लॉकडाउन: घर जाना है जरूरी, पैदल चलना है मजबूरी
ना खाने के लिए जेब में पैसे हैं और ना चलने के लिए कोई साधन अब ऐसे समय में लोग अपने घरों को कैसे पहुंचे घर की याद भी सता रही है और पेट भी भूखा है। ऐसा ही कुछ नजारा यूपी हरियाणा की सीमा से सटे जनपद बागपत में देखने को मिला जहां...
नई दिल्ली: ना खाने के लिए जेब में पैसे हैं और ना चलने के लिए कोई साधन अब ऐसे समय में लोग अपने घरों को कैसे पहुंचे घर की याद भी सता रही है और पेट भी भूखा है। ऐसा ही कुछ नजारा यूपी हरियाणा की सीमा से सटे जनपद बागपत में देखने को मिला जहां सैकड़ों लोग पैदल अपने गंतव्य को चल रहे हैं कोई पंजाब से आ रहा है। कोई हरियाणा से आ रहा है तो कोई राजस्थान से किसी को एटा जाना है तो किसी को बदायू जाना है और किसी को अलीगढ़ लेकिन कोई साधन न होने के कारण 3 दिन से लोग पैदल चल रहे हैं।
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भूखे और प्यासे है लेकिन इन लोगों को बागपत पहुंचने पर बहुत राहत महसूस हुई और लोगों ने अपनी जुबान से भी कहा कि थैंक्यू बागपत पुलिस। पुलिस एक ऐसा नाम जिसे खलनायक के रूप में देखा जा रहा था आज वह नायक के रूप में दिखाई दी है पैदल चल रहे लोगों को उनके घर तक पहुंचाने के लिए जहा साधन की व्यवस्था कर रही है। वही पेट की भूख को शांत करने के लिए भोजन भी करा रही है। सभी लोगों को एक मंदिर में इकट्ठा किया गया है उसमें मुस्लिम भी है सीख भी है ईसाई भी हैं और हिंदू भी है।
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ना कोई जात है ना कोई धर्म है एक धर्म है केवल इंसानियत। सभी लोग मंदिर के द्वार पर बैठे हैं जिनकी संख्या लगभग 158 है और अपने घर जाने के लिए संसाधन का इंतजार कर रहे है। जिनके लिए बागपत प्रशासन ने अब बड़ौत, खेकड़ा व बागपत तीन अलग अलग जगहों पर रहने, खाने-पीने की व्यवस्था कर दी है। और इन्हें अब प्रशाशन द्वारा बसों में इनके घर तक भी छोड़ा जा रहा है।
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