Restoration Old Pension: आर-पार की लड़ाई के मूड में कर्मचारी, हड़ताल के लिए 400 डिफेंस यूनिट, 7349 रेलवे स्टेशन, मंडल और जोनल दफ्तरों में शुरू हुई वोटिंग

Restoration Old Pension: एआईडीईएफ के महासचिव सी. श्रीकुमार के मुताबिक, पुरानी पेंशन के लिए 20 और 21 नवंबर को स्ट्राइक बैलेट कराया जा रहा है। भारतीय रेलवे के विभिन्न जोन, मंडल और दूसरी यूनिटों में दो दिन तक वोट डाले जाएंगे।

Update:2023-11-20 20:11 IST

Restoration Old Pension: पांच राज्यों में हो रहे विधानसभा चुनाव और लोकसभा 2024 से पहले देशभर में ‘पुरानी पेंशन बहाली‘ को लेकर आवाजें बुलंद होने लगी हैं। पुरानी पेंशन बहाली को लेकर सरकारी कर्मियों की मुहिम चल रही है। केंद्र एवं राज्य सरकारों के कर्मचारी संगठन, पुरानी पेंशन पर निर्णायक लड़ाई की ओर बढ़ रहे हैं। केंद्र सरकार में 15 लाख कर्मियों की संख्या वाले दो बड़े विभाग, रेलवे और डिफेंस (सिविल) में सोमवार को ‘पुरानी पेंशन‘ की मांग पर राष्ट्रव्यापी अनिश्चितकालीन हड़ताल का निर्णय लेने के लिए वोटिंग कराई गई। अगर कर्मचारियों का दो तिहाई बहुमत, अनिश्चितकालीन हड़ताल के पक्ष में हुआ, तो बहुत जल्द देश में रेल के चक्के थम जाएंगे, आयुद्ध कारखाने, जो अब निगमों में तब्दील हो चुके हैं, वहां पर काम बंद हो जाएगा। इसके अलावा केंद्र और राज्य सरकारों के अनेक दूसरे विभागों में भी हड़ताल होगी। 20 और 21 नवंबर को 400 डिफेंस यूनिट, 7349 रेलवे स्टेशन, मंडल व जोनल दफ्तर, 42 रेलवे वर्कशॉप और सात रेलवे प्रोडेक्शन यूनिटों पर स्ट्राइक बैलेट के तहत वोट डाले जा रहे हैं।

मंगलवार को भी जारी रहेगा स्ट्राइक बैलेट

ओपीएस के लिए गठित नेशनल ज्वाइंट काउंसिल ऑफ एक्शन (एनजेसीए) की संचालन समिति के वरिष्ठ सदस्य और एआईडीईएफ के महासचिव सी. श्रीकुमार का कहना है कि अनिश्चितकालीन हड़ताल के बारे में रेलवे और डिफेंस के कर्मियों का मत जानने के लिए 20 और 21 नवंबर को स्ट्राइक बैलेट की मुहिम शुरू की गई है। रेलवे के 11 लाख कर्मचारी तो वहीं रक्षा क्षेत्र ‘सिविल‘ के चार लाख कर्मचारी मतदान में हिस्सा ले रहे हैं। अगर दो तिहाई बहुमत, हड़ताल के पक्ष में होता है तो देश में अनिश्चितकालीन हड़ताल की जाएगी। अगर हड़ताल होती है तो उसमें केंद्र सरकार के सभी सिविल महकमों के अलावा राज्यों के कर्मचारी संगठन भी शामिल होंगे।

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लंबी कतारें देखी गईं-

मतदान के चलते सोमवार को कर्मचारियों की लंबी कतारें देखी गईं। रेलवे स्टेशनों और रक्षा प्रतिष्ठानों में कर्मचारियों ने बढ़ चढ़कर मतदान में हिस्सा लिया। स्ट्राइक बैलेट, मंगलवार को भी जारी रहेगा।

शीर्ष बॉडी की बैठक में होगा निर्णय?

सी. श्रीकुमार के मुताबिक, पुरानी पेंशन के लिए 20 और 21 नवंबर को स्ट्राइक बैलेट कराया जा रहा है। भारतीय रेलवे के विभिन्न जोन, मंडल और दूसरी यूनिटों में दो दिन तक वोट डाले जाएंगे। इस मतदान में करीब 11 लाख कर्मचारी हिस्सा लेंगे। रेलवे कर्मियों ने ‘ओपीएस‘ पर राष्ट्रव्यापी हड़ताल के पक्ष में अपनी क्या राय दी है, वह नतीजा दो तीन दिन बाद घोषित किया जाएगा। इसी तरह से डिफेंस इंडस्ट्री के चार लाख कर्मचारी भी स्ट्राइक बैलेट में हिस्सा ले रहे हैं। चूंकि केंद्र सरकार के ये विभाग इंडस्ट्री के तहत आते हैं, इसलिए नियमानुसार इनमें वोटिंग कराना जरूरी है। डीआरडीओ की लैब, आयुद्ध कारखाने और दूसरी रक्षा इकाइयों के कर्मचारी, स्ट्राइक बैलेट में अपना पक्ष रख रहे हैं। रक्षा क्षेत्र की यूनिटों के स्ट्राइक बैलेट का परिणाम 21 नवंबर की शाम तक आ जाएगा। रेलवे का परिणाम, दो तीन दिन बाद मिलेगा।

