दुनियाभर के लिए मिसाल बना केरल: इन रणनीतियों से नहीं मिले कोरोना के नए मरीज
देश में कोरोना वायरस का प्रकोप जारी है। वहीं इन सबके बीच कोरोना पर नियंत्रण पाकर केरल ना केवल देश बल्कि दुनिया के लिए भी एक मिसाल साबित हुआ है।
नई दिल्ली: देश में कोरोना वायरस का प्रकोप जारी है। जिलों को रेड और ऑरेंज जोन से ग्रीन जोन में लाने के लिए सरकार की तरफ से लगातार एक्शन लिए जा रहे हैं। वहीं इन सबके बीच कोरोना पर नियंत्रण पाकर केरल ना केवल देश बल्कि दुनिया के लिए भी एक मिसाल साबित हुआ है। वहां पर हाल में कोई भी कोरोना के नए केस सामने नहीं आए हैं और साथ ही वहां पर रिकवरी रेट भी काफी ज्यादा बढ़ी है। अब राज्य में केवल 102 एक्टिव केसेस ही बचे हैं। तो चलिए आपको बताते हैं कि केरल सरकार ने किस तरह से अपने राज्य में कोरोना को काबू पाया है।
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केरल में पहले ही लागू हुआ लॉकडाउन
केरल में देशव्यापी लॉकडाउन का एलान होने से एक दिन पहले ही लॉकडाउन लागू कर दिया गया था। राज्य में आक्रामक तरीके से आइसोलेशन और क्वारनटीन जैसे कदम उठाए गए। इसके बाद ऐसे लोगों की ट्रेसिंग शुरु की गई जो कोरोना पॉजिटिव मरीजों के संपर्क में आए थे। साथ ही विदेशों से आए लोगों के रुट मैप तैयार किए गए। कोरोना वायरस को कंट्रोल करने के लिए टेस्टिंग अभियान को बड़े स्तर पर चलाया गया। इसके साथ ही राज्य के सभी जिलों में COVID- 19 केयर सेंटर बनाए गए।
ट्रेसिंग और टेस्टिंग पर जोर
केरल कभी उन राज्यों की लिस्ट में शामिल था, जहां पर कोरोना के सबसे ज्यादा केस थे। लेकिन समय रहते ही राज्य ने ट्रेसिंग और टेस्टिंग पर ध्यान देते हुए आज कोरोना की स्थिति को काबू कर लिया है। वहां ना केवल अब कोरोना के मामले कम हो रहे हैं, बल्कि तेजी से रिकवरी रेट भी बढ़ा है। हर 10 लाख व्यक्तियों पर राज्य में 400 टेस्ट का आंकड़ा सामने आया। जो दूसरे राज्यों के मुकाबले कई ज्यादा था।
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बुजुर्गों का रखा गया विशेष ध्यान
इसके अलावा केरल में बुजुर्गों और विशेष जरुरतों वाले लोगों का विशेष ध्यान रखा गया। स्वास्थ्य कर्मियों ने ऐसे लोगों के सहयोग पर खास ध्यान दिया। साथ ही काउंसलरों ने 3 लाख 40 हजार से ज्यादा लोगों को फोन कॉल्स किए और ऐसे लोगों को तनाव और संक्रमण से बचाव के तरीकों के बारे में समझाया। ऐसे वक्त में स्थानीय हेल्पलाइनों और वॉट्सएप ग्रुप के जरिए ग्रामीण इलाकों के लोगों से जुड़ाव बनाकर रखा गया। इसी का नतीजा रहा कि राज्य में 90 फीसदी मरीजों की उम्र 60 साल से कम दिखी।
केरल ने इस तरह से महामारी को नियंत्रित करके दुनिया के लिए मिसाल के तौर पर उभरा है। दिल्ली स्थित स्वास्थ्य संबंधी थिंक टैंक के प्रमुख ओमेन सी कुरियन ने लिखा कि केरल के मजबूत स्वास्थ्य सुरक्षा सिस्टम और लोकतांत्रिक समाजवादी व्यवस्था को श्रेय दिया जाना चाहिए।
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राज्य भर में चलाई गई सामुदायिक रसोई
केरल में समाजवादी व्यवस्था का ही उदाहरण रहा कि पूरे राज्य में सामुदायिक रसोई में चली। भर में चली सामुदायिक रसोई से ही 1200 से ज्यादा लोगों को रोजाना मुफ्त में भोजन उपलब्ध कराया गया। राज्यभर में 1 लाख से अधिक लोगों को घरों में या किसी विशेष स्थानों पर आइसोलेट रखा गया। साथ ही यह भी सुनिश्चित किया गया कि ग्रामीणों को दवाएं और इलाज बराबर मिलती रहे।
केरल ने अतीत से लिया सबक
बता दें कि राज्य में कोरोना वायरस के खिलाफ जनवरी से ही जंग छिड़ गई थी। जबकि देश में मार्च से ठोस कदम उठाए गए। दरअसल केरल ने साल 2018 में निपाह वायरस का प्रकोप झेला था, इसलिए राज्य ने अतीत से सबक लेते हुए कोरोना के खिलाफ जंग पहले ही छेड़ दी। साथ ही कोरोना के लिए अपने हॉस्पिटल्स को तैयार किया और कॉंटैक्ट ट्रेसिंग, आइसोलेशन व टेस्ट रणनीति संबंधी असरदार निर्देश जारी किए।
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