स्कूली शिक्षा में 5+3+3+4 की नई व्यवस्था होगी लागू, जानिए अब कैसे होगी पढ़ाई
मोदी सरकार की बुधवार को हुई कैबिनेट की बैठक में बड़ा फैसला लिया गया है। केंद्र सरकार ने नई शिक्षा नीति को मंजूरी दे दी है।
नई दिल्ली: मोदी सरकार की बुधवार को हुई कैबिनेट की बैठक में बड़ा फैसला लिया गया है। केंद्र सरकार ने नई शिक्षा नीति को मंजूरी दे दी है। इसके अलावा केंद्र की मोदी सरकार ने मानव संसाधन विकास मंत्रालय का नाम बदलकर शिक्षा मंत्रालय कर दिया है।
बैठक के बाद प्रेस कांफ्रेंस केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने यह जानकारी दी। उन्होंने बताया कि 34 सालों के बाद शिक्षा नीति में कोई बदलाव हुआ है। तीन दशक बाद भारत की नई शिक्षा नीति आई है। स्कूल-कॉलेज की व्यवस्था में बड़े बदलाव किए गए हैं। बता दें कि मोदी सरकार बनने के बाद से ही नई शिक्षा नीति लागू करने की चर्चा तेज हो गई थी।
केंद्र सरकार ने नई शिक्षा नीति में 10+2 के फार्मेट को पूरी तरह समाप्त कर दिया है। अब इसे 10+2 से बांटकर 5+3+3+4 फार्मेट में लागू किया गया है। इस फार्मेट का मतलब यह है कि अब स्कूल के पहले पांच साल में प्री-प्राइमरी स्कूल के तीन साल और कक्षा 1 और कक्षा 2 समेत फाउंडेशन स्टेज शामिल किए जाएंगे। इसके बाद अगला तीन साल कक्षा 3 से 5 की तैयारी के चरण में विभाजित होगा।
यह भी पढ़ें...शिक्षा में बड़ा बदलाव: 34 साल बाद भारत में हुआ ऐसा, जानें कितनी बदलेगी व्यवस्था
इसके बाद तीन साल मध्य चरण (कक्षा 6 से 8) और माध्यमिक अवस्था के चार वर्ष (कक्षा 9 से 12)। इसके अलावा स्कूलों में कला, वाणिज्य, विज्ञान स्ट्रीम का कोई कठोर पालन नहीं करना होगा, छात्र अब जो भी पाठ्यक्रम चाहेंगे, वो ले सकते हैं।
नई शिक्षा नीति के कुछ जरूरी फैक्ट्स
-शिक्षकों के साथ-साथ अभिभावकों को भी जागरूक करने पर जोर।
-हर छात्र की क्षमताओं को बढ़ावा देना प्राथमिकता होगी।
-वैचारिक समझ पर जोर होगा, रचनात्मकता और महत्वपूर्ण सोच को बढ़ावा मिलेगा।
यह भी पढ़ें...चीन ने फाइटर जेट्स में विकसित की ये खास तकनीक, भारत के लिए बढ़ा खतरा
-छात्रों के लिए कला और विज्ञान के बीच कोई कठिनाई, अलगाव नहीं होगा।
-नैतिकता, संवैधानिक मूल्य पाठ्यक्रम का प्रमुख हिस्सा होंगी।
नई शिक्षा नीति के कुछ अन्य महत्वपूर्ण बिंदु
-2040 तक सभी उच्च शिक्षा संस्थानों को मल्टी सब्जेक्ट इंस्टिट्यूशन बनाना होगा जिसमें 3000 से अधिक छात्र होंगे।
-2030 तक हर जिले में या उसके पास कम से कम एक बड़ा मल्टी सब्जेक्ट हाई इंस्टिट्यूशन होगा।
-संस्थानों का पाठ्यक्रम ऐसा होगा कि सार्वजनिक संस्थानों के विकास पर उसमें जोर दिया जाए.
-संस्थानों के पास ओपन डिस्टेंस लर्निंग और ऑनलाइन कार्यक्रम चलाने का विकल्प होगा।
यह भी पढ़ें...दुश्मन देशों में भूकंप: कांप उठे चीन-पाकिस्तान, राफेल लैडिंग ने मचाया धमाल
-उच्चा शिक्षा के लिए बनाए गए सभी तरह के डीम्ड और संबंधित विश्वविद्यालय को सिर्फ अब विश्वविद्यालय के रूप में ही जाना जाएगा।
-मानव के बौद्धिक, सामाजिक, शारीरिक, भावनात्मक और नैतिक सभी क्षमताओं को एकीकृत तौर पर विकसित करने का लक्ष्य।
मोदी सरकार द्वारा मंजूर की गई नई शिक्षा नीति में संगीत, दर्शन, कला, नृत्य, रंगमंच, उच्च संस्थानों की शिक्षा के पाठ्यक्रम में शामिल किए जाएंगे। स्नातक की डिग्री 3 या 4 साल की अवधि की होगी। एकेडमी बैंक ऑफ क्रेडिट बनाई जाएगी, छात्रों के परफॉर्मेंस का डिजिटल रिकॉर्ड इकट्ठा करना होगा।
यह भी पढ़ें...फर्जी हुआ लॉकडाउन: अब जाकर हुआ खुलासा, सामने आई पूरी सच्चाई
इसके साथ ही 2050 तक स्कूल और उच्च शिक्षा प्रणाली के माध्यम से कम से कम 50 प्रतिशत शिक्षार्थियों को व्यावसायिक शिक्षा में शामिल होना होगा। गुणवत्ता योग्यता अनुसंधान के लिए एक नया राष्ट्रीय शोध संस्थान बनाया जाएघा, इसका संबंध देश के सभी विश्वविद्यालय से होगा।
देश दुनिया की और खबरों को तेजी से जानने के लिए बनें रहें न्यूजट्रैक के साथ। हमें फेसबुक पर फॉलों करने के लिए @newstrack और ट्विटर पर फॉलो करने के लिए @newstrackmedia पर क्लिक करें।