नहीं रहे अर्जन सिंह, लेकिन मार्शल कभी रिटायर नहीं होता

Update:2017-09-16 18:01 IST

नई दिल्ली : भारतीय वायुसेना के मार्शल अर्जन सिंह का शनिवार को निधन हो गया। आशंका थी कि उन्हें दिल का दौरा पड़ा है, जिसके बाद उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया था। वह 98 वर्ष के थे। अर्जन सिंह को दिल का दौरा पड़ने की आशंका के बाद सेना अस्पताल में गंभीर हालत में भर्ती कराया गया, जहां उन्हें वेंटिलेटर पर रखा गया था। शनिवार शाम 7.47 बजे उनका निधन हो गया।

अर्जन सिंह की गंभीर हालत की जानकारी मिलने पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण ने अस्पताल के गहन चिकित्सा कक्ष (आईसीयू) में जाकर उनकी कुशल-क्षेम जानी।

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सीतारमण ने बाद में संवाददाताओं से कहा, "मुझे यह सूचना मिली थी कि वायुसेना के मार्शल अर्जन सिंह बीमार हो गए। उन्हें सुबह दिल का दौरा पड़ने का संदेह जताया गया, जिसके बाद उन्हें इस अस्पताल में लाया गया। इलाज के दौरान सिंह डॉक्टरों के सवाल का जवाब भी दे रहे थे।"

रक्षा मंत्री ने कहा, "प्रधानमंत्री को सूचित किया गया था और वह 5 बजे यहां पहुंचे, प्रधानमंत्री ने परिवार से बात की, आईसीयू में गए, सिह की हालत गंभीर बताई जा रही थी।"

तीनों सेनाओं के प्रमुखों ने भी अस्पताल का दौरा किया।

अर्जन सिंह (98) को 1 अगस्त 1964 को वायुसेनाध्यक्ष के रूप में नियुक्त किया गया था। वह पहले वायुसेना प्रमुख थे जिन्हें पायलट रहते हुए सीएएस (चीफ ऑफ एयर स्टाफ) नियुक्त किया गया था।

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उन्होंने युद्ध के समय भारतीय वायु सेना का सफल नेतृत्व कर अपने प्रयास को दिखाया। 1969 में भारतीय वायु सेना से सेवानिवृत्ति पर, उन्हें स्विट्जरलैंड में भारतीय राजदूत नियुक्त किया गया था।

उनकी सेवाओं के सम्मान में, भारतीय वायु सेना ने उन्हें जनवरी 2002 में वायुसेना के मार्शल रैंक से सम्मानित किया और उन्हें पहला और एकमात्र 5 स्टार रैंक ऑफिसर बनाया गया था।

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