संक्रमण की नयी लहर: मास्क को ही समझिये वैक्सीन, कोरोना से यही बचाएगा
कोरोना के केस बढ़ने के लिए लोगों बहुत हद तक स्वयं जिम्मेदार हैं। समय बीतने के साथ लोग ये सोचने लगे हैं कि कोरोना चला गया है और इस वजह से मास्किंग, सोशल दूरी, साफ़ सफाई आदि को अब नजरअंदाज किया जाने लगा है।
नील मणि लाल
लखनऊ: देश में कोरोना वायरस महामरी के केस फिर तेजी से बढ़ने लगे हैं। दिल्ली, हरियाणा, गुजरात, मणिपुर समेत कई राज्यों में संक्रमण की नयी लहर सामने आने लगी है। यही वजह है कि अहमदाबाद में 57 घंटे का कर्फ्यू लगाया गया है, दिल्ले से यूपी आने वालों का कोरोना टेस्ट किया जा रहा है, दिल्ली में मास्क न पहनने पर 2 हजार रुपये तक का जुर्माना लगाया जा रहा है। इसके अलावा कई बंदिशें लागू करनी पड़ रही हैं।
लोगों की लापरवाही
कोरोना के केस बढ़ने के लिए लोगों बहुत हद तक स्वयं जिम्मेदार हैं। समय बीतने के साथ लोग ये सोचने लगे हैं कि कोरोना चला गया है और इस वजह से मास्किंग, सोशल दूरी, साफ़ सफाई आदि को अब नजरअंदाज किया जाने लगा है। जबकि इस मौसम में सभी सावधानियां बहुत संजीदगी से अपनाए जाने की जरूरत है।
मास्क जरूर पहनें और सही तरीके से पहनें
ये जान लीजिये कि हम सभी का मास्क पहनना बहुत जरूरी है। और मास्क भी सही किस्म का उअर सही तरीके से पहनना महत्वपूर्ण है। घटिया मास्क बेकार है। उचित रूप से नाक-मुंह कवर नहीं किया गया है तो भी मास्क होना न होना बराबर है। ये भी सच है कि कोई भी मास्क कोरोना वायरस के प्रति 100 फीसदी प्रोटेक्शन नहीं दे सकता है। लेकिन संक्रमित व्यक्ति मास्क लगाए तो उसके ड्रॉपलेट्स के साथ वायरस बाहर नहीं जा पाते। चूंकि अधिकांश कोरोना संक्रमितों में लक्षण नहीं होते सो सभी को मास्क लगाना चाहिए। यदि कोई व्यक्ति संक्रमित नहीं है तो मास्क लगाने से उसे काफी हद तक प्रोटेक्शन मिलता है।
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मास्क पहनें, लेकिन सही तरह का
कोरोना महामारी से बचने के लिए फेस मास्क पहनना बेहद जरूरी है। लेकिन कौन सा मास्क पहनें, ये भी एक बड़ा सवाल है। अभी तक लोग एन95 फेस मास्क को सबसे सुरक्षित मानते थे लेकिन भारत सरकार ने साफ कर दिया है कि वाल्व युक्त एन 95 मास्क वायरस का फैलाव रोकने में कारगर नहीं है। यदि कोई संक्रमित व्यक्ति ऐसा मास्क पहनता है तो उसकी सांस के साथ ड्रापलेट्स में वायरस भी वाल्व के जरिये बाहर निकलते रहेंगे। कोरोना से बचाव के लिए रेस्पिरेटर मास्क पर सरकार ने रोक लगाई है। कारण यह है कि ऐसे मास्क जिनमें रेस्पिरेटर लगा होता है, उससे मास्क पहनने वाला तो सुरक्षित रहता है, लेकिन सामने वाला संक्रमित हो सकता है। इसके अंदर जो फिल्टर लगे होते हैं, वो किसी भी बैक्टीरिया के संक्रमण को रोकने में सक्षम होते हैं, लेकिन यदि संक्रमित व्यक्ति ऐसा मास्क पहनता है तो उससे निकलने वाली ड्रॉपलेट सामने वाले को संक्रमित कर सकती है।
ध्यान रहे
- ढीला मास्क कतई न पहनें।
- मास्क पहनने के बाद उसके सामने वाले हिस्से को न छुएं।
- किसी से बात करने के लिए मास्क को हटाएं नहीं।
- अपने मास्क को दूसरों की पहुंच से दूर रखें।
