लॉकडाउन: अधिकतर बैंक ब्रांच हो सकते हैं बंद, विड्राल की नई स्कीम पर विचार

भारतीय रिजर्व बैंक और कई प्रमुख सरकारी बैंक लॉकडाउन में अपने कर्मचारियों को कोरोना वायरस के खतरे से बचाने के लिए अधिकतर ब्रांचों को बंद करने की सोच रहे हैं

Update: 2020-03-26 13:30 GMT

नई दिल्ली: भारतीय रिजर्व बैंक और कई प्रमुख सरकारी बैंक अब इस बात पर विचार कर रहे हैं कि लॉकडाउन की ​इस स्थिति में अपने कर्मचारियों को कोरोना वायरस संक्रमण के खतरे से बचाने के लिए अधिकतर ब्रांचों को बंद किया जाए। न्यूज एजेंसी रॉयटर्स ने अपने 4 सूत्रों के हवाले से यह जानकारी दी है।

आधी आबादी नकदी पर है निर्भर

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यही कारण था कि 21 दिनों के लिए लॉकडाउन के फैसले में बैंकों को इससे छूट दी गई थी। बैंक सेवाओं को जरूरी बताते हुए इन्हें खुले रखने को कहा गया था। हालांकि, सरकार ने बैंकों में गैर-जरूरी सेवाओं को अस्थायी रूप से बंद करते हुए कर्मचारियों की संख्या में कमी रखने की बात कही थी। 1.3 अरब की आबादी वाले भारत में अभी भी अधिकतर लोगों नकदी के भरोसे ही अपने रोजाना काम को चलाते हैं।

हर 5 किलोमीटर पर खुलेगी एक ही ब्रांच

अब इस प्लान के तहत, संभव है कि हर 5 किलोमीटर पर केवल एक ही बैंक ब्रांच खोलने का फैसला लिया जाए। सूत्रों ने कहा कि यह फैसला प्रमुख शहरों के लिए होगा लेकिन अभी तक इस बारे में कोई भी जानकारी पब्लिक में नहीं गई है।

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ग्रामीण इलाकों में, बैंकों ब्रांच हर 1 दिन के गैप पर खुलेंगे, जहां स्टाफ वेलफेयर स्कीम्स के तहत मिलने वाली रकम की निकासी करने में लोगों की मदद करेंगे। बता दें कि करीब 70 फीसदी लोग गांवों में रहते हैं और ये कैश पर ही अधिक निर्भर रहते हैं।

ग्रामीण इलाकों में खुली रहेंगी ब्रांच

एक सरकारी बैंक के वरिष्ठ अधिकारी के हवाले से कहा गया, 'आम आइडिया ये ​है कि ग्रामीण इलाकों में बैंक ब्रांच का संचालन खुला रखा जाए ताकि जो लोग डिजिटल लेनदेन करने में सक्षम नहीं है, उन्हें केाई परेशानी न हो।'

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अनौपचारिक तौर पर, इस मामले में सभी बैंक एक दूसरे से बातचीत कर रहे हैं। दरअसल, अब सरकार द्वारा बैंक ट्रांसफर के जरिए राहत देने के फैसले के बाद इन क्षेत्रों में बैंक विड्रॉल में इजाफा हो सकता है।

सरकार ने किया राहत पैकेज का एलान

गौरतलब है कि केंद्र सरकार ने देशभर में लॉकडाउन के 36 घंटों के अदर 1.7 लाख करोड़ रुपये के आर्थिक राहत पैकेज का ऐलान किया है। इनमें से कदम यह भी है कि आर्थिक रूप से कमजोर लोगों को डायरेक्ट कैश ट्रांसफर का लाभ दिया जाएगा।

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कुछ बैंक पहले से ही इस प्लान पर काम कर करना शुरू कर चुके हैं। हालांकि, अभी तौर पर यह साफ नहीं हो सका है कि इसे पूरी तरफ से लागू किया जाएगा या नहीं। अभी तक रिजर्व बैंक और इंडियन बैंक एसोसिएशन ने कोई जानकारी नहीं दी है।

शुरू की जाएगी इंटर-ऑपरेबेल सर्विसेज

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एक सूत्र द्वारा दी गई जानकरी के मुताबिक, करीब एक सप्ताह से इस प्लान पर विचार किया जा रहा है। बैंकों के बीच इस बात पर भी विचार किया जा रहा है कि इस दौरान इंटर-ऑपरेबेल सर्विसेज शुरू की जाए। इसका मतलब होगा कि किसी एक बैंक का ग्राहक किसी अन्य बैंक से भी निकासी कर सकता है। यह लेनदेन दोनों बैंकों के बीच ही सेटलमेंट कर दिया जाएगा।

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