10 हजार कर्मचारियों को पारले जी ने दिखाया बाहर का रास्ता

किसी भी कंपनी द्वारा इस तरह के कदम से सबसे पहले अस्थायी कर्मचारी प्रभावित होते हैं। पारले जी के मामले में भी सबसे पहले अस्थायी कर्मचारी प्रभावित हुए। हालांकि, अभी तक कंपनी इस संदर्भ में कोई बयान नहीं दिया है।

Update: 2019-08-22 05:54 GMT

नई दिल्ली: देश की सबसे बड़ी बिस्किट निर्माता कंपनी पारले जी ने अपने 10 हजार कर्मचारियों को आज यानि गुरुवार को बाहर का रास्ता दिखा दिया है। जी हां, कंपनी से 10 हजार कर्मचारियों को आज निकाल दिया गया है। दरअसल, इस मामले पर पारले-जी का कहना है कि कंपनी की जितनी बिक्री नहीं है, उससे ज्यादा उसकी लागत है। इसके अलावा जीएसटी के चलते उसको काफी नुकसान उठाना पड़ रहा है।

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सरकार से की जीएसटी कम करने की मांग

पारले के कैटेगरी हेड मयंक शाह ने ईटी से कहा, ‘हमने मोदी सरकार से 100 रुपये प्रति किलो या उससे कम कीमत वाले बिस्किट पर जीएसटी घटाने की मांग की है। ये बिस्किट आमतौर पर 5 रुपये या कम के पैक में बिकते हैं। अगर सरकार ने जीएसटी घटाने की हमारी मांग नहीं मानी तो हमें अपनी फैक्टरियों में काम करने वाले 8,000-10,000 लोगों को निकालना पड़ेगा। सेल्स घटने से हमें भारी नुकसान हो रहा है।’

पारले कंपनी में एक लाख से अधिक एंप्लॉयी हैं कार्यरत

पारले जी, मोनैको और मैरी बिस्किट बनाने वाली पारले की सालाना बिक्री 10,000 करोड़ रुपये से ज्यादा होती है। कंपनी के इस समय 10 प्लांट हैं। पारले में इस समय एक लाख से अधिक एंप्लॉयी काम करते हैं। पारले के पास 125 थर्ड पार्टी मैन्युफैक्चरिंग यूनिट भी हैं।

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कंपनी की बिक्री का आधे से ज्यादा हिस्सा ग्रामीण बाजारों से आता है। मोदी सरकार में युवाओं को नौकरियां मिलने की बजाय लगातार उनकी नौकरियां जा रही हैं। खपत घटने से आई सुस्ती के बाद मारुति सुजुकी इंडिया ने 1 हजार अस्थायी कर्मचारियों की छंटनी कर दी है।

नई भर्तियों पर रोक

इसके साथ ही कंपनी ने नई भर्तियों को रोकने की भी योजना बनाई है। इसके अलावा कंपनी वर्तमान मंदी से निपटने के लिए अन्य लागत कटौती उपायों की योजना बना रही है।

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जानकारी के अनुसार, किसी भी कंपनी द्वारा इस तरह के कदम से सबसे पहले अस्थायी कर्मचारी प्रभावित होते हैं। पारले जी के मामले में भी सबसे पहले अस्थायी कर्मचारी प्रभावित हुए। हालांकि, अभी तक कंपनी इस संदर्भ में कोई बयान नहीं दिया है।

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