नीति आयोग की बैठक से ममता- कैप्टन का किनारा, जानिए क्या है इसका कारण

तृणमूल कांग्रेस की मुखिया ममता बनर्जी ने नीति आयोग की बैठक में हिस्सा लेने से इनकार कर दिया। वहीं कांग्रेस शासित राज्य पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह भी बैठक में शामिल नहीं हुए।

Update: 2021-02-20 07:02 GMT

अंशुमान तिवारी

नई दिल्ली। केंद्र सरकार की ओर से पारित तीन नए कृषि कानूनों को लेकर चल रहे सियासी टकराव के बीच दो प्रमुख राज्यों के मुख्यमंत्रियों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ओर से बुलाई गई नीति आयोग की बैठक का बहिष्कार कर दिया है।

पश्चिम बंगाल में विधानसभा चुनाव के कारण भाजपा से सियासी जंग में उलझी तृणमूल कांग्रेस की मुखिया ममता बनर्जी ने नीति आयोग की बैठक में हिस्सा लेने से इनकार कर दिया। वहीं कांग्रेस शासित राज्य पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह भी बैठक में शामिल नहीं हुए। हालांकि उनके बैठक में शामिल होने का कारण उनकी अस्वस्थता को बताया गया। वैसे जानकारों का कहना है कि किसानों के मुद्दे पर चल रहे आंदोलन के कारण ही उन्होंने बैठक में हिस्सा नहीं लिया।

पश्चिम बंगाल में भाजपा से सियासी जंग

दरअसल, पश्चिम बंगाल में विधानसभा चुनाव की तारीख घोषित होने से पहले ही भाजपा और तृणमूल कांग्रेस के बीच जुबानी जंग काफी तेज हो चुकी है। हाल के दिनों में भाजपा ने तृणमूल कांग्रेस के कई नेताओं को तोड़कर पार्टी को करारा झटका दे दिया है।

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मुख्यमंत्री ममता बनर्जी भी इसे लेकर काफी नाराज भी हैं। वे भी राज्य में लगातार रैलियां करके भाजपा को जवाब देने की कोशिश में जुटी हुई हैं। भाजपा की ओर से पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जगत प्रकाश नड्डा और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने मोर्चा संभाल रखा है और दोनों लगातार पश्चिम बंगाल का दौरा करके ममता सरकार पर हमला करने में जुटे हुए हैं। ऐसे में ममता बनर्जी का नीति आयोग की बैठक में हिस्सा न लेना आश्चर्यजनक नहीं है।

ममता पहले भी कर चुकी हैं बहिष्कार

वैसे ममता बनर्जी पहले भी केंद्र सरकार की ओर से बुलाई गई नीति आयोग की बैठक का बहिष्कार कर चुकी हैं। उन्होंने इस बाबत पीएम मोदी को चिट्ठी भी लिखी थी। उनका कहना था कि नीति आयोग के पास न तो कोई वित्तीय अधिकार है और न उसके पास राज्य की योजनाओं को समर्थन देने की ताकत ही है। ऐसे में बैठक में भाग लेना किसी भी तरीके से फायदेमंद साबित नहीं होगा।

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उनका यह भी कहना था कि योजना आयोग के पास ज्यादा ताकत रही है। उन्होंने इसी आधार पर बैठक में हिस्सा लेने से इनकार कर दिया था। अब शनिवार को बुलाई गई बैठक में भी हिस्सा न लेकर उन्होंने भाजपा के नेतृत्व वाली एनडीए सरकार से जंग लड़ने का इरादा जता दिया है।

कृषि कानूनों को लेकर कैप्टन भी नाराज

किसान आंदोलन की सबसे ज्यादा आंच पंजाब और हरियाणा में महसूस की जा रही है। केंद्र सरकार की ओर से पारित तीन नए कृषि कानूनों के खिलाफ दिल्ली की सीमाओं पर डेरा डालने वाले किसानों में अधिकांश हरियाणा और पंजाब से जुड़े हुए हैं।

ऐसे में कैप्टन अमरिंदर सिंह का भी नीति आयोग की बैठक से किनारा करना अचरज का विषय नहीं है। कैप्टन अमरिंदर सिंह काफी दिनों से केंद्र सरकार से किसानों के हित में फैसला लेने की मांग करते रहे हैं।

बीमारी का बहाना, असली कारण नाराजगी

उनका कहना है कि केंद्र सरकार की ओर से पारित तीनों नए कृषि कानूनों को वापस लिया जाना चाहिए। उन्होंने पंजाब विधानसभा में इस बाबत प्रस्ताव भी पारित कराया है। माना जा रहा है कि केंद्र के रवैए के प्रति नाराजगी जताने के लिए कैप्टन अमरिंदर सिंह इस बैठक में हिस्सा लेने के लिए तैयार नहीं हुए।

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हालांकि इसके पीछे यह कारण बताया गया है कि उन्होंने अस्वस्थ होने के कारण बैठक में हिस्सा नहीं लिया। उनकी जगह बैठक में राज्य के वित्त मंत्री मनप्रीत सिंह बादल में हिस्सा नहीं लिया।

पिछले साल केंद्र सरकार की ओर से बुलाई गई नीति आयोग की बैठक में तीन मुख्यमंत्रियों ने हिस्सा नहीं लिया था। इन मुख्यमंत्रियों में ममता बनर्जी और कैप्टन अमरिंदर सिंह के अलावा तेलंगाना के मुख्यमंत्री के चंद्रशेखर राव भी शामिल थे।

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