ममता की विरूपित तस्वीर: न्यायालय ने ‘‘प्रथम दृष्टया मनमानी’’ का लगाया आरोप

न्यायमूर्ति इन्दिरा बनर्जी और न्यायमूर्ति संजीव खन्ना की अवकाशकालीन पीठ को भाजपा कार्यकर्ता प्रियंका शर्मा के भाई राजीब शर्मा के वकील ने सूचित किया कि न्यायालय द्वारा मंगलवार को जमानत दिये जाने के बावजूद प्रियंका को तत्काल जेल से रिहा नहीं किया गया।

Update:2019-05-15 17:51 IST

नयी दिल्ली: पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की विरूपित तस्वीर सोशल मीडिया पर कथित रूप से साझा करने के मामले में भाजपा युवा मोर्चा की नेता प्रियंका शर्मा की गिरफ्तारी को उच्चतम न्यायालय ने बुधवार को ‘‘प्रथम दृष्टया मनमानी’’ कार्रवाई बताया और उसकी रिहाई में विलंब के लिये राज्य सरकार को आड़े हाथ लिया।

न्यायमूर्ति इन्दिरा बनर्जी और न्यायमूर्ति संजीव खन्ना की अवकाशकालीन पीठ को भाजपा कार्यकर्ता प्रियंका शर्मा के भाई राजीब शर्मा के वकील ने सूचित किया कि न्यायालय द्वारा मंगलवार को जमानत दिये जाने के बावजूद

प्रियंका को तत्काल जेल से रिहा नहीं किया गया।

हालांकि, पश्चिम बंगाल सरकार के अधिवक्ता ने पीठ को सूचित किया कि प्रियंका शर्मा को आज सुबह नौ बजकर 40 मिनट पर जेल से रिहा कर दिया गया है।

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इस पर पीठ ने राज्य सरकार के वकील से कहा, ‘‘आज सुबह नौ बजकर 40 मिनट पर क्यों ? आदेश आपकी मौजूदगी में दिया गया था।’’

राज्य सरकार के अधिवक्ता ने जब जेल मैनुअल का हवाला दिया तो पीठ ने तल्ख लहजे में कहा कि जेल मैनुअल को उच्चतम न्यायालय के आदेश की तुलना में वरीयता नहीं दी जा सकती। पीठ ने कहा, ‘‘नहीं, ऐसा नहीं होता है। पहली बात तो यह है कि यह गिरफ्तारी प्रथमदृष्टया मनमानी कार्रवाई थी।’’

प्रियंका के भाई राजीब शर्मा की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता नीरज किशन कौल ने पीठ से कहा कि शीर्ष अदालत के मंगलवार के आदेश के बावजूद उसे जेल की सलाखों में एक रात और गुजारनी पड़ी है।

कौल ने पीठ से कहा कि जेल अधिकारियों ने मंगलवार को उनसे कहा कि प्रियंका की रिहाई के लिये उन्हें शीर्ष अदालत के आदेश की सत्यापित प्रति लानी होगी या फिर संबंधित मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट से संपर्क करना होगा।

इस पर पीठ ने कहा कि यदि उसे (प्रियंका को) रिहा नहीं किया गया तो इसके परिणाम भुगतने होंगे। साथ ही पीठ ने चेतावनी दी कि यदि उसे तत्काल रिहा नहीं किया गया तो वह संबंधित अधिकारियों के खिलाफ अवमानना का नोटिस देगी। पीठ ने कहा, ‘‘उसकी आधे घंटे के भीतर जेल से रिहाई हो जानी चाहिए।’’

पीठ ने कौल से कहा कि वह पता करके बतायें कि क्या प्रियंका को रिहा करा गया है या नहीं। कुछ मिनट बाद ही कौल ने न्यायालय को बताया कि उन्हें जेल से रिहा कर दिया गया है।

कौल ने न्यायालय से कहा कि उन्होंने अलग से एक आवेदन दायर किया है जिसमें कहा गया है कि हालांकि निचली अदालत में 13 मई को मामला बंद करने की रिपोर्ट दाखिल की गयी थी परंतु शीर्ष अदालत को कल सुनवाई के दौरान इसकी जानकारी नहीं दी गयी।

कौल ने कहा, ‘‘यदि शीर्ष अदालत को कल सूचित किया गया होता कि निचली अदालत में मामला बंद करने की रिपोर्ट दाखिल की गयी है तो न्यायालय शायद उससे माफी मांगने के लिये नहीं कहता।’’ उल्लेखनीय है कि न्यायालय ने प्रियंका शर्मा को मंगलवार को जमानत पर तत्काल रिहा करने का आदेश दिया था और कार्यकर्ता से कहा था कि वह जेल से रिहाई के वक्त बनर्जी की विरूपित तस्वीर कथित रूप से साझा करने के लिये लिखित में माफी मांगें।

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कौल ने बुधवार को सुनवाई के दौरान कहा कि कल सुनवाई के समय राज्य सरकार के वकील उपस्थित थे परंतु उन्होंने मामला बंद करने के बारे में न्यायालय को अवगत नहीं कराया।

इस पर पीठ ने कहा, ‘‘आपको अच्छी तरह मालूम है कि राज्य के लिये पेश होने वाले वकीलों के साथ क्या होता है ।’’ इस पर कौल ने कहा, ‘‘मैं वकील के बारे में नहीं, बल्कि राज्य के आचरण के बारे में कह रहा हूं।’’

तृणमूल कांग्रेस के नेता विभास हाजरा की शिकायत पर भाजपा कार्यकर्ता प्रियंका शर्मा को पश्चिम बंगाल पुलिस ने 10 मई को भारतीय दंड संहिता की धारा 500 (मानहानि) और सूचना प्रौद्योगिकी कानून के तहत गिरफ्तार किया

था। हावड़ा की स्थानीय अदालत ने प्रियंका को 14 दिन की न्यायिक हिरासत में भेज दिया था।

भाजपा युवा मोर्चा की नेता प्रियंका शर्मा ने फेसबुक पर एक ऐसी फोटो कथित रूप से साझा की थी जिसमें न्यूयॉर्क में ‘मेट गाला’ समारोह के दौरान ली गई अभिनेत्री प्रियंका चोपड़ा की तस्वीर पर फोटोशॉप के जरिए ममता का

चेहरा लगाया गया था।

 

(भाषा)

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