रेलवे का ऐलान: घर वापसी कर रहे मजदूरों के लिए बड़ी खबर, किया स्पष्ट

प्रवासी मजदूरों, तीर्थयात्रियों, पर्यटकों, छात्रों और अन्य व्यक्तियों को उनके गन्तव्य पहुंचाने के लिए स्पेशल ट्रेनें चलाई गई हैं। हालांकि ट्रेन में सफर करने के लिए किसी को टिकट जारी नहीं किया जा रहा है।

Update:2020-05-02 15:02 IST
रेलवे

नई दिल्ली: कोरोना वायरस के बढ़ते मामलों को देखते हुए और इसके रोकथाम के लिए सरकार ने देशव्यापी की अवधि को 2 हफ्तो तक बढ़ाने का फैसला किया है। अब इस 17 मई तक बढ़ा दिया है। अब इस बीच मोदी सरकार ने शुक्रवार को लॉकडाउन में फंसे लोगों को उनके गृह राज्य पहुंचाने के लिए ट्रेनों को चलाने की अनुमति दे दी है। इसके साथ ही रेल मंत्रालय ने ‘श्रमिक स्पेशल ट्रेन’ चलाए जाने की घोषणा की है। ये स्पेशल ट्रेनें चुनिंदा रूट पर ही चलाई जा रही हैं।

रेलवे लोगों से नहीं ले रहा टिकट के पैसे

प्रवासी मजदूरों, तीर्थयात्रियों, पर्यटकों, छात्रों और अन्य व्यक्तियों को उनके गन्तव्य पहुंचाने के लिए ये स्पेशल ट्रेनें चलाई गई हैं। हालांकि ट्रेन में सफर करने के लिए किसी को टिकट जारी नहीं किया जा रहा है। यानि यात्रियों से टिकट के पैसे नहीं लिए जा रहे हैं।

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रेलवे की ओर से खर्च का पैसा कौन देगा?

इसके अलावा फंसे हुए लोगों को ट्रेन में खाने-पीने का सामान भी फ्री में ही दिया जा रहा है। ऐसे में अब सवाल ये उठता है कि रेलवे की ओर से किए जा रहे खर्च के पैसे कौन देगा। इस सवाल के जवाब में रेलवे का कहना है कि किराया संबंधित राज्य सरकारों से लिए जाएंगे।

इस किराए में ये सब होगा शामिल

रेलवे द्वारा दी गई जानकारी के मुताबिक, इस किराए में स्लीपर क्लास के टिकट की कीमत, सुपरफास्ट शुल्क 30 रुपये और प्रति यात्री भोजन व पानी के लिए 20 रुपये शामिल होंगे। इस किराए का भुगतान संबंधित राज्य सरकारों को करना होगा।

सोशल डिस्टेंसिंग और सैनेटाइजिंग का पूरा ख्याल रखेगा रेलवे

रेलवे की ओर से स्पष्ट किया गया है कि ट्रेन में 1000 से 2000 तक यात्रियों को ही बैठने की इजाजत है। रेलवे ट्रेनों में सोशल डिस्टेंसिंग और सैनेटाइजिंग का पूरा ख्याल रखेगी। हालांकि ये राज्य सरकारें ही तय करेंगी कि कौन-कौन से लोग ट्रेन में यात्रा कर सकते हैं।

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लॉकडाउन के बाद फंसे मजदूर व अन्य लोग

गौरतलब है कि 25 मार्च को देश में लॉकडाउन लागू होने के बाद हजारों की संख्या में प्रवासी अलग-अलग राज्यों और इलाकों में फंसे हुए हैं। अब सरकार ने उनके राज्य लौटने की अनुमति दे दी है। रेल मंत्रालय के मुताबिक गृह मंत्रालय के गाइडलाइन के मुताबिक प्रवासी मजदूरों, तीर्थयात्रियों, पर्यटकों, छात्रों और अन्य व्यक्तियों को अलग-अलग जगहों पर ले जाने के लिए एक मई मजदूर दिवस से ‘श्रमिक स्पेशल ट्रेन’ चलाने का निर्णय लिया गया है।

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6 श्रमिक स्पेशल ट्रेनें

मंत्रालय ने बताया कि इस दौरान 6 श्रमिक स्पेशल ट्रेन चलाई जाएंगी। इनमें लिंगमपल्ली से हटिया, अलुवा से भुवनेश्वर, नासिक से भोपाल, जयपुर से पटना, नासिक से लखनऊ और कोटा से हटिया के लिए श्रमिक स्पेशल ट्रेन चलाई जाएंगी।

प्वॉइंट-टू-प्वॉइंट तक चलाई जाएंगी ट्रेनें

रेल मंत्रालय के मुताबिक इन स्पेशल ट्रेनों को ऐसे फंसे हुए व्यक्तियों को लाने-ले जाने के लिए मानक प्रोटोकॉल के मुताबिक संबंधित प्रदेश सरकारों के अनुरोध पर ट्रेनें प्वॉइंट-टू-प्वॉइंट तक चलाई जाएंगी। रेलवे और राज्य सरकारें इन ‘श्रमिक स्पेशल ट्रेन’ के समन्वय और सुचारू संचालन के लिए वरिष्ठ अधिकारियों को नोडल अधिकारी नियुक्त करेंगी।

इन यात्रियों की मिलेगी यात्रा करने की इजाजत

यात्रियों को भेजने वाले राज्यों को उनकी जांच करनी होगी। इसके साथ ही केवल बिना लक्षण वाले यात्रियों को ही यात्रा की इजाजत दी जाएगी। प्रत्येक यात्री को अपना मुंह ढककर रखना होगा। इसके साथ ही भेजने वाले राज्यों के जरिए यात्रियों को मूल स्टेशन पर भोजन और पीने का पानी उपलब्ध कराना होगा।

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गंतव्य पर पहुंचने के बाद राज्य सरकारें यात्रियों को रिसीव करेगीं। इस दौरान रेलवे स्टेशन पर स्क्रीनिंग और स्टेशन से आगे की यात्रा का इंतजाम किया जाएगा, तो वहीं अगर जरूरी हो तो यात्रियों को क्वारनटीन भी किया जाएगा।

राज्य सरकार द्वारा किया गया चिह्नित और पंजीकृत

CPRO,मध्य रेलवे ने कहा कि स्पेशल ट्रेन उन व्यक्तियों के लिए चलाई गई हैं, जिन्हें राज्य सरकार द्वारा चिह्नित और पंजीकृत किया गया है। केवल उन यात्रियों को सफर करने की अनुमति होगी जिन्हें राज्य सरकार के अधिकारी स्टेशनों पर लाएंगे।अन्य किसी भी व्यक्ति को रेलवे स्टेशनों पर आने की अनुमति नहीं है।

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