नवजोत सिद्धू की बड़ी कलाबाजी, इस कदम पर है सबकी नजर

पंजाब के सीएम कैप्टन अमरिंदर सिंह से मतभेद होने के बाद सिद्धू ने कैप्टन की कैबिनेट से इस्तीफा दे दिया था और वे लगभग डेढ़ साल से राजनीतिक वनवास झेल रहे हैं।

Update: 2020-06-04 05:43 GMT

अंशुमान तिवारी

नई दिल्ली: पंजाब के पूर्व कैबिनेट मंत्री और वरिष्ठ कांग्रेस नेता नवजोत सिंह सिद्धू को लेकर इन दिनों पंजाब की सियासत गरमाई हुई है। सियासी हलकों में चर्चाएं हैं कि मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह से नाराज चल रहे सिद्धू जल्द ही आम आदमी पार्टी में शामिल हो सकते हैं। बताया जाता है कि सिद्धू की इस बाबत दिल्ली के मुख्यमंत्री और आप के मुखिया अरविंद केजरीवाल से बातचीत भी हुई है। सिद्धू को आप में शामिल कराने के लिए प्रसिद्धि रणनीतिकार प्रशांत किशोर बड़ी भूमिका निभा रहे हैं।

सिद्धू का डेढ़ साल से राजनीतिक वनवास

पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह से मतभेद पैदा होने के बाद सिद्धू ने कैप्टन की कैबिनेट से इस्तीफा दे दिया था और वे लगभग डेढ़ साल से राजनीतिक वनवास झेल रहे हैं। इस दौरान उनकी राजनीति में कोई सक्रिय भूमिका नहीं दिख रही है। वे बीच-बीच में सोशल मीडिया के जरिए ही अपनी बात रख रहे हैं। उनके और कैप्टन के बीच मतभेद इतने गहरे हो चुके हैं कि अब उनके कांग्रेस में फिर से सक्रिय होने की कोई स्थिति नहीं दिख रही है। पार्टी के बड़े नेताओं से बातचीत के बाद भी उनके और कैप्टन के मतभेद नहीं दूर हो चुके हैं। अब सिद्धू को लेकर एक बड़ी खबर यह आई है कि वे जल्दी ही आप का दामन थाम सकते हैं।

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जानकारों का कहना है कि प्रसिद्ध रणनीतिकार प्रशांत किशोर के जरिए इस बाबत सिद्धू की आप सुप्रीमो अरविंद केजरीवाल के साथ बातचीत चल रही है। जानकारों का कहना है कि आम आदमी पार्टी में शामिल होने से पहले सिद्धू अपनी भूमिका के बारे में सबकुछ स्पष्ट कर देना चाहते हैं। सूत्रों के मुताबिक उन्होंने प्रशांत किशोर से बातचीत में कहा है कि वह 2022 में होने वाले विधानसभा चुनाव में परंपरागत लीडरशिप को शिकस्त देने के लिए आम आदमी पार्टी से जुड़ना चाहते हैं।

फूंक-फूंक कर कदम रख रहे सिद्धू

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दरअसल सिद्धू आम आदमी पार्टी में शामिल होने के मामले में काफी फूंक-फूंक कर कदम रख रहे हैं। ऐसा इसलिए क्योंकि 2017 के विधानसभा चुनाव से पूर्व भी उनके आप में शामिल होने की चर्चाएं फैली थीं, लेकिन बाद में आप की ओर से उन्हें सीएम पद का उम्मीदवार बताने से इनकार कर दिया गया था। उन्हें केवल प्रचारक के तौर पर पार्टी में शामिल होने को कहा गया था। उनकी पत्नी को पार्टी की ओर से टिकट देने का प्रस्ताव किया गया था जिसे सिद्धू ने ठुकरा दिया था। बाद में वे कांग्रेस में शामिल हो गए थे। लेकिन कांग्रेस में शामिल होने के बाद भी सिद्धू कैप्टन अमरिंदर सिंह से मतभेद के चलते अपनी सियासी जमीन को मजबूती नहीं प्रदान कर सके। कैप्टन से मतभेदों के चलते ही वे दो साल में पार्टी में पूरी तरह हाशिए पर चले गए।

कांग्रेस आलाकमान से नाराज हैं सिद्धू

अब उनके आप में शामिल होने की चर्चाओं ने फिर तेजी पकड़ी है जिससे राज्य का सियासी माहौल भीतर ही भीतर गरमाया हुआ है। प्रशांत किशोर ने सिद्धू से बातचीत कर उनका मन टटोला है जिसके बाद उनके आप में शामिल होने की चर्चाएं फैली हैं। अभी राज्य का कोई कांग्रेसी नेता इस मुद्दे पर खुलकर नहीं बोल रहा है। सभी को सिद्धू के अगले कदम का इंतजार है। सिद्धू कांग्रेस आलाकमान से इतना नाराज चल रहे हैं कि उन्होंने पिछले दिनों सोनिया गांधी की अपील को भी दरकिनार कर दिया था।

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पिछले हफ्ते सभी कांग्रेसी नेताओं ने मजदूरों के खाते में दस हजार रुपए डालने की अपील सोशल मीडिया पर पोस्ट की थी ताकि पीएम मोदी पर दबाव बनाया जा सके मगर सिद्धू ने सोनिया गांधी की अपील के बावजूद यह काम नहीं किया। सिद्धू को लेकर कांग्रेस में भी काफी बेचैनी है मगर सिद्धू ने अभी तक इस बारे में अपने पत्ते नहीं खोले हैं।

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