Maharashtra Politics: महाराष्ट्र में नहीं खत्म हो रही महायुति में रार, विभाग बंटवारे के बाद अब प्रभारी मंत्री बनने के लिए खींचतान
Maharashtra Politics: भाजपा की ओर से इस विवाद को सुलझाने का दावा किया जा रहा है मगर जानकारों का मानना है कि तीनों दलों के मंत्रियों के बीच जिलों का बंटवारा आसान नहीं होगा।
Maharashtra Politics: महाराष्ट्र में महायुति की बड़ी जीत के बाद गठबंधन में शामिल दलों के बीच खींचतान खत्म होती नहीं दिख रही है। पहले मुख्यमंत्री पद को लेकर भाजपा और शिवसेना के शिंदे गुट के बीच खींचतान की स्थिति बनी रही। फिर देवेंद्र फडणवीस के मुख्यमंत्री बनने के बाद कैबिनेट विस्तार और मंत्रियों के विभागों को लेकर भी खींचतान का माहौल दिखा। आखिरकार मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने गृह मंत्रालय की एकनाथ शिंदे की मांग को दरकिनार करते हुए यह मंत्रालय अपने पास ही रखा है।
अब राज्य में विभिन्न जिलों के प्रभारी मंत्री बनने को लेकर तनातनी का माहौल दिख रहा है। दरअसल जिले के विकास और योजना के फंड पर प्रभारी मंत्री का ही नियंत्रण रहता है और यही कारण है कि महायुति में शामिल तीनों दलों के नेताओं के बीच प्रभारी मंत्री बनने की होड़ दिख रही है। हालांकि भाजपा की ओर से इस विवाद को सुलझाने का दावा किया जा रहा है मगर जानकारों का मानना है कि तीनों दलों के मंत्रियों के बीच जिलों का बंटवारा आसान नहीं होगा।
शिंदे गुट ने बढ़ाया फडणवीस पर दबाव
महाराष्ट्र में मंत्रियों के बीच विभागों का बंटवारा होने के बाद शिंदे गुट की ओर से प्रभारी मंत्री पद को लेकर दबाव बढ़ा दिया गया है। शिंदे गुट के मंत्री भारत गोगावले और संजय शिरसाट ने रायगढ़ और छत्रपति संभाजी नगर के प्रभारी मंत्री बनने के लिए अपनी दावेदारी ठोक दी है। फडणवीस सरकार में 42 मंत्रियों को शामिल किया गया है मगर महाराष्ट्र के 12 जिले ऐसे हैं जहां के किसी भी विधायक को मंत्री बनने का मौका नहीं मिला है।
दूसरी ओर महाराष्ट्र के कई जिले ऐसे भी हैं जहां से कई-कई विधायक फडणवीस सरकार में मंत्री बनने में कामयाब हुए हैं। ऐसे में विभिन्न जिलों के प्रभारी मंत्री बनने के लिए मंत्रियों के बीच तकरार की स्थिति दिख रही है।
रायगढ़ जिले में प्रभारी मंत्री बनने के लिए अदिति तटकरे की दावेदारी भी मानी जा रही है। ऐसे में उनकी गोगावले के साथ खींचतान तय मानी जा रही है। नासिक जिले पर एनसीपी की ओर से दावेदारी की जा रही है। एनसीपी के मंत्री माणिक राव कोकाते का कहना है कि इस जिले पर उनकी पार्टी की दावेदारी ज्यादा मजबूत है।
मुंबई को लेकर भी हो रही खींचतान
हालांकि भाजपा और शिंदे गुट की ओर से दावा किया जा रहा है कि प्रभारी मंत्री पद को लेकर पैदा हुए विवाद को सुलझा लिया जाएगा। राज्य भाजपा के चीफ चंद्रशेखर बावनकुले का कहना है कि सरकार इस तरह के किसी भी विवाद को सुलझाने में पूरी तरह सक्षम है। शिवसेना के मंत्री शंभूराज देसाई ने भी दावा किया है कि राज्य में मंत्रियों के विभागों और प्रभारी मंत्री पद को लेकर किसी भी प्रकार का कोई विवाद नहीं है। छोटी-मोटी बातें तो होती ही रहती हैं।
वैसे मुंबई में शिवसेना और एनसीपी का कोई भी मंत्री नहीं है। ऐसे में माना जा रहा है कि भाजपा के आशीष सेलार को मुंबई की जिम्मेदारी सौंपी जा सकती है। दूसरी ओर शिवसेना का कहना है कि उसके कम से कम एक मंत्री को मुंबई की जिम्मेदारी जरूर सौंपी जानी चाहिए।
स्वतंत्रता दिवस और गणतंत्र दिवस के मौके पर प्रभारी मंत्री को ही मुख्य अतिथि बनाया जाता है। इसके साथ ही जिले के विकास के फंड भी पर भी प्रभारी मंत्री का ही नियंत्रण रहता है। यही कारण है कि जिलों में प्रभारी मंत्री बनने के लिए नेताओं के बीच होड़ दिख रही है।
दबाव करने के मूड में नहीं दिख रही भाजपा
वैसे राज्य विधानसभा के चुनाव में 132 सीटों पर जीत हासिल करने के बाद भाजपा किसी भी प्रकार का दबाव मानने के मूड में नहीं दिख रही है। मुख्यमंत्री पद पर देवेंद्र फडणवीस की ताजपोशी के बाद विभागों के बंटवारे से भी यह बात साफ हो गई है। डिप्टी सीएम एकनाथ शिंदे ने गृह मंत्रालय पर निगाहें लगा रखी थीं मगर मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने यह मंत्रालय अपने पास ही रखा है।
डिप्टी सीएम एकनाथ शिंदे को शहरी विकास, आवास और लोक निर्माण विभाग की जिम्मेदारी सौंपी गई है। दूसरे डिप्टी सीएम अजित पवार को वित्त,योजना और राज्य उत्पाद शुल्क विभाग दिया गया है। वैसे शिंदे गुट की डिमांड के बावजूद यह बात पहले से ही तय मानी जा रही थी कि मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस गृह मंत्रालय अपने पास ही रखेंगे।