सिद्धू का सियासी वनवास होगा खत्म, ऐसे कर रहे राजनीति में वापसी की तैयारी
हाल के दिनों में नवजोत सिंह सिद्धू सियासी चर्चाओं से बहुत दूर रहे हैं। मगर तीन दिन पहले उन्होंने किसानों की मांगों का समर्थन किया था।
अंशुमान तिवारी
नई दिल्ली: लंबे समय से सियासी गतिविधियों से दूर चल रहे पूर्व कैबिनेट मंत्री नवजोत सिंह सिद्धू भी किसानों के मुद्दे पर अपना राजनीतिक वनवास तोड़ने वाले हैं। सियासी जानकारों के मुताबिक सिद्धू किसानों का साथ देने के लिए धरने पर बैठेंगे। हालांकि इस बाबत अभी तक सिद्धू की ओर से कोई एलान नहीं किया गया है। मगर उनके करीबी और कांग्रेस के विधायक परगट सिंह ने इस बात की पुष्टि की है कि किसानों के धरने में सिद्धू भी हिस्सा लेंगे।
सवा साल बाद ट्विटर पर सक्रिय हुए
हाल के दिनों में नवजोत सिंह सिद्धू सियासी चर्चाओं से बहुत दूर रहे हैं। मगर तीन दिन पहले उन्होंने किसानों की मांगों का समर्थन किया था। सवा साल बाद ट्विटर पर सक्रिय हुए सिद्धू ने किसानों की मांगों को लेकर शायराना अंदाज में टिप्पणी की थी। उनका कहना था कि पंजाब, पंजाबियत और पंजाबी किसानों के साथ हैं। उनके जंग की तूती बोल रही है।
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उनके करीबी कांग्रेस विधायक परगट सिंह का कहना है कि मेरी सिद्धू से बात हुई है और उन्होंने आने वाले दिनों में किसानों के आंदोलन में हिस्सा लेने की बात कही है। मंत्री पद से इस्तीफा देने के बाद सिद्धू ने ट्विटर पर भी खामोशी साध रखी थी। दो दिन पहले पंजाबी में ट्विटर पर सिद्धू ने लिखा कि हमारे अस्तित्व पर हमला बर्दाश्त नहीं हैं।
शेर के जरिए किया सरकार पर हमला
सिद्धू ने इसके बाद एक और ट्वीट करते हुए लिखा कि सरकारें तमाम उम्र यही भूल करती रहीं, धूल उनके चेहरे पर थी और आईना साफ करती रहीं। सिद्धू का यह ट्वीट ऐसे समय में आया है जब राज्य में किसानों के मुद्दे पर सियासत गरमाई हुई है।
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मोदी सरकार की ओर से लाए गए कृषि विधेयकों का पंजाब में जमकर विरोध किया जा रहा है और पंजाब के कई शहरों में किसान सड़कों पर उतर आए हैं। पूरे पंजाब में विधेयकों के खिलाफ किसानों का प्रदर्शन चल रहा है।
किसान विरोधी विधेयक वापस लेने की मांग
पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने भी केंद्र सरकार की ओर से पेश किए गए विधेयक का विरोध करते हुए इसे वापस लेने की मांग की है। उन्होंने इन विधेयकों को किसान विरोधी बताते बताते हुए कहा कि केंद्र सरकार को किसानों की दिक्कतों से कोई मतलब नहीं रह गया है।
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दूसरी और नाराज किसानों ने 25 सितंबर को पंजाब बंद का आह्वान किया है। इसके साथ ही 24 से 26 सितंबर तक रेल रोकने की भी घोषणा की गई है। देखने वाली बात यह होगी कि नवजोत सिंह सिद्धू किसानों के इस आंदोलन को किस रूप में समर्थन देते हैं।
अकाली दल ने भी अपनाया विरोध का रास्ता
पंजाब में किसानों के उग्र विरोध के कारण अकाली दल ने भी विरोध का रास्ता अख्तियार कर लिया है। केंद्र सरकार में अकाली दल की अकेली प्रतिनिधि हरसिमरत कौर ने मोदी सरकार से इस्तीफा दे दिया है। अकाली दल ने इस मुद्दे को लेकर राष्ट्रपति से भी मुलाकात की है और उनसे उन विधेयकों को मंजूरी न देने की मांग की है।
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राष्ट्रपति से मुलाकात के बाद शिरोमणि अकाली दल के मुखिया सुखबीर सिंह बादल ने कहा कि हमने राष्ट्रपति से अनुरोध किया है कि वे इन विधेयकों को मंजूरी देने की जगह संसद को पुनर्विचार के लिए वापस भेज दें।