Women's Day: महिला डॉक्टर ने प्रग्नेंसी के दौरान किया ऐसा काम, सब कर रहे सलाम
मुश्किल घड़ी के लिए तैयार रहना हमारी ट्रेनिंग का हिस्सा है। डॉ. मिक्की ईएमओ हैं, लिहाजा उनकी डयूटी इमरजेंसी में थी। यहां संक्रमण का सबसे अधिक खतरा रहता था। सिविल अस्पताल में ही कोविड-19 आइसोलेशन वार्ड स्थित है।
पठानकोट : यहां के सिविल अस्पताल की इमरजेंसी मेडिकल ऑफिसर (ईएमओ) डॉ. मिक्की के हौसले को हर कोई सलाम करता है। कोरोना वायरस फैलने के दौरान वह चार माह की गर्भवती थीं। मुश्किल की इस घड़ी में भी उन्होंने हौसला नहीं छोड़ा और एक साथ मां और डॉक्टर, दोनों का फर्ज निभाती रही। परिवार ने कहा कि वह छुट्टी लेकर होने वाले बच्चे का ध्यान रखें, लेकिन उन्होंने संक्रमित मरीजों की सेवा को अहमियत दी। उनके पति थाना डिवीजन नंबर-2 के प्रभारी इंस्पेक्टर दविंद्र प्रकाश ने भी उनका हौसला बढ़ाया।
मुश्किल घड़ी के लिए तैयार
दंपति ने पूरे कोरोना काल में फ्रंटलाइन पर डटकर लोगों की सेवा की। खाकी वर्दी में एसएचओ दविंद्र प्रकाश और सफेद कोट में पत्नी डॉ. मिकी दिन-रात लोगों की सेवा में लगे रहे। इंस्पेक्टर दविंद्र प्रकाश ने कहा कि यह हमारा फर्ज था। मुश्किल घड़ी के लिए तैयार रहना हमारी ट्रेनिंग का हिस्सा है। डॉ. मिक्की ईएमओ हैं, लिहाजा उनकी डयूटी इमरजेंसी में थी। यहां संक्रमण का सबसे अधिक खतरा रहता था। सिविल अस्पताल में ही कोविड-19 आइसोलेशन वार्ड स्थित है।
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मरीजों का चेकअप करती रही
यहां 28 मरीजों का इलाज चला रहा था। सेहत विभाग ने उन्हें छुट्टी भी दी, लेकिन उन्होंने इन्कार कर दिया। डॉ. मिक्की ने विभाग के अन्य अधिकारियों को भी प्रेरित किया। डॉ. मिक्की ने बताया कि कोरोना वायरस संक्रमण फैलने पर वह अस्पताल जाकर मरीजों का चेकअप करती रहीं। करीब पांच महीनों तक वह बिना अवकाश लिए काम करती रहीं। आठवें महीने में जाकर उन्होंने छुट्टी ली। इस बीच उन्होंने बेटे को जन्म दिया।
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अब जल्द दोबारा डयूटी पर लौटने के लिए तैयार हैं। डॉ. मिक्की ने कहा कि जब डॉक्टर की पढ़ाई के बाद शपथ ली जाती है तो यही सिखाया जाता है कि हर हालात में अपने कर्म को सबसे पहले रखो, मैंने वही किया।