भंडारा अस्पताल हादसा: '21 मिनट' झुलसते रहे नवजात, अस्पताल को नहीं लगी भनक

सीसीटीवी फुटेज में दिखाई दे रहा है कि कमरे में करीब 21 मिनट तक बच्चे धुएं की वजह से चिल्लाते रहे, लेकिन कोई भी उन्हें बचाने के लिए कमरे में नहीं आया। यहां तक कि घटना के वक्त कोई कर्मचारी भी उस कमरे में मौजूद नहीं था।

Update:2021-02-10 11:45 IST
भंडारा अस्पताल हादसा: '21 मिनट' झुलसते रहे नवजात, अस्पताल को नहीं लगी भनक

भंडारा: भंडारा के जिला अस्पताल बीते महीने हुए भयानक हादसे में 10 नवजात शिशुओं की मौत हो गई थी। अब इस मामले में एक बड़ा खुलासा हुआ है। पुलिस की जांच में ये सामने आया है कि अस्पताल के अंदर बच्चे करीब 21 मिनट तक धुएं की वजह से चिल्लाते रहे, लेकिन उन्हें बचाने के लिए कोई भी सामने नहीं आया। इस बात का खुलासा सीसीटीवी फुटेज से हुआ है। बता दें कि इस मामले में अब तक स्थानीय पुलिस ने कोई एफआईआर दर्ज नहीं की है।

सीसीटीवी कैमरे को किया गया रिट्रीव

मामले में पुलिस का कहना है कि वो फॉरेंसिक डिपार्टमेंट से कुछ रिपोर्टों का इंतजार कर रहे हैं। हालांकि, एक सीसीटीवी को रिट्रीव किया गया है, जिसमें पूरी घटना साफ साफ दिखाई दे रही है। यह सीसीटीवी फुटेज उसी कमरे का है, जहां पर दस बच्चों ने दम तोड़ दिया था। सीसीटीवी फुटेज के मुताबिक, ये हादसा रात को करीब एक बजकर 40 मिनट पर हुई थी।

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21 मिनट तक नहीं बचाने आया कोई

सीसीटीवी फुटेज में दिखाई दे रहा है कि कमरे में करीब 21 मिनट तक बच्चे धुएं की वजह से चिल्लाते रहे, लेकिन कोई भी उन्हें बचाने के लिए कमरे में नहीं आया। यहां तक कि घटना के वक्त कोई कर्मचारी भी उस कमरे में मौजूद नहीं था। सूत्रों के मुताबिक, कलीना स्थित डायरेक्टर ऑफ फॉरेंसिक साइंस लैबोरेट्री ने अपनी रिपोर्ट में अस्पताल की गंभीर लापरवाही की ओर इशारा किया है।

(फोटो- सोशल मीडिया)

जिसके बाद भंडारा पुलिस ने कुछ और डीवीआर उन्हें भेज कर कुछ सवालों के जवाब मांगे हैं। बता दें कि घटना के बाद स्थानीय पुलिस ने कलीना एफएसएल तीन डीवीआर भेजे थे। पुलिस को SNCU के अंदर और बाहर के सीसीटीवी कैमरा के फुटेज चाहिए थे। एक डीवीआर से सीसीटीवी फुटेज हासिल करने में कामयाबी हाथ लगी है। यह फुटेज एसएनसीयू के अंदर का है।

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क्या कहना है पुलिस का?

महाराष्ट्र पुलिस के एक अधिकारी ने कहा कि सीसीटीवी रिपोर्ट के मुताबिक, यह साबित होता है कि आग लगने के समय नर्स अपने नर्सिंग स्टेशन से गायब थीं। वहीं अन्य स्टाफ को घटना की जानकारी आग लगने के 21 मिनट बाद पता चली। बच्चों के कमरे में भी कोई स्टाफ नहीं था, जो अस्पताल की लापरवाही साबित करता है। मामले में एफएसएल अपनी दूसरी रिपोर्ट इस हफ्ते के आखिर तक पेश कर सकता है।

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