पाकिस्तान का धोखा: ठुकराया भारत का ये प्रस्ताव, इस खास बैठक में नहीं होगा शामिल
पड़ोसी मुल्क पाकिस्तान ने एक बार फिर भारत को धोखा देते हुए टिड्डी प्रंबधन को लेकर होने वाली अहम बैठक में शामिल होने से इनकार कर दिया।
नई दिल्ली:पाकिस्तान लगातार भारत के खिलाफ ऐसी हरकते करता है तो न केवल दोनों देशों के लिए नुकसानदायक होती है, साथ ही भारत की मुश्किलों को बढ़ाने का काम करती है। इसी कड़ी में पड़ोसी मुल्क पाकिस्तान ने एक बार फिर भारत को धोखा देते हुए टिड्डी प्रंबधन को लेकर होने वाली अहम बैठक में शामिल होने से इनकार कर दिया।
टिड्डी प्रंबधन पर भारत पाकिस्तान की नहीं हुई बैठक
कोरोना प्रकोप के बीच इन दिनों टिड्डी दल के कहर से किसान काफी परेशान है। टिड्डी दल का हमला खेतों को बर्बाद कर रहा है। सीमावर्ती इलाकों से सटे खेतों की फसलों पर टिड्डियों का प्रभाव बहुत ज्यादा पड़ रहा है। इस संकट से निपटने के मद्देनजर भारत और पाकिस्तान के बीच टिड्डी प्रंबधन को लेकर बैठक होने वाली थी। दोनों देशों के बीच 18 जून को टिड्डियों के आतंक को लेकर बातचीत होनी निर्धारित हुई थी।
पाकिस्तान ने भारत के प्रस्ताव को ठुकराया
हालाँकि भारत के इस प्रस्ताव को ठुकराते हुए पाकिस्तान में बैठक में शामिल होने से इनकार कर दिया। इस बारे में विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अनुराग श्रीवास्तव ने जानकारी देते हुए बताया कि पाकिस्तान की ओर से भारत के प्रस्ताव को ठुकरा दिया गया।
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इस साल होने थी छह बैठकें, पाकिस्तान का नहीं आया जवाब
गौरतलब है कि हर साल दोनों देशों के बीच टिड्डी संकट पर 6 बैठक होती हैं, जो जून से नवंबर तक आयोजित की जाती हैं। ऐसे में इस साल की पहली बैठक आज होनी थीं लेकिन ऐसा न हो सकता।
टिड्डी दल ने की सीमावर्ती खेतों की फैसले खराब
बता दें कि हर साल टिड्डियाँ भारत और पाकिस्तान के सीमावर्ती खेतों पर हमला करती है। सामान्यतः ऐसा मानसून की शुरुआत में होता है लेकिन इस बार टिड्डियों ने मार्च-अप्रैल में ही भारत के खेतों पर हमला कर दिया और फैसले खराब कर दी। देश के कई राज्यों में टिड्डियों का प्रभाव देखने को मिला। राजस्थान से टिड्डी दल ने भारत में प्रवेश किया और पंजाब, मध्यप्रदेश, उत्तर प्रदेश और महाराष्ट्र तक पहुंच गए।
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मानसून से पहले ही टिड्डियों ने बोला हमला
पाकिस्तान में भी इनका असर देखने को मिला। वहां भी फसलों को बड़ा नुकसान हुआ। ऐसे में भारत ने पाकिस्तान के समक्ष बातचीत का प्रस्ताव रखा ताकि मिल कर दोनों देशों की सीमाओं के बीच आने वाली फसलों को बचाया जा सके।
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