Maharashtra News: महाराष्ट्र में इस बार नहीं होगा विपक्ष का नेता, मतदाताओं ने MVA के किसी भी दल को इतनी भी सीटें नहीं दीं
Maharashtra News: चुनाव नतीजे के मुताबिक महाविकास अघाड़ी गठबंधन में उद्धव ठाकरे की अगुवाई वाली शिवसेना को सबसे ज्यादा 20 सीटें मिली हैं। कांग्रेस सिर्फ 16 सीटों ही पर जीत सकी है जबकि शरद पवार की एनसीपी सिर्फ 10 सीटों पर ही सिमट गई है।;
Maharashtra News: महाराष्ट्र में देवेंद्र फडणवीस के मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने के बाद नई विधानसभा में विधायकों के शपथ ग्रहण की शुरुआत हो गई है। विधानसभा के स्पेशल सेशन के पहले दिन 173 विधायकों ने शपथ ली। समाजवादी पार्टी के टिकट पर चुनाव जीतने वाले दो विधायकों ने भी शपथ ली जबकि ईवीएम के मुद्दे पर विरोध जताते हुए विपक्ष के अधिकांश विधायकों ने शपथ नहीं ली।
वैसे इस बार के विधानसभा चुनाव में विपक्ष काफी कमजोर स्थिति में नजर आ रहा है। विपक्ष की कमजोर स्थिति को इस बात से भी समझा जा सकता है कि इस बार के विधानसभा चुनाव में महाविकास अघाड़ी गठबंधन (एमवीए) में शामिल किसी भी दल के नेता को विपक्ष के नेता का भी दर्ज नहीं मिलेगा। विपक्ष का कोई भी दल मुख्य विपक्षी दल बनने के लिए निर्धारित 29 सीटें भी नहीं जीत सका है।
विपक्षी के नेता बनने लायक सीटें भी नहीं मिलीं
महाराष्ट्र में विधानसभा चुनाव के नतीजे 23 नवंबर को घोषित किए गए थे जिसमें सत्तारूढ़ महायुति ने भारी बहुमत हासिल किया था। चुनाव नतीजे में विपक्ष को करारा झटका लगा था। महायुति ने राज्य की 230 विधानसभा सीटों पर जीत हासिल की है जबकि राज्य में बहुमत का आंकड़ा 145 का है। भाजपा ने अकेले 132 सीटों पर जीत हासिल की है जबकि एकनाथ शिंदे की अगुवाई वाली शिवसेना को 57 और अजित पवार की अगुवाई वाली एनसीपी को 41 सीटों पर जीत हासिल हुई है।
दूसरी और महाविकास अघाड़ी गठबंधन 46 सीटों पर ही अटक गया है जबकि अन्य को 12 सीटों पर जीत मिली है। नेता विपक्ष के पद पर दावा करने के लिए किसी भी पार्टी के पास दस फीसदी सीटें होना जरूरी है। महाराष्ट्र में विधानसभा की 288 सीटें हैं और ऐसे में नेता विपक्ष के पद पर दावा करने के लिए पार्टी के पास कम से कम 29 सीटों का होना जरूरी है। महाविकास अघाड़ी गठबंधन में शामिल किसी भी दल के पास इतनी भी सीटें नहीं है।
चुनाव नतीजे के मुताबिक महाविकास अघाड़ी गठबंधन में उद्धव ठाकरे की अगुवाई वाली शिवसेना को सबसे ज्यादा 20 सीटें मिली हैं। कांग्रेस सिर्फ 16 सीटों ही पर जीत सकी है जबकि शरद पवार की एनसीपी सिर्फ 10 सीटों पर ही सिमट गई है। ऐसे में इनमें से किसी भी दल के नेता को इस बार नेता विपक्ष का दर्जा नहीं मिलेगा। महाराष्ट्र के मतदाताओं ने किसी भी विपक्षी दल को मुख्य विपक्षी दल की हैसियत का दावा करने लायक भी नहीं छोड़ा है।
बाबरी विध्वंस से संबंधी विज्ञापन के बाद विपक्ष में फूट
वैसे इतनी कमजोर स्थिति में होने के बावजूद विपक्ष में एकजुटता नहीं दिख रही है। शनिवार को समाजवादी पार्टी ने एमवीए से अलग होने का ऐलान कर दिया। महाराष्ट्र में समाजवादी पार्टी के प्रमुख अबू आजमी ने कहा कि उद्धव ठाकरे की शिवसेना ने अयोध्या में बाबरी मस्जिद का विध्वंस करने वालों को बधाई देते हुए अखबार में विज्ञापन दिया था। बाद में उद्धव ठाकरे के एक निकट सहयोगी मिलिंद नार्वेकर ने इस विज्ञापन को पोस्ट करते हुए बाबरी मस्जिद का विध्वंस करने वालों की तारीफ की।
अबू आजमी ने कहा कि उद्धव ठाकरे की पार्टी के इस रुख से साफ हो गया है कि इस पार्टी और भाजपा में कोई फर्क नहीं है। ऐसे में एमवीए में रहने का कोई मतलब नहीं है और हम एमवीए से अलग हो रहे हैं। हमने इस संबंध में पार्टी प्रमुख अखिलेश यादव से बात की है।
सपा के इस रुख से साफ हो गया है कि विधानसभा चुनाव में बड़ी हार के बाद एमवीए में मतभेद पैदा हो गया है और आने वाले दिनों में एमवीए में शामिल दलों के बीच टकराव और बढ़ सकता है। शनिवार को इसका नजारा भी दिखा जब सपा के दोनों विधायकों अबू आजमी और रईस शेख ने शपथ ग्रहण की जबकि विपक्ष के अधिकांश विधायकों ने शपथ ग्रहण का बहिष्कार किया।