राम मंदिर: न्यूजट्रैक ने 3 नवंबर को ही खोला था गोविंदाचार्य के पत्र का रहस्य

आखिरकार केंद्र सरकार ने राम मंदिर निर्माण का पथ प्रशस्त करने की दिशा में कदम बढ़ा ही दिये।राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के आनुषांगिक संगठनों द्वारा काफी समय से राम मंदिर को लेकर मोदी सरकार पर दबाव बनाया जा रहा था। साधु संत भी राम मंदिर अविलंब निर्माण शुरू कराए जाने की मांग को लेकर अड़ गए थे।केंद्र सरकार का अदालत के फैसले का इंतजार करना किसी को नहीं सही लग रहा था। फैसले में देरी से बेचैनी बढ़ती जा रही थी।

Update: 2019-01-29 16:03 GMT

लखनऊः आखिरकार केंद्र सरकार ने राम मंदिर निर्माण का पथ प्रशस्त करने की दिशा में कदम बढ़ा ही दिये।राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के आनुषांगिक संगठनों द्वारा काफी समय से राम मंदिर को लेकर मोदी सरकार पर दबाव बनाया जा रहा था। साधु संत भी राम मंदिर अविलंब निर्माण शुरू कराए जाने की मांग को लेकर अड़ गए थे।केंद्र सरकार का अदालत के फैसले का इंतजार करना किसी को नहीं सही लग रहा था। फैसले में देरी से बेचैनी बढ़ती जा रही थी।

आखिर ऐसा क्या हुआ कि केंद्र सरकार ने आनन फानन में अपना स्टैंड बदलते हुए सुप्रीम कोर्ट से गैर विवादित जमीन राम मंदिर न्यास को लौटाने की अपील कर दी। कौन है इसके पीछे।

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ऩ्यूजट्रैक ने इस बात का खुलासा सबसे पहले तीन नवंबर को कर दिया था। इस संबंध में भाजपा के थिंक टैंक रहे गोविंदाचार्य के राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के प्रमुख मोहन भागवत और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को लिखा छह पेज का पत्र महत्वपूर्ण था।

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वरिष्ठ पत्रकार योगेश मिश्र ने इसी पत्र का हवाला देते हुए खबर ब्रेक की थी कि केन्द्र सरकार को मंदिर निर्माण के लिए अदालती आदेश या किसी अध्यादेश की जरूरत नहीं है। केन्द्र सरकार अधिग्रहीत जमीन की मालिक है।

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गोविंदाचार्य ने पत्र में लिखा था कि गलत अदालती आदेश की वजह से 67.703 एकड़ भूमि का केंद्र सरकार को रिसीवर माना गया था। इसलिए केंद्र सरकार को किसी अध्यादेश को लाने की जरूरत ही नहीं है।

 

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न्यूजट्रैक ने खबर में दावा किया था कि गोविंदाचार्य के पत्र ने संघ और केंद्र सरकार दोनो को इस मामले में स्टैंड लेने को विवश कर दिया है। और यही हुआ।

 

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