नेशनल हेराल्ड मामला: केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में दाखिल किया जवाब

नेशनल हेराल्ड के प्रकाशक एसोसिएटेड जर्नल्स लिमिटेड (एजेएल) के मामले में मोदी सरकार ने उच्चतम न्यायालय में जवाब दाखिल कर दिया है। मोदी सरकार ने कहा है कि एजेएल की याचिका सुनवाई योग्य नहीं है।

Update: 2019-07-03 07:08 GMT
नेशनल हेराल्ड मामला: केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में दाखिल किया जवाब

नई दिल्ली: नेशनल हेराल्ड के प्रकाशक एसोसिएटेड जर्नल्स लिमिटेड (एजेएल) के मामले में मोदी सरकार ने उच्चतम न्यायालय में जवाब दाखिल कर दिया है। मोदी सरकार ने कहा है कि एजेएल की याचिका सुनवाई योग्य नहीं है।

अदालत को इस केस में हस्तक्षेप नहीं करना चाहिए और इसे खारिज कर देना चाहिए। हलफनामे में केंद्रीय शहरी एवं आवास मामलों के मंत्रालय ने दिल्ली के आईटीओ स्थित हेराल्ड हाउस को खाली करने के अपने आदेश को सही बताया।

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मंत्रालय ने याचिका में दिए गए आधारों को बताया गलत

मंत्रालय ने याचिका में दिए गए आधारों को बताया गलत, कहा पिछले दस साल से हेराल्ड हाउस में कोई प्रेस नहीं चल रही है और सार्वजनिक परिसर अधिनियम का उल्लंघन है। साथ ही लीज पर मुहैया करायी गई संपत्ति का दुरुपयोग है।

जवाब में सरकार ने कहा है कि सोनिया गांधी,राहुल गांधी, मोतीलाल वोहरा और ऑस्कर फर्नाडिज द्वारा सौ फीसद शेयर को स्थानांतरित किया जाना भी एजेएल द्वारा किया गया उल्लंघन है। राजनीतिक पार्टी का बैकग्राउंड होने की वजह से भवन को खाली कराने का आदेश जारी किए जाने का आरोप गलत है।

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5 अप्रैल को उच्चतम न्यायालय ने एजेएल मामले में दी राहत

5 अप्रैल को उच्चतम न्यायालय ने एजेएल मामले में बड़ी राहत दी है। उच्चतम न्यायालय ने दिल्ली के आईटीओ स्थित हेराल्ड हाउस खाली करने के आदेश पर रोक लगा दी थी। साथ ही एसोसिएटेड जर्नल्स लिमिटेड की याचिका पर केंद्र सरकार को नोटिस जारी कर चार हफ्तों जवाब दाखिल करने को कहा था जिस पर केंद्र ने जवाब दिया है।

इससे पहले नेशनल हेराल्ड अखबार की प्रकाशक कंपनी एजेएल ने दिल्ली हाईकोर्ट के हेराल्ड हाउस खाली करने के आदेश को उच्चतम न्यायालय में चुनौती दी है। दिल्ली उच्च न्यायालय ने 28 फरवरी को लीज की शर्तें तोड़ने का दोषी पाते हुए एजेएल को दिल्ली के आईटीओ स्थित हेराल्ड हाउस खाली करने का आदेश दिया था। मंत्रालय ने गतवर्ष ३० अक्टूबर को हाउस खाली कराने का नोटिस दिया था।

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एजेएल ने एकल न्यायाधीश के 21 दिसंबर के आदेश को खिलाफ अपील दायर की थी, जिसने शहरी विकास मंत्रालय के खिलाफ दायर एजेएल की याचिका खारिज कर दी थी। शहरी विकास मंत्रालय ने 30 अक्टूबर, 2018 को कहा था कि एजेएल की 56 साल पुरानी लीज समाप्त हो चुकी है। इसलिए उसे परिसर खाली करना होगा।

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