राज्यपाल की बैठक में नहीं पहुंचे अफसर, भाजपा ने ममता सरकार को घेरा

अफसरों के बैठक में शामिल होने से इनकार के बाद भाजपा ने ममता सरकार पर करारा हमला बोला। पश्चिम बंगाल के भाजपा नेता कैलाश विजयवर्गीय ने सीएम ममता बनर्जी पर निशाना साधते हुए कहा कि वह राज्य में अपना अलग ही कानून चला रही हैं। पश्चिम बंगाल में ममता संविधान का पालन नहीं कर रही है।

Update: 2019-10-22 16:01 GMT

कोलकाता: पश्चिम बंगाल में राज्यपाल की बैठकों को लेकर ममता सरकार और भाजपा के बीच ठन गई है। भाजपा ने आरोप लगाया है कि राज्य की सीएम ममता बनर्जी देश के संविधान से अलग हटकर राज्य में अपना अलग ही कानून चल रही हैं। दरअसल राज्यपाल जगदीप धनकड़ ने विभिन्न मुद्दों पर चर्चा के लिए अफसरों व जन प्रतिनिधियों की बैठक बुलाई थी मगर अफसरों ने सीएम के कार्यक्रमों में व्यस्त होने की बात कहकर बैठक में शामिल होने में असमर्थता जता दी।

 

अफसरों के इनकार पर भाजपा ने बोला हमला

अफसरों के बैठक में शामिल होने से इनकार के बाद भाजपा ने ममता सरकार पर करारा हमला बोला। पश्चिम बंगाल के भाजपा नेता कैलाश विजयवर्गीय ने सीएम ममता बनर्जी पर निशाना साधते हुए कहा कि वह राज्य में अपना अलग ही कानून चला रही हैं। पश्चिम बंगाल में ममता संविधान का पालन नहीं कर रही है। अगर राज्य के राज्यपाल को बैठक के लिए अनुमति लेनी पड़ेगी तो इसका मतलब साफ है कि पश्चिम बंगाल में ममता सरकार का अलग ही कानून चलता है।

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दूसरी ओर भाजपा सांसद सौमित्र ने नाम लिए बगैर मुख्यमंत्री ममता बनर्जी और उनके सांसद भतीजे अभिषेक बनर्जी पर निशाना साधा। उन्होंने कहा कि राज्य में हालत यह है कि फेसबुक पर सरकार की आलोचना करने या फिर कोई टीका-टिप्पणी करने पर पुलिस लोगों को गिरफ्तार कर रही है।

राज्यपाल बोले-पश्चिम बंगाल में सेंसरशिप

पश्चिम बंगाल के राज्यपाल जगदीप धनकड़ ने भी अफसरों के रवैये पर हैरानी जताई। उन्होंने कहा कि ऐसा लगता है कि पश्चिम बंगाल में किसी प्रकार की सेंसरशिप है। जिला अधिकारियों ने मुख्यमंत्री के प्रशासनिक दौरे को देखते हुए मेरी बैठक में आने से इनकार कर दिया। अफसरों का बैठक में आने से इनकार करना असंवैधानिक है।

राज्यपाल ने उत्तर तथा दक्षिण 24 परगना के जिला मजिस्ट्रेट व प्रतिनिधियों के साथ बैठक करने की इच्छा जताई थी। राज्यपाल ने कहा कि जिला अधिकारियों के पत्र देखकर मैं हैरान हूं। उन्होंने बैठकों में शामिल होने में असमर्थता जताई है वह भी तब जबकि उन्हें चार दिन पहले इस बात की सूचना दे दी गई थी। अफसरों के इस असहयोगात्मक रवैये के बावजूद मैं अपने दौरे जारी रखूंगा।

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एनआरसी पर ममता के कड़े तेवर

इस बीच एनआरसी के मुद्दे पर पश्चिम बंगाल की सीएम व टीएमसी मुखिया ममता बनर्जी और भाजपा के बीच आरोप-प्रत्यारोप तेज हो गए हैं। ममता ने इस मुद्दे पर कड़े तेवर अपनाते हुए कहा कि मेरे रहते न तो बंगाल का विभाजन होगा और न तो एनआरसी को यहां लागू होने दिया जाएगा। उन्होंने कहा कि बंगाल को अशांत करने के लिए एनआरसी और सूबे के विभाजन की बात की जा रही है। हम किसी सूरत में ऐसा नहीं होने देंगे।

जरूरत पड़ी तो सरकार प्रत्येक नागरिक की पहरेदार बनेगी। सिलीगुड़ी के दौरे पर पहुंचीं ममता ने केंद्र सरकार और भाजपा का नाम लिए कहा कि जब असम में एनआरसी में नेपाली, बंगाली, हिंदीभाषी, राजवंशी और आदिवासियों की संख्या 13 लाख तक पहुंच गई तो कहा जाने लगा कि संसद के शीतकालीन सत्र में नागरिक संशोधन बिल पारित कराया जाएगा। मेरे रहते भाजपा की मंशा पूरी नहीं हो पाएगी।

बंगाल में नहीं लागू होने देंगे एनआरसी

ममता ने कहा कि मैं स्पष्ट कर देना चाहती हूं कि बंगाल में न तो एनआरसी लागू होगा और न ही बंगाल से एक भी आदमी बाहर जाएगा। इसके लिए मेरी सरकार जो बन पड़ेगा, वह करेगी। ममता ने कहा कि मैं स्पष्ट कर देना चाहती हूं कि एनआरसी की मंशा पालने वाले बंगाल में कभी कामयाब नहीं हो पाएंगे। राज्य में मां-माटी-मानुष की सरकार आने के बाद उपेक्षित उत्तर बंगाल को पूरी तरह समृद्ध किया गया है।

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मोदी सरकार पर हमला बोलते हुए ममता ने कहा कि आज सरकार की गलत नीतियों के कारण देश में बेरोजगारी बढ़ी है और 40 प्रतिशत लोग बेरोजगार हुए हैं जबकि बंगाल ऐसा राज्य है, जिसने 40 प्रतिशत बेरोजगारी को दूर किया है। बंगाल अपनी सांस्कृतिक विरासत के लिए देश ही नहीं, पूरे विश्व में ख्याति प्राप्त करता आया है। नासा से भाषा तक देश में सबसे ज्यादा बंगाल ने नाम रोशन किया है।

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