पाकिस्तान के अंदर इस गुरुद्वारे में ये क्या हो गया! भारत को दर्ज करानी पड़ी आपत्ति

पाकिस्तान में करतारपुर साहिब गुरुद्वारे के गुंबद ढहने पर भारत ने सवाल उठाए हैं। भारत ने कहा है कि इस घटना से सिख समुदाय आहत हुआ है। इसके साथ ही गुरुद्वारे में हुए नुकसान को सही कराने के लिए भी कहा है।

Update: 2020-04-19 11:57 GMT

नई दिल्ली: पाकिस्तान में करतारपुर साहिब गुरुद्वारे के गुंबद ढहने पर भारत ने सवाल उठाए हैं। भारत ने कहा है कि इस घटना से सिख समुदाय आहत हुआ है। इसके साथ ही गुरुद्वारे में हुए नुकसान को सही कराने के लिए भी कहा है।

बता दें कि शनिवार को करतारपुर गुरुद्वारे के आठ गुंबद मामूली आंधी में ढह गए थे। इनका निर्माण दो साल पहले यानी 2018 में हुआ था। अब कंस्ट्रक्शन क्वॉलिटी पर सवालिया निशान लग रहे हैं।

पाकिस्तान में सिख कम्युनिटी भी इससे नाराज है। लोगों का कहना है कि इमरान खान सरकार में किसी अन्य मजहब को सम्मान नहीं मिलता। लोगों का यह भी आरोप है कि इमरान के लिए करतारपुर सिर्फ पॉलिटकल स्टंट था।

भारत ने पाकिस्तान से कहा है कि इस घटना के बाद से सिख समुदाय में दहशत सी छा गई है। सूत्र ने बताया कि भारत ने पाकिस्तान से आग्रह किया है कि सिख समुदाय की भावनाओं को ध्यान में रखते हुए निर्माण संबंधी कमियों को तुरंत सुधारा जाए।

सूत्र के मुताबिक भारत ने पाक से कहा है कि इस पवित्र स्थल को लेकर सिख समुदाय की भावनाओं को समझा जाना चाहिए और उनका सम्मान करना चाहिए।



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कमजोर फाइबर से हुआ था निर्माण!

इस गुरुद्वारे का पुनरुद्धार दो साल पहले ही 2018 में हुआ था। इमरान सरकार ने यहां जोर-शोर से कार्यक्रम भी आयोजित करवाया था, लेकिन अब पता चला है कि निर्माण की गुणवत्ता कितनी खराब थी कि ये हल्के आंधी-तूफान को ही नहीं झेल सके। बताया जा रहा है कि ये कमजोर फाइबर के बने थे।

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करतारपुर में अंतरध्यान हुए थे नानकदेव

बता दें कि पाकिस्तान में सिखों के दो पवित्र तीर्थ स्थल हैं। पहला ननकाना साहिब जो लाहौर से लगभग 75 किलोमीटर दूर है। ये गुरु नानक देव जी का जन्मस्थल है।

दूसरा है करतारपुर जहां गुरु नानकदेव अंतरध्यान हुए थे। यह स्थान लाहौर से लगभग 117 किलोमीटर दूर है। करतारपुर साहिब गुरुद्वारे में भारतीय सिख श्रद्धालुओं के लिए करतारपुर कॉरीडोर बनाया गया था।

भारत-पाकिस्तान की अंतरराष्ट्रीय सीमा से करतारपुर 3.80 किलोमीटर दूर है। पिछले साल नवंबर में भारत और पाकिस्तान के प्रधानमंत्रियों ने अपने-अपने देशों में इसका उद्घाटन किया था। गुरु नानक देव जी अपनी चार प्रसिद्ध यात्राओं को पूरा करने के बाद 1522 में परिवार के साथ यहां रहने लगे थे।

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