभी तक 86 सांसदों की ताकत थी। अब एक मनोनीत सांसद सतनाम सिंह संधू के शामिल हो जाने से यह संख्या बढ़कर 87 हो गई है। उच्च सदन में एनडीए के पास कुल 102 सांसदों की ताकत है।
मोदी सरकार की राह होगी मुश्किल
दूसरी ओर यदि विपक्षी इंडिया गठबंधन की बात की जाए तो गठबंधन के पास 87 सांसदों की ताकत है। इनमें कांग्रेस के 26 और तृणमूल कांग्रेस के 13 सांसद हैं। आम आदमी पार्टी और डीएमके के पास 10-10 सांसदों की ताकत है।
ऐसे में यदि वाईएसआर कांग्रेस ने इंडिया गठबंधन में शामिल होने का फैसला किया तो विपक्षी गठबंधन की ताकत काफी बढ़ जाएगी क्योंकि वाईएसआर कांग्रेस के पास 11 सांसद हैं। यदि ऐसा होता है तो राज्यसभा में मोदी सरकार के लिए किसी भी बिल को पास करना आसान नहीं रह जाएगा क्योंकि अब बीजू जनता दल भी पूरी तरह भाजपा के खिलाफ हो चुका है।
वैसे जगन मोहन रेड्डी ने अभी तक अपने पत्ते नहीं खोले हैं। वे सियासी हालत का आकलन करने में जुटे हुए हैं मगर जानकारों का कहना है कि उनके पास अब दूसरा कोई विकल्प भी नहीं दिख रहा है। ऐसे में माना जा रहा है कि वे जल्द ही कोई बड़ा फैसला ले सकते हैं।