अब बीहड़ में लहलहा रही सरसों की फसल, जानिए दो भाईयों ने कैसे किया कमाल
अब बीहड़ों की मिट्टी सोना उगल रही है जो कभी गोलियों की आवाज से गूंजा करती थी। मानपूर कस्बे के बीहड़ों की मिट्टी में अब पंजाब से आये दो भाई सोना उगल रहे हैं। दोनों भाइयों की जी तोड़ मेहनत ने रंग लाई है और अब बीहड़ों में गोलियों की आवाज जगह सरसों की खेती लहलहा रही है।
लखनऊ: अब बीहड़ों की मिट्टी सोना उगल रही है जो कभी गोलियों की आवाज से गूंजा करती थी। मानपूर कस्बे के बीहड़ों की मिट्टी में अब पंजाब से आये दो भाई सोना उगल रहे हैं। दोनों भाइयों की जी तोड़ मेहनत ने रंग लाई है और अब बीहड़ों में गोलियों की आवाज जगह सरसों की खेती लहलहा रही है।
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दोनों भाइयों ने सिर्फ छ: महीने की मेहनत से कंटीली झाड़ियों से भरा पड़ा बीहड़ को अब हरियाली में बदल दिया है। दोनों भाई मुक्तसर साहब जिले से यहां आए हैं। गुरूचरण् सिंह और मेजर सिंह कहते हैं कि अगर पंजाब की जमीन सोना है तो मानपुर मध्य प्रदेश के बीहड़ की जमीन हीरा है। दोनों भाइयों ने कहा कि यहां पानी की कोई कमी नहीं है।
दोनों भाईयों का कहना है कि यहां के किसान धान और कपास की फसल उपजाने लगे हैं, लेकिन जितना उत्पादन होना चाहिए वह अभी भी नहीं हो पा रहा है। दोनों भाईयों ने मानपुर गिरधरपुर रोड पर 25 बीघा जमीन खरीदी। पूरी जमीन पर टापुओं से भरी हुई थी।
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दोनों ने 1 जून 2018 से बीहड़ों को दो ट्रैक्टर चलाकर जमीन को समतल कर दिया। पांच महीने से भी कम समय में 20 बीघा जमीन पर सरसों की खेती की और अब वह फसल लहलहा रही है।
स्थानीय लोगों का कहना है कि श्योपूर जिले की जमीन धान और गेहूं की फसल के लिए बेहतर है। यहां पंजाब से कई गुना सस्ती भी है। मानपुर कस्बे से बाहर एक हिस्से की जमीन उबड़—खाबड़ टापू और बीहड़नुमा थी। कस्बे से तीन किमी दूर कमल धार के घुमाव पर घना जंगल था।
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वन्यप्राण्यिों की मौजूदगी के कारण लोग जाने से भी डरते थे। धीरे—धीरे जंगल व वन्यजीव गायब हो गए। पूरी जमीन बीहड़ में बदल गई। छह साल पहले मानपुर से गिरधरपुर की सड़क बनी तो अवागमन शुरू हो गया।