India Worst Plane Crash: दो विमान जब हवा में बने आग के गोले, लाश भी नहीं मिली, इतिहास की सबसे भयावह हवाई दुर्घटना
Bharat Ka Khatarnak Viman Hadsa: इस हादसे में 349 लोगों की मौत हुई, जिससे यह भारत के इतिहास की सबसे घातक विमान दुर्घटना बन गई।;
Bharat Ka Khatarnak Viman Hadsa: 12 नवंबर, 1996 को भारत के इतिहास में एक ऐसी घटना घटी, जिसने विमानन सुरक्षा और संचालन के कई पहलुओं पर गंभीर सवाल खड़े किए। यह दुर्घटना दिल्ली के पास हरियाणा के चरखी दादरी क्षेत्र में हुई, जहां सऊदी अरब एयरलाइंस की फ्लाइट 763 और कजाकिस्तान एयरलाइंस की फ्लाइट 1907 हवा में आपस में टकरा गईं। इस हादसे में 349 लोगों की मौत हुई, जिससे यह भारत के इतिहास की सबसे घातक विमान दुर्घटना बन गई।
दुर्घटना का विवरण
दोनों विमानों का परिचय
- सऊदी अरब एयरलाइंस फ्लाइट 763(Saudi arab airlines 763):विमान का मॉडल: बोइंग 747-100(BOEING 747-100), उड़ान का गंतव्य: सऊदी अरब के धहरान, कुल लोग: 312 (289 यात्री और 23 क्रू मेंबर), उड़ान का स्थान: इंदिरा गांधी अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा, दिल्ली।
- कजाकिस्तान एयरलाइंस फ्लाइट 1907(Kajakistan airlines flight 1907):विमान का मॉडल: इल्यूशिन IL-76, उड़ान का गंतव्य: कजाकिस्तान के शिमकेंट, कुल लोग: 37 (27 यात्री और 10 क्रू मेंबर)
- दुर्घटना शाम 6:40 बजे हुई, जब दोनों विमान दिल्ली के वायु क्षेत्र से गुजर रहे थे। चरखी दादरी क्षेत्र में दोनों विमान एक ही ऊंचाई पर उड़ रहे थे, जिससे उनका आमने-सामने टकराव हुआ।
- हादसे के बाद अटकलों का दौर जारी था। कुछ लोगों ने विमान के उपकरण में अचानक ख़राबी को दुर्घटना की वजह बताया, किसी ने दिल्ली एटीसी के उपकरण को 'आउटडेटेड' कहा, तो कुछ ने पायलटों को दोषी ठहराया।
- जब 'ब्लैक बॉक्स' की जांच करने की बारी आई, तो पक्षकार इसे भारत में खोलने के लिए सहमत नहीं हुए। लाहोटी आयोग ने भारत की नेशनल एयरोनॉटिकल लेबोरेटरी में रिकॉर्ड हासिल करने का सुझाव दिया था। लेकिन दोनों एयरलाइनों ने लैब की क्षमताओं पर संदेह व्यक्त किया और भारत के बाहर ‘डिकोडिंग’ पर ज़ोर दिया।
- आख़िरकार यह फ़ैसला हुआ कि कज़ाकिस्तान एयरलाइंस अपने ब्लैक बॉक्स की जांच मॉस्को की एक लैब में कराएगी और सऊदी एयरलाइंस ब्रिटेन की लैब में जांच कराएगी। लाहोटी आयोग और पक्षकारों को इस प्रक्रिया के पर्यवेक्षण के लिए दोनों जगहों पर मौजूद रहने की इजाज़त थी।
- घटनास्थल का दौरा करने, एटीसी के स्टाफ़ से मुलाक़ात करने और फ़्लाइट रिकॉर्ड डेटा और वॉइस रिकॉर्ड यानी ब्लैक बॉक्स की जांच के बाद, लाहोटी आयोग ने यह निष्कर्ष निकाला कि "टकराव का मूल और अनुमानित कारण कज़ाकिस्तान के विमान का बिना अनुमति के 14 हज़ार फ़ीट से कम ऊंचाई पर आना और निर्देश के अनुसार 15 हज़ार फ़ीट पर न बने रहना है।"कुल मिलाकर, आयोग ने 15 सिफ़ारिशें कीं।