- यूज किया हुआ मास्क दोबारा इस्तेमाल न करें।
- दूसरे का मास्क कभी न पहनें।
- घर में बने मास्क में इस बात का ध्यान रखा जाना चाहिए कि यह चेहरे पर सटीक तरह से रहे और इसकी दोनों साइड में कोई खाली जगह न हो। कपड़ा ऐसा हो कि रोशनी में देखने पर आर-पार कम से कम छेद दिखाई दें।
- भूलकर भी मास्क को गर्दन से टांगकर या ठुड्डी पर सरकाए नहीं रखना चाहिए।
- पब्लिक ट्रांसपोर्ट, सार्वजनिक स्थानों और बाज़ारों में सभी को मास्क का इस्तेमाल करना चाहिए।
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तीन लेयर वाले और सूती कपड़े के बने मास्क सबसे कारगर
कोरोना वायरस का आकार 7 से 260 नैनोमीटर के बीच रहता है, ऐसे में तीन लेयर वाले और सूती कपड़े के बने मास्क संक्रमण को रोकने के लिए पर्याप्त माने गए हैं। अच्छी बात यह है कि आप इन मास्क को प्रयोग के बाद हर रोज धोकर दोबारा इस्तेमाल कर सकते हैं। अगर इन लेयर के बीच आप और फिल्टर, जैसे कि रेक्रोन की महीन परत या महीन जाली वाले कपड़े की परत दाल देंगे तो और बेहतर होगा।
कितने तरह के मास्क
- कपड़े से बने बेसिक फेस मास्क
- सर्जिकल फेस मास्क
- एन 95 रेस्पिरेटर
- पी 100 रेस्पिरेटर गैस मास्क
- फुल फेस रेस्पिरेटर
- फुल लेंथ फेस शील्ड
- के एन 95 रेस्पिरेटर
कौन सा मास्क सबसे बढ़िया
कोरोना का स्प्रेड रोकने के लिए सबसे बढ़िया मास्क कपड़े वाला होता है। ऐसा इसलिए कि किसी भी अन्य मटेरियल की अपेक्षा कॉटन अधिकाधिक कणों को फ़िल्टर करने में सक्षम होता है। साथ ही कॉटन फैब्रिक सॉफ्ट, ठंडा और सांस लेने में आरामदेह होता है। सीडीसी का कहना है कि मास्क आरामदेह, कई परतों वाला, और ऐसा होना चाहिए कि उसे बिना किसी नुक्सान के धोया सुखाया जा सके। इन सभी बातों में कॉटन मास्क खरा उतरता है। कॉटन का मास्क आसानी से घर में बने जा सकता है। इसे बनाने का तरीका बताने वाले तमाम वीडिओ यू ट्यूब में मौजूद हैं। सरकारी वीडिओ भी इनमें शामिल हैं।
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कपड़े का मास्क बहुत उपयोगी लेकिन सावधानी जरूरी
कोरोना वायरस से बचाव के लिए कपड़े के मास्क को सबसे कारगर माना जा रहा है लेकिन ये तभी होगा जब मास्क को रोजाना धो कर इस्तेमाल किया जाए। वायरल संक्रमण के खिलाफ कपड़े का मास्क तभी सुरक्षा प्रदान करता है जब उसे रोजाना धोया जाए और वह भी ऊंचे तापमान पर। कपड़े का मास्क हो या सर्जिकल मास्क, एक बार के इस्तेमाल के बाद उसे ‘संक्रमित’ मान लिया जाना चाहिए।
सर्जिकल मास्क तो एक इस्तेमाल के बाद फेंक दिए जाते हैं लेकिन कपड़े के मास्क बार बार इस्तेमाल किये जाते हैं। कपड़े के मास्क को या तो हाथ सो थोड़ा धोकर या पोंछ कर बार बार इस्तेमाल किया जाता है लेकिन ऐसा करने से मास्क के दूषित होने का ख़तरा बढ़ता जाता है। कपड़े के मास्क को हाथ से रगड़ कर धो लेना ही काफी नहीं है। ठीक से साफ़ करने के लिए मास्क को उबलते पानी में थोड़ी देर धोया जाना चाहिए। सबसे अच्छा है कि मास्क को मशीन से 60 डिग्री तापमान पर डिटर्जेंट से धोया जाना चाहिए।
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