किसानों का महाराष्ट्र बंद जारी, आम आदमी का मिल रहा समर्थन

Update:2017-06-05 15:17 IST

मुंबई : महाराष्ट्र में छिटपुट हिंसक घटनाओं के बीच किसानों की हड़ताल लगातार पांचवें दिन जारी है। किसान संगठनों ने सोमवार को पहली बार 'महाराष्ट्र बंद' का आह्वान कर रखा है। इस बंद को सत्तारूढ़ पार्टी की सहयोगी शिवसेना, विपक्षी कांग्रेस, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी, किसान और श्रमिक पार्टी, वाम दलों, विभिन्न ट्रेड यूनियनों, गैर-सरकारी संगठनों के साथ ही अन्य किसान समूहों ने समर्थन किया है। इस दौरान बाजार, स्थानीय बाजार और साप्ताहिक बाजार बंद रहेंगे।

गोकुल डेयरी जैसे प्रमुख दूध आपूर्तिकर्ताओं ने फल और सब्जियों के किसानों के साथ हड़ताल में भाग लिया है, लेकिन मुंबई में दुग्ध महासंघ सोमवार के बंद से अलग है।

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पुलिस बंद से प्रभावित ज्यादातर ग्रामीण और अर्ध-शहरी इलाकों में सख्त निगरानी रख रही है, इसके बावजूद वाहनों का आवागमन रोकने के लिए सड़कों पर ट्रक टायर जलाने जैसी छोटी-छोटी घटनाएं हुई हैं।

नासिक में किसानों ने मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस पर 'धोखाधड़ी' का आरोप लगाया और विरोध में सोमवार को उनका पुतला जलाया। इसके अलावा पुणे, औरंगाबाद, धुले, सांगली, अहमदनगर, परभणी, सोलापुर, उस्मानाबाद और कोल्हापुर में सड़क जाम कर जुलूस निकाले जा रहे हैं।

मुंबई, पुणे, ठाणे, नवी मुंबई, औरंगाबाद, नागपुर जैसे शहरी और अन्य अर्ध-शहरी केंद्र इस बंद के दायरे से बाहर हैं, हालांकि बंद के कारण ये इलाके रोजमर्रा की जरूरत की चीजों की कमी और कीमतों में वृद्धि से प्रभावित हैं।

राज्य के विभिन्न किसान समूहों का नेतृत्वकर्ता संगठन किसान क्रांति द्वारा आहूत यह बंद एक एक जून से जारी किसानों की हड़ताल में तेजी लाने के हिस्से के रूप में है।

इस हड़ताल के तहत मंगलवार को सभी सरकारी कार्यालयों को बंद कराने और उसके बाद विधायकों और मंत्रियों के कार्यालयों का घेराव करने की योजना है।

परेशान फिर भी किसानों के पक्ष में :

शालिनी उज्जैनकर ने कहा कि हमें दिक्कत तो हो रही है लेकिन हम किसानों के दर्द को समझते हैं, हम उनके इस संघर्ष में उनके साथ है।

नेहा सिंह कहती हैं, कि जब सरकार किसानों की नहीं सुन रही है, तभी वो ऐसा कर रहे हैं, वर्ना कोई क्यों हड़ताल करेगा। मै क्या पूरी मुंबई उनके साथ है।

आईना कहती है, राज्य और देश की सरकार को समझना चाहिए की गांव में रहने वाले किसान सर्दी-गर्मी सहते हैं। हाड़तोड़ मेहनत करते हैं तब जाकर सब्जियां और फल उगते हैं। ऐसे में उन्हें कोई शौक नहीं है उन्हें बर्बाद करने का। जब लागत ही नहीं निकलेगी तो बेचारे क्या करेंगे, कोई हो न हो मै तो उनके साथ हूँ।

वंदना कहती हैं, किसान खून के आसूं रो रहा है, हमारे नेता एसी में मजे ले रहे हैं, अन्नदाता उन्हें माफ नहीं करेगा।

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