दुर्घटना के कारण
- पायलट की त्रुटि (Human Error):कजाकिस्तान एयरलाइंस के पायलट ने हवाई यातायात नियंत्रण (ATC) के निर्देशों को सही से नहीं समझा। उन्हें 15,000 फीट की ऊंचाई बनाए रखने के लिए कहा गया था।लेकिन उनका विमान 14,000 फीट पर आ गया।
- संचार में विफलता:कजाकिस्तान एयरलाइंस के पायलट अंग्रेजी में निर्देशों को पूरी तरह समझने में असमर्थ थे। यह भाषा की बाधा का स्पष्ट उदाहरण था।
- हवाई यातायात नियंत्रण की सीमाएं:उस समय दिल्ली का ATC आधुनिक तकनीकी उपकरणों से लैस नहीं था। रडार और संचार प्रणाली पुरानी थीं, जिससे विमानों की सटीक स्थिति का पता लगाना मुश्किल हो गया।
- ट्रैफिक कोलिजन अवॉइडेंस सिस्टम (TCAS) की अनुपस्थिति:दोनों विमानों में TCAS उपकरण नहीं थे। यह उपकरण विमानों को टकराव से पहले चेतावनी देता है और दिशा बदलने का निर्देश देता है।
- कजाक विमान की तकनीकी खामियां:कजाकिस्तान एयरलाइंस का IL-76 विमान अपेक्षाकृत पुरानी तकनीक का था, जिसमें आधुनिक नेविगेशन और संचार उपकरणों की कमी थी।
दुर्घटना का प्रभाव
- मौत और क्षति:349 लोगों की जान गई, जिसमें सऊदी एयरलाइंस के 312 यात्री और क्रू तथा कजाक एयरलाइंस के 37 लोग शामिल थे। यह पूरी तरह से एक दुखद घटना थी, जिसने सैकड़ों परिवारों को गहरे सदमे में डाल दिया।
- मानवता पर असर:घटना के बाद मलबे से शवों और विमान के जले हुए टुकड़ों को इकट्ठा करना बेहद चुनौतीपूर्ण था। स्थानीय लोगों और बचाव दल ने अथक प्रयास किया। लेकिन कोई भी व्यक्ति जीवित नहीं बचा।
- स्थानीय निवासियों का अनुभव:चरखी दादरी क्षेत्र के निवासी इस दुर्घटना से गहरे सदमे में थे। उन्होंने घटनास्थल पर जले हुए विमान के टुकड़े और मृत शरीर देखे।
जांच समिति की रिपोर्ट:
भारत सरकार ने इस दुर्घटना की जांच के लिए एक विशेष समिति का गठन किया। जांच में यह पाया गया कि कजाक पायलट ने ATC के निर्देशों का पालन नहीं किया।
ATC ने विमानों के बीच उचित दूरी बनाए रखने में विफलता दिखाई।साथ ही पायलट की भाषा समझने में समस्या थी।ATC सिस्टम की तकनीकी खामियां थीं।TCAS सिस्टम की अनुपस्थिति ने दुर्घटना को रोकने का कोई मौका नहीं छोड़ा।
दुर्घटना के बाद के सुधार
दुर्घटना के बाद भारत में सभी वाणिज्यिक विमानों में TCAS प्रणाली लगाना अनिवार्य कर दिया गया। यह प्रणाली विमानों को टकराव की चेतावनी देती है।दिल्ली और अन्य प्रमुख हवाई अड्डों के ATC को आधुनिक रडार और संचार उपकरणों से लैस किया गया।अंतरराष्ट्रीय पायलटों के लिए भाषा और संचार प्रशिक्षण अनिवार्य किया गया।अंतरराष्ट्रीय विमानन संगठनों ने नए सुरक्षा मानकों को लागू किया।