बैठक में होगी नतीजों पर चर्चा-

इसके बाद केंद्रीय कर्मचारी संगठनों की शीर्ष बॉडी की बैठक होगी। उसमें स्ट्राइक बैलेट के नतीजों पर चर्चा होगी। अगर स्ट्राइक के पक्ष में दो तिहाई कर्मचारी का वोट मिला, तो राष्ट्रव्यापी हड़ताल की घोषणा कर दी जाएगी। सबसे खास बात यह है कि इस हड़ताल में विभिन्न राज्यों के शिक्षक एवं दूसरे कर्मचारी भी हिस्सा लेंगे। कठोर निर्णय होने की स्थिति में केंद्र एवं राज्यों में सरकारी कर्मचारी, अनिश्चितकालीन हड़ताल पर चले जाएंगे। उस अवस्था में रेल थम जाएंगी, आयुद्ध कारखाने, जो अब निगमों में तब्दील हो चुके हैं, वहां पर काम बंद हो जाएगा।

अनिश्चितकालीन हड़ताल ही एक मात्र विकल्प है-

सी. श्रीकुमार का कहना है, पुरानी पेंशन बहाली के लिए केंद्र एवं राज्यों के कर्मचारी एक साथ आ गए हैं। इस मुद्दे पर देश के लगभग सभी कर्मचारी संगठन एकमत हैं। केंद्र और राज्यों के विभिन्न निगमों और स्वायत्तता प्राप्त संगठनों ने भी ओपीएस की लड़ाई में शामिल होने की बात कही है। बैंक एवं इंश्योरेंस सेक्टर के कर्मियों से सकारात्मक बातचीत हुई है। कर्मचारियों ने हर तरीके से सरकार के समक्ष पुरानी पेंशन बहाली की गुहार लगाई है, लेकिन उनकी बात सुनी नहीं गई। अब उनके पास एक मात्र विकल्प अनिश्चितकालीन हड़ताल ही बचता है।

दस अगस्त को लाखों कर्मियों ने भरी थी हुंकार-

दस अगस्त को दिल्ली के रामलीला मैदान में देशभर से आए लाखों कर्मियों ने ‘ओपीएस‘ को लेकर हुंकार भरी थी। इस मौके पर कर्मचारियों ने दो टूक शब्दों में कहा था कि वे हर सूरत में पुरानी पेंशन बहाल कराकर ही दम लेंगे। सरकार को अपनी जिद्द छोड़नी पड़ेगी। कर्मचारियों ने कहा था कि वे सरकार को वह फॉर्मूला बताने को तैयार हैं, जिसमें सरकार को ओपीएस लागू करने से कोई नुकसान नहीं होगा। अगर इसके बाद भी सरकार, पुरानी पेंशन लागू नहीं करती है तो ‘भारत बंद‘ जैसे कई कठोर कदम उठाए जाएंगे।

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ओपीएस पर राजनीतिक नुकसान की बात-

ओपीएस के लिए गठित नेशनल ज्वाइंट काउंसिल ऑफ एक्शन (एनजेसीए) की संचालन समिति के राष्ट्रीय संयोजक एवं स्टाफ साइड की राष्ट्रीय परिषद ‘जेसीएम‘ के सचिव शिवगोपाल मिश्रा ने कहा था, अगर 2024 के लोकसभा चुनाव से पहले पुरानी पेंशन लागू नहीं होती है तो भाजपा को उसका खामियाजा भुगतना पड़ेगा। कर्मियों, पेंशनरों और उनके रिश्तेदारों को मिलाकर यह संख्या दस करोड़ के पार चली जाती है। चुनाव में बड़ा उलटफेर करने के लिए यह संख्या निर्णायक है। केंद्र के सभी मंत्रालय-विभाग, रक्षा कर्मी (सिविल), रेलवे, बैंक, डाक, प्राइमरी, सेकंडरी, कालेज एवं यूनिवर्सिटी टीचर, दूसरे विभागों एवं विभिन्न निगमों और स्वायत्तशासी संगठनों के कर्मचारी, ओपीएस पर एक साथ आंदोलन कर रहे हैं। बतौर मिश्रा, वित्त मंत्रालय ने जो कमेटी बनाई है, उसमें ‘ओपीएस‘ का जिक्र ही नहीं है। उसमें तो एनपीएस में सुधार की बात कही गई है। इसका मतलब है कि केंद्र सरकार, ओपीएस लागू करने के मूड में नहीं है। केंद्र सरकार द्वारा एनपीएस में चाहे जो भी सुधार किया जाए, कर्मियों को वह मंजूर नहीं है। कर्मियों का केवल एक ही मकसद है, बिना गारंटी वाली ‘एनपीएस‘ योजना को खत्म किया जाए और परिभाषित एवं गारंटी वाली ‘पुरानी पेंशन योजना‘ को बहाल किया जाए।

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