देसी बहू बनीं सोनिया क्यों नहीं मनाती हैं अपना जन्मदिन, जानिए क्या है राज
कांग्रेस के उत्तर प्रदेश प्रशासन प्रभारी सिद्धार्थ प्रिय श्रीवास्तव भी कहते हैं कि भारतीय जनमानस के साथ उन्होंने अपना गहरा रिश्ता बनाया है। हमारे संस्कारों में त्याग को बड़ा गुण माना गया है।
लखनऊ: कोरोना महामारी से जूझ रहे देशवासियों की संवेदनाओं से अपने को जोड़ते हुए कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने इस बार भी अपना जन्मदिन मनाने से इनकार कर दिया है। पिछले साल हैदराबाद के डॉ प्रियंका दुष्कर्म व हत्याकांड के बाद भी उन्होंने अपना जन्मदिन नहीं मनाया था। विदेशी बहू से देसी बहू बनने के लिए सोनिया ने हिंदी बोलने से लेकर साड़ी बांधने तक के संस्कारों से अपने को जोड़ रखा है। ऐसे में उनका जन्मदिन नहीं मनाने का इरादा भी भारतीय जनमानस की संवेदनाओं से संवाद का जरिया बन रह है। कांग्रेस नेताओं का मानना है कि सोनिया गांधी का जीवन भारतीय संस्कारों में रच-बस गया है इसलिए उन्हें लोगों के कष्ट से पीड़ा होती है।
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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने फोन पर बात कर उन्हें जन्मदिन की शुभकामना दी है
एक साल पहले देश में उन्नाव के माखी दुष्कर्म कांड और हैदराबाद की डॉ प्रियंका के साथ सामूहिक दुष्कर्म व जलाकर हत्या की घटना ने पूरे देश को झकझोर दिया था। तब सोनिया गांधी ने नौ दिसंबर को अपना जन्मदिन मनाने से यह कहकर इनकार कर दिया था कि जब देश की महिलाएं आहत महसूस कर रही हैं तो वह जन्मदिन की खुशी कैसे मना सकती हैं। एक साल बाद भी उन्होंने कोरोना महामारी व किसानों के संघर्ष को देखते हुए अपना जन्मदिन मनाने से मना कर दिया है। यह अलग बात है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने फोन पर बात कर उन्हें जन्मदिन की शुभकामना दी है।
भारत के रंग में रंगती गई हैं सोनिया
कांग्रेस के नेताओं का मानना है कि सोनिया गांधी भारत में आने के बाद धीरे-धीरे भारतीयता के रंग में रंगती चली गई हैं। जब तक राजीव गांधी जीवित थे तब तक वह केवल गांधी परिवार की बहू के रूप में ही दिखीं लेकिन बाद में जब उनको अपने बच्चों के साथ ही कांग्रेस को संभालने की जिम्मेदारी उठानी पड़ी तो वह धीरे-धीरे भारतीय संस्कारों में उतरती चली गईं। कांग्रेस प्रवक्ता डॉ उमाशंकर पांडेय कहते हैं कि उन्होंने देश के लोगों से सीधा संवाद करने के लिए हिंदी भाषा सीखी। इसके साथ ही उन्होंने भारतीय समाज और परिवेश को देखते हुए हमेशा साड़ी पहनने पर जोर दिया। राजीव गांधी के नहीं रहने के बाद वह कभी साड़ी के बगैर नहीं दिखीं जबकि भारत में इसी दौरान महिलाओं में विदेशी परिधान पहनने का चलन खूब बढ़ा है।
भारतीय जनमानस के साथ उन्होंने अपना गहरा रिश्ता बनाया है
कांग्रेस के उत्तर प्रदेश प्रशासन प्रभारी सिद्धार्थ प्रिय श्रीवास्तव भी कहते हैं कि भारतीय जनमानस के साथ उन्होंने अपना गहरा रिश्ता बनाया है। हमारे संस्कारों में त्याग को बड़ा गुण माना गया है। इंदिरा गांधी की बहू के तौर पर उन्होंने मुश्किल दौर से कांग्रेस को निकाला और अपने बच्चों को भी पाल-पोसकर बड़ा किया। यह ठीक वैसा ही है जैसा हमारे गांव-समाज में किसी महिला को अपनी पूरी जिम्मेदारी संभालनी पड़ती है।
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इसी तरह उन्होंने कांग्रेस व देशहित में विद्वान अर्थशास्त्री मनमोहन सिंह को प्रधानमंत्री बनाया जिससे देश की अर्थव्यवस्था में सुधार हुआ। यही वजह है कि पूरे देश में उनकी स्वीकार्यता बढ़ी है। कांग्रेस का कार्यकर्ता आज उनका जन्मदिन मनाने के लिए बेताब हो रहा है लेकिन उन्होंने कहा है कि जब किसान परेशान है। सड़क पर भूखा-प्यासा बैठा है। कोरोना से लोगों की जान जा रही है तो उनके जन्मदिन की खुशी नहीं मनाई जा सकती है।
रिपोर्ट- अखिलेश तिवारी
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