उस समय के अख़बारों की रिपोर्ट के मुताबिक़, लोगों ने शवों से घड़ियां, गहने और कपड़े उतार लिए थे। इसके विपरीत, कई स्थानीय लोगों ने मृतकों और उनके सामान को बरामद करने में सराहनीय मदद की थी और उन्होंने स्थानीय अधिकारियों के साथ मिलकर शवों को पास के अस्पताल में पहुंचाने का काम किया था।
एक हिंदू संगठन ने मांग की, कि जिन जले शवों की पहचान नहीं हो सकती उन शवों का अंतिम संस्कार हिंदू रीति-रिवाज़ से किया जाए। मुसलमानों ने इसका विरोध किया। कई घंटों की बातचीत के बाद, आख़िरकार यह तय हुआ कि विमान में यात्रा कर रहे मुसलामानों और हिन्दुओं में से जितने शवों की पहचान नहीं हो पाई है, उनके अनुपात के हिसाब से इन शवों का बंटवारा किया जाएगा.कुल मिलाकर, 76 मुसलमानों, 15 हिंदुओं और तीन ईसाइयों के शवों की पहचान नहीं हो सकी थी या उनके शरीर के कुछ अंग मिले थे। उनके अवशेषों को दफ़नाया गया या उनका अंतिम संस्कार किया गया।
विमानन सुरक्षा के लिए सबक
इस दुर्घटना ने यह स्पष्ट किया कि विमानन क्षेत्र में सुरक्षा को प्राथमिकता देना आवश्यक है। पायलटों, ATC, और तकनीकी उपकरणों के बीच समन्वय की कमी का गंभीर परिणाम हो सकता है।जरूरी है कि हवाई यातायात नियंत्रकों और पायलटों के बीच स्पष्ट और प्रभावी संचार हो। साथ ही आधुनिक उपकरणों और तकनीकी प्रणालियों का उपयोग।और विमानन सुरक्षा पर अधिक ध्यान केंद्रित हो।
1996 का दिल्ली प्लेन क्रैश भारत के इतिहास की सबसे दर्दनाक और शिक्षाप्रद घटनाओं में से एक है। यह दुर्घटना न केवल मानव त्रुटि और तकनीकी खामियों का परिणाम थी, बल्कि विमानन क्षेत्र में सुरक्षा उपायों की कमी को भी उजागर करती है। इस घटना के बाद लागू किए गए सुधारों ने अंतरराष्ट्रीय विमानन मानकों को मजबूत करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। हालांकि, यह घटना एक गहरी याद दिलाती है कि हवाई यात्रा में सुरक्षा के प्रति सतर्कता और समर्पण कितना आवश्यक है।
कुछ और दर्दनाक हादसे -
चीन में 21 मार्च, 2022 को हुआ बोइंग विमान हादसा भी काफी भयानक था। यह चीनी इतिहास का सबसे बड़ा विमान हादसा गिना जाता है। कुनमिंग से रवाना हुआ Boeing 737-800 विमान 29,100 फीट की ऊंचाई पर अचानक से क्रैश हो गया था। इस हादसे में फ्लाइट में सवार सभी 132 लोगों की मौत हो गई थी।
वर्ष 1977 में 27 मार्च को स्पेन के टेनेराइफ एयरपोर्ट के रनवे पर दो बोइंग विमान आपस में टकरा गए थे। इस हादसे में पूरा स्पेन दहल उठा था। अमेरिकी विमान 1736 और KLM का विमान 4805 अचानक से आमने-सामने आ गए, जिससे भीषण टक्कर हुई। इस दुर्घटना में 583 लोगों की जान चली गई थी।
8 जनवरी, 2020 को ईरान की राजधानी तेहरान से उड़ान भरने के तुरंत बाद यूक्रेन इंटरनेशनल एयरलाइंस का विमान पीएस752 दुर्घटनाग्रस्त हो गया। इस हादसे में 176 यात्रियों और चालक दल के सदस्यों की मौत हो गई। यह घटना अमेरिका और ईरान के बीच बढ़ते तनाव के समय हुई। बाद में ईरानी सरकार ने माना कि उसने गलती से विमान को गिरा दिया था।