Major Train Accidents: इससे पहले भी इन रेल हादसों से दहल उठा था देश, लग गया था लाशों का अंबार

Major Train Accidents: देश में पहले भी रेल हादसे होते रहे हैं। हालांकि यह भी सच्चाई है कि हाल के वर्षों में ट्रेन हादसों में पहले की अपेक्षा कमी आई है।

Update:2023-06-03 13:17 IST
Major Train Accidents (photo: social media )

Major Train Accidents: ओडिशा के बालासोर जिले में शुक्रवार की शाम हुए रेल हादसे ने एक बार फिर सबको दहला दिया है। बालासोर के बहंगा रेलवे स्टेशन के पास कोरोमंडल एक्सप्रेस पटरी से उतर गई। ट्रेन के पटरी से उतरने के कारण करीब 12 डिब्बे दूसरे ट्रैक पर जा गिरे। इस बीच दूसरे ट्रैक पर आ रही यशवंतपुर सुपरफास्ट एक्सप्रेस भी उससे टकरा गई। इस भीषण रेल हादसे के बाद चारों ओर चीख-पुकार मच गई। ओडिशा के मुख्य सचिव प्रदीप जेना ने इस हादसे में अभी तक 233 लोगों की मौत की पुष्टि की है जबकि करीब 900 लोग घायल हुए हैं। अभी मृतकों की संख्या और बढ़ने की आशंका जताई जा रही है।

देश में पहले भी रेल हादसे होते रहे हैं। हालांकि यह भी सच्चाई है कि हाल के वर्षों में ट्रेन हादसों में पहले की अपेक्षा कमी आई है। ट्रेन दुर्घटनाओं के पीछे कई कारण माने जाते रहे हैं। मुख्य रूप से तकनीकी खराबी, मानवीय भूल, लापरवाही और खराब मौसम को ट्रेन हादसा का कारण माना जाता रहा है। वैसे तो देश में तमाम रेल हादसे होते रहे हैं, लेकिन यदि पिछले 10 वर्षों के समय को देखा जाए तो कई हादसों ने देशवासियों को दहला दिया था। पिछले 10 वर्षों के दौरान हुए प्रमुख हादसों का विवरण निम्नवत है।

पिछले दस साल के बड़े ट्रेन हादसे

13 जनवरी 2022- बीकानेर-गुवाहाटी एक्सप्रेस के डिब्बे न्यू डोमोहानी रेलवे स्टेशन के पास पटरी से उतर जाने के कारण नौ यात्रियों की मौत हो गई थी।

8 मई 2020-जालना और औरंगाबाद जिलों के बीच रेल की पटरियों पर सो रहे प्रवासी मजदूर एक मालगाड़ी की चपेट में आ गए थे। इस हादसे में 16 प्रवासी मजदूरों की मौत हो गई थी।

19 अक्टूबर 2018 - अमृतसर में दशहरा उत्सव के दौरान एक बड़ा ट्रेन हादसा हो गया था। रेल पटरियों पर खड़े होकर दशहरा उत्सव देख रहे दर्शकों को ट्रेन ने कुचल दिया था। इस हादसे में 59 लोगों की मौत हो गई थी जबकि जबकि करीब 100 लोग घायल हो गए थे।

19 अगस्त 2017 - उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर के पास खतौली में हुए ट्रेन हादसे में 23 लोगों की मौत हो गई थी। दरअसल पुरी-हरिद्वार कलिंग उत्कल एक्सप्रेस पटरी से उतर गई थी। इस हादसे में करीब 100 लोग घायल हुए थे।

21 जनवरी 2017- विजयनगर के पास कुनेरू में जगदलपुर-भुवनेश्वर हीराखंड एक्सप्रेस के पटरी से उतर जाने के कारण 41 लोगों को अपनी जान गंवानी पड़ी थी। इस ट्रेन हादसे में करीब 70 लोग घायल हुए थे।

20 नवंबर 2016 - इस दिन उत्तर प्रदेश में कानपुर से 60 किलोमीटर दूर पुखरायां में बड़ा रेल हादसा हुआ था। इंदौर-राजेंद्र नगर एक्सप्रेस के 14 डिब्बे पटरी से उतर जाने के कारण 152 लोगों की मौत हो गई थी। इस बड़े ट्रेन हादसे में ढाई सौ से अधिक लोग घायल हो गए थे।

13 फरवरी 2015 - बेंगलोर सिटी-एर्नाकुलम इंटरसिटी एक्सप्रेस पटरी से उतर गई थी। अनेकल के पास ट्रेन के 9 डिब्बों के पटरी से उतर जाने के कारण 12 यात्रियों की मौत हो गई थी। इस हादसे में 100 यात्री घायल हो गए थे।

20 मार्च 2015- इस दिन उत्तर प्रदेश में रायबरेली के पास बड़ा हादसा हुआ था। देहरादून-वाराणसी जनता एक्सप्रेस के पटरी से उतर जाने के कारण 58 यात्रियों की मौत हो गई थी जबकि 150 रेल यात्री घायल हो गए थे।

4 अगस्त 2015 - मध्य प्रदेश में कुरावन और भिरंगी स्टेशनों के बीच कामायनी एक्सप्रेस और जनता एक्सप्रेस के पटरी से उतर जाने के कारण 31 यात्रियों की जान चली गई थी जबकि सौ लोग हादसे में घायल हो गए थे।

26 मई 2014 - 12556 गोरखधाम एक्सप्रेस यूपी के खलीलाबाद स्टेशन के पास एक स्थिर मालगाड़ी से टकराई। जिसमें 25 लोगों की मौत हो गई और 50 से ज्यादा घायल हुए।

23 जुलाई 2014- नांदेड़-सिकंदराबाद पैसेंजर ट्रेन मेडक जिले के मसाईपेट गांव में एक मानव रहित लेवल-क्रॉसिंग पर एक स्कूल बस से टकरा गई थी। इस ट्रेन दुर्घटना में 20 रेल यात्रियों की जान चली गई थी।

19 अगस्त 2013- इस दिन बिहार में एक दर्दनाक रेल हादसा हुआ था। बिहार के धमारा रेलवे स्टेशन पर पटना राज्यरानी सुपरफास्ट एक्सप्रेस दूसरी ट्रेन से उतर रहे यात्रियों पर चढ़ गई। इस हादसे में 35 रेल यात्रियों की जान चली गई थी।

28 दिसंबर 2013-आंध्र प्रदेश के कोथा चेरुवु के पास हजूर साहिब नांदेड़ एक्सप्रेस में आग लग जाने के कारण 26 लोगों को अपनी जान गंवानी पड़ी थी। इस हादसे में 12 रेल यात्री गंभीर रूप से घायल भी हुए थे।

सबसे बड़ा रेल हादसा

वैसे यदि देश के सबसे बड़े रेल हादसे के बाद की जाए तो यह हादसा 6 जून 1981 को हुआ था। यात्रियों से खचाखच भरी 9 बोगियों वाली गाड़ी संख्या 416 डाउन पैसेंजर ट्रेन मानसी से सहरसा के लिए जा रही थी। यह ट्रेन बदला घाट और धमारा घाट स्टेशन के बीच पड़ने वाली बागमती नदी पर बने पुल संख्या-51 से गुजर ही रही थी, तभी बड़ा हादसा हुआ था। ट्रेन के पिछला हिस्साअलग होकर नदी में गिर गया था। बारिश के कारण बागमती का जलस्तर भी काफी बढ़ा हुआ था। ट्रेन के सात डिब्बों के नदी में डूब जाने के कारण हाहाकार मच गया था। चीख-पुकार पर भी यात्रियों को बचाने वाला वहां कोई नहीं था। आसपास के लोगों के घटनास्थल पर पहुंचने से पूर्व ही सैकड़ों लोगों की मौत हो गई थी।

इस हादसे को भारत का सबसे बड़ा और विश्व का दूसरा सबसे बड़ा रेल हादसा बताया गया। हादसे के कई दिनों बाद तक गोताखोरों की मदद से सर्च ऑपरेशन चलाया गया था। गोताखोरों की मदद से दो सौ से भी ज्यादा लाशें निकाली गई थीं। सरकारी आंकड़ों में इस हादसे में मरने वालों की संख्या 300 बताई गई थी जबकि आसपास के ग्रामीणों का कहना था कि इस हादसे में करीब 800 लोगों की मौत हुई थी।

इस हादसे के बाद किसी का कहना था कि तेज आंधी की वजह से हादसा हुआ तो किसी ने नदी में अचानक बाढ़ को हादसे का कारण बताया। कुछ लोगों का कहना था कि पुल पर आई एक गाय को बचाने के लिए ट्रेन ड्राइवर ने अचानक ब्रेक लगाया जिसकी वजह से इतना बड़ा रेल हादसा हुआ था।

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