नई एनडीए सरकार : नए चेहरे आयेंगे, कई पुराने जायेंगे

NDA Government: एनडीए ने नरेन्द्र मोदी को अपना नेता चुन लिया है और अब तैयारी नई सरकार के शपथ ग्रहण की है जिसमें सबकी निगाहें इस बात पर है कि मोदी का इस बार का मंत्रिमंडल कैसा होगा। चूँकि इस बार मिलीजुली सरकार है सो ज़ाहिर सी बात है कि भाजपा को सहयोगी दलों में भी बडे विभाग और बडे मंत्रालय बांटने पड़ेंगे।

Report :  Neel Mani Lal
Update:2024-06-07 15:52 IST

NDA Government:  एनडीए ने नरेन्द्र मोदी को अपना नेता चुन लिया है और अब तैयारी नई सरकार के शपथ ग्रहण की है जिसमें सबकी निगाहें इस बात पर है कि मोदी का इस बार का मंत्रिमंडल कैसा होगा। चूँकि इस बार मिलीजुली सरकार है सो ज़ाहिर सी बात है कि भाजपा को सहयोगी दलों में भी बडे विभाग और बडे मंत्रालय बांटने पड़ेंगे। जहाँ तक भाजपा की बात है तो अगले केंद्रीय मंत्रिमंडल को और बेहतर प्रदर्शन करने वाले मंत्रियों के साथ मजबूत बनाने के उद्देश्य से एक रणनीतिक कदम के तहत बीते कार्यकाल के कई मंत्रियों को हटाया जाना तय है। इस बार कई पूर्व मुख्यमंत्री भी संसद पहुँचे हैं। इसलिए नरेंद्र मोदी उनके अनुभव का लाभ उठाना ज़रूर चाहेंगे।,

कौन कौन जाएगा?

हटाए जाने वालों में वे मंत्री भी शामिल हो सकते हैं जो हाल ही में हुए लोकसभा चुनावों में हारे हैं। इनमें से कुछ एक को। राज्यसभा में भेजा जा सकता हैं। मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल के करीब 19 मंत्री बड़े अंतर से चुनाव हार गए हैं। इनमें प्रमुख हैं स्मृति ईरानी, राजीव चंद्रशेखर, आरके सिंह और अर्जुन मुंडा, जो सभी कैबिनेट मंत्री हैं। चुनाव हारने वाले राज्य मंत्री स्तर के अन्य प्रमुख मंत्रियों में अजय कुमार मिश्रा, सुभाष सरकार, कैलाश चौधरी, संजीव बालियान, रावसाहेब दानवे, कौशल किशोर, निरंजन ज्योति और महेंद्र नाथ पांडे शामिल हैं।

भाजपा नेतृत्व उन लोगों की जगह नए चेहरे लाने की तैयारी में है, जिन्हें चुनावी हार का सामना करना पड़ा या जो मामूली अंतर से जीते। समझा जाता है कि भाजपा नेतृत्व मामूली जीत के अंतर वाले सांसदों को मंत्रिमंडल में मंत्री के रूप में शामिल करने के लिए अनिच्छुक है। यह भी कहा जा रहा है कि "भाजपा कोटे" के कुछ प्रमुख मंत्रालयों में बदलाव किए जा रहे हैं। इसमें रेल मंत्रालय , वित्त मंत्रालय और वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय हो सकता है।

सहयोगी दलों में क्या जायेगा?

16 सीटों वाली टीडीपी और 12 सीटों वाली जेडीयू अपने पसंदीदा मंत्रालयों पर नज़र गड़ाए हुए हैं। बताया जा रहा है कि सहयोगी दल हर चार सांसदों पर एक मंत्री पद की मांग कर रहे हैं। जैसे कि टीडीपी चार कैबिनेट पद की मांग कर रही है, जबकि जेडीयू तीन मंत्रियों के लिए जोर दे रही है। इसके अलावा 7 सीटों वाली एकनाथ शिंदे की शिवसेना और पांच सीटों वाली चिराग पासवान की एलजेपी, दोनों को दो-दो मंत्रालय मिलने की उम्मीद है। चंद्रबाबू नायडू लोकसभा अध्यक्ष पद पर भी नजर गड़ाए हुए हैं। टीडीपी शहरी विकास, जल शक्ति, आईटी मंत्रालय की भी मांग कर सकती है। जदयू की निगाह रेलवे, वित्त, कृषि, बिजली जैसे मंत्रालयों पर है।

भाजपा की चाहत

भाजपा चाहती है कि रक्षा, वित्त, गृह और विदेश मामलों के अलावा सड़क परिवहन, कल्याण, युवा मामले और कृषि से जुड़े मंत्रालय उसके पास रहें। भाजपा पंचायती राज और ग्रामीण विकास मंत्रालय जेडीयू को देने पर विचार कर सकती है, जबकि नागरिक उड्डयन और इस्पात जैसे विभाग टीडीपी को दिए जा सकते हैं। भारी उद्योग का प्रभार शिवसेना को दिया जा सकता है। एनडीए सहयोगियों को वित्त और रक्षा जैसे महत्वपूर्ण मंत्रालयों में राज्य मंत्री के रूप में नियुक्त किया जा सकता है। पर्यटन, एमएसएमई, कौशल विकास, विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी, पृथ्वी विज्ञान, तथा सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता जैसे अन्य मंत्रालय भी सहयोगी दलों को सौंपे जाने की संभावना है।

कौन कौन हो सकते हैं मंत्री?

टीडीपी – चार मंत्री

जदयू – तीन मंत्री

शिव सेना शिंदे – दो मंत्री

एलजेपी चिराग पासवान – एक मंत्री

‘हम’ पार्टी – एक मंत्री

राष्ट्रीय लोक दल – एक

अपना दल (सोनेलाल) – एक

भाजपा की पोजीशन

भाजपा के मंत्रियों में अलग अलग राज्यों का बदला हुआ प्रतिनिधित्व नजर आने की संभावना है। जैसे कि पश्चिम बंगाल से दो मंत्री बनाए जा सकते हैं। हिमाचल में पार्टी ने बढ़िया प्रदर्शन किया सो वहां से एक मंत्री बनना तय है। जम्मू कश्मीर से एक मंत्री भी बनना तय है।

मध्य प्रदेश में पार्टी ने शानदार क्लीन स्वीप किया है सो वहां से कम से कम चार मंत्री बन सकते हैं। उत्तर प्रदेश में हालाँकि नतीजे अच्छे नहीं रहे लेकिन पर्याप्त प्रतिनिधित्व मिलना तय है और पांच मंत्री बनाए जा सकते हैं। दिल्ली और राजस्थान से भी दो-दो मंत्री बनेंगे। नार्थ ईस्ट से भी कम से कम दो को प्रतिनिधित्व मिलेगा।

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