पैंगॉन्ग इलाके में जश्न: खत्म हुई अब दूरी, लोगों को पहली बार मिली ये सेवा
पैंगॉन्ग झील के आसपास के इलाकों और दूरदराज के गांवों को पहली बार मोबाइल कनेक्टिविटी से जोड़ने पर लोग इतने खुश हुए कि नाच और गाकर जश्म मनाना शुरू कर दिया। बता दें कि लद्दाख में सरकारी टेलीकॉम कंपनी BSNL ने पैंगॉन्ग झील के आसपास, मेरक गांव और अन्य क्षेत्रों में टावर लगाया है।
नई दिल्ली: लद्दाख के पैंगॉन्ग झील के आसपास के इलाकों और गांवों में अब दूरियां खत्म हो चुकी हैं। यहां पर पहली बार लोगों को मोबाइल कनेक्टिविटी का फायदा उठाने को मिला है। स्मार्टफोन के इस दौर में पैंगॉन्ग झील के पास बसे लोगों ने पहली बार मोबाइल फोन पर बात की तो इनकी खुशी का ठिकाना ही नहीं रहा।
BSNL ने लगाया टावर
पैंगॉन्ग झील के आसपास के इलाकों और दूरदराज के गांवों को पहली बार मोबाइल कनेक्टिविटी से जोड़ने पर लोग इतने खुश हुए कि नाच और गाकर जश्म मनाना शुरू कर दिया। बता दें कि लद्दाख में सरकारी टेलीकॉम कंपनी BSNL ने पैंगॉन्ग झील के आसपास, मेरक गांव और अन्य क्षेत्रों में टावर लगाया है। बीएसएनएल के जरिए लोगों को मोबाइल सेवा मिली है।
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आजादी के बाद पहली बार मिली मोबाइल कनेक्टिविटी
मोबाइल टावर लगने के बाद अब यहां के लोग दुनिया के बाकी हिस्सों से आसानी से जुड़ पाएंगे। साथ ही ये टावर ने दो सैन्य और अर्धसैनिक अड्डों, थाकुंग और ज्ञान सिंह थापा पोस्ट को भी एक दूसरे से जोड़ दिया है। वहीं, यहां पर मोबाइल सेवा बहाल होने पर चुशुल के स्थानीय पार्षद कोंचोक स्टैनजिन ने कहा कि इस क्षेत्र के लोगों को आजादी (1947) के बाद पहली बार मोबाइल कनेक्टिविटी मिली है।
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दुनिया के अन्य हिस्सों से जुड़े लोग
कोंचोक स्टैनजिन ने ही सेना और अर्धसैनिक बलों के अधिकारियों के साथ मिलकर मराक में बीएसएनएल टॉवर का उद्घाटन किया। उन्होंने कहा कि मोबाइल सेवा शुरू होने से इन गांवों और आसपास के इलाकों के करीब 300 लोगों को अब दुनिया के अन्य हिस्सों से जुड़ने में मदद मिली है। बता दें कि जिन गांवों में मोबाइल सेवा की शुरुआत हुई है वो इलाके पैंगॉन्ग झील के फिंगर 3 और 4 के विपरीत किनारे पर हैं।
यह इलाका सामरिक दृष्टि से भारत के लिए बेहद अहम है। यहां पर बीते पूरे साल भारतीय और चीनी सेना आमने सामने रही। ये इलाका मई 2020 से ही लद्दाख में LAC पर भारत और चीन की सेनाओं के बीच फ्लैश प्वाइंट में से एक था।
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