'कोरोना वैक्सीन नहीं लगवाई तो सैलरी नहीं दी जाएगी' वाले आदेश पर मचा बवाल
प्रशासन का उद्देश्य प्रत्येक सेंटर पर 100-100 लोगों को वैक्सीन लगाना है। शनिवार के दिन कोडरमा के दो वैक्सीन सेंटरों पर बेहद कम लोग कोरोना का टीका लगवाने के लिए पहुंचे थे।
कोडरमा: देशभर में कोरोना वैक्सीनेशन की शुरुआत हो गई हैं। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने पहले ही ये बात साफ कर दी गई है कि वैक्सीन लगवाना एक स्वैच्छिक प्रक्रिया है।
जो व्यक्ति अपनी स्वेच्छा से इसे लगवाना चाहेगा उसे ही वैक्सीन दी जाएगी। किसी को भी वैक्सीन लगवाने के लिए बाध्य नहीं किया जाएगा।
अगर किसी ने पहले से रजिस्ट्रेशन भी करा लिया है तब भी ये व्यक्ति की मर्जी है कि उसे वैक्सीन लगवानी है या नहीं।
लेकिन झारखंड में एक अलग ही तरह का मामला सामने आया है।
रिपोर्ट्स के मुताबिक कोडरमा जिले में वरिष्ठ स्वास्थ्य अधिकारियों ने एक ऑर्डर जारी कर दिया था कि अगर किसी सरकारी कर्मचारी ने वैक्सीन नहीं लगवाई और बचने की कोशिश की तो सैलरी होल्ड पर रख ली जाएगी और तब तक सैलरी नहीं दी जाएगी जब तक कि वैक्सीन नहीं लगवा ली जाती। लेकिन जब इस आदेश पर बवाल मचने लगा तो रविवार के दिन विभाग ने ये नोटिस वापस ले लिया।
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आदेश में लिखी थी ये बातें
स्वास्थ्य विभाग की तरफ से जारी आदेश में लिखा था कि सैलरी तभी दी जाएगी जब वैक्सीन लगवाने का प्रमाण प्रस्तुत कर दिया जाएगा।
स्वास्थ्य विभाग के प्रधान सचिव, नितिन कुलकर्णी ने भी इस बात पुष्टि की है कि इस तरह का नोटिस विभाग के अधिकारियों द्वारा जारी किया गया था लेकिन उसे बाद में वापस ले लिया गया है।
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बवाल मचने पर स्वास्थ्य विभाग ने दी ये सफाई
सूत्रों के मुताबिक़ ये ऑर्डर तब पारित किया गया था जब शनिवार के दिन कोडरमा के दो वैक्सीन सेंटरों पर बेहद कम लोग कोरोना टीका लगवाने के लिए पहुंचे थे। प्रशासन का उद्देश्य प्रत्येक सेंटर पर 100-100 लोगों को वैक्सीन लगाना है।
स्वास्थ्य विभाग के प्रधान सचिव, नितिन कुलकर्णी ने बताया कि 'बीते दिन राज्य के 48 केन्द्रों पर करीब 3200 स्वास्थ्यकर्मियों को कोरोना टीका लगाया गया। और किसी भी स्वास्थ्यकर्मी को वैक्सीन की वजह से किसी भी तरह का का कोई भी साइड इफेक्ट नहीं हुआ।
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