रिश्तों में आई खटास: पाकिस्तान की वजह से पीएम मोदी ने रद्द की तुर्की यात्रा
पीएम नरेंद्र मोदी की प्रस्तावित तुर्की यात्रा को रद्द कर दिया है। क्योंकि तुर्की के राष्ट्रपति रेसेप तैयप एर्दोगान ने संयुक्त राष्ट्र महासभा में कश्मीर मुद्दा उठाया और तुर्की के जरिए फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स (एफएटीएफ) बैठक में खुलकर पाकिस्तान का समर्थन किया।
नई दिल्ली: पीएम नरेंद्र मोदी की प्रस्तावित तुर्की यात्रा को रद्द कर दिया है। क्योंकि तुर्की के राष्ट्रपति रेसेप तैयप एर्दोगान ने संयुक्त राष्ट्र महासभा में कश्मीर मुद्दा उठाया और तुर्की के जरिए फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स (एफएटीएफ) बैठक में खुलकर पाकिस्तान का समर्थन किया।
ये भी देखें:जैश-ए-मोहम्मद का दिल्ली पर बड़ा हमला! दहल जाएंगी 400 से ज्यादा इमारतें
पीएम मोदी एक बड़े निवेश सम्मेलन में भाग लेने के लिए 27-28 अक्टूबर को सऊदी अरब जा रहे हैं। पीएम को वहां से तुर्की जाना था लेकिन अब वह वहां नहीं जाएंगे। ऐसा माना जा रहा है कि तुर्की के पाकिस्तान के प्रति रवैये के मद्देनर भारत ने यह कदम उठाया है।
रिश्तों में दरार
कभी भी तुर्की और भारत के रिश्तों में दरार नहीं हुई लेकिन इस यात्रा के रद्द होने से साफ है कि दोनों देशों के रिश्तों में खटास पैदा हो गई है।
विदेश मंत्रालय ने इस यात्रा पर जानकारी देते हुए बताया कि पीएम मोदी की अंकारा यात्रा पर सैद्धांतिक रूप से सहमति बनी थी और इसमें अन्य मुद्दों के अलावा व्यापार और रक्षा सहयोग पर बात होनी थी।
किया पाकिस्तान का खुलकर समर्थन
पहले चीन कश्मीर पर खुलकर सामने नहीं आ रहा था लेकिन चीन का रुझान पाकिस्तान के प्रति जगजाहिर है। आतंकवाद रोकने पर चीन, तुर्की और मलेशिया ने पाकिस्तान द्वारा उठाए गए कदमों का साथ दिया था। भारत ने इस दलील पर इस्लामाबाद को ब्लैकलिस्टि करने की सिफारिश की थी कि इसने हाफिज सईद को अपने फ्रीज खातों से धन निकालने की अनुमति दी है। पाकिस्तान में दी जाने वाली कर माफी योजना पर भी चिंता जताई गई थी।
ये भी देखें:कमलेश मर्डर-पाकिस्तानी कनेक्शन! ये रहा सबूत, अब जांच शुरू
तुर्की, चीन और मलेशिया द्वारा एक साथ दिए गए समर्थन के आधार पर एफएटीएफ ने पाकिस्तान को ब्लैकलिस्ट में शामिल नहीं करने और बाकी कदम उठाने के लिए और अधिक समय देने का फैसला किया। 36 देशों वाले एफएटीएफ चार्टर के मुताबिक, अगर किसी भी देश को ब्लैकलिस्ट नहीं करन होता है, तो उसके लिए कम से कम तीन देशों के सपोर्ट की जरूरत होती